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लखनऊ: सीएए और एनआरसी के खिलाफ घंटाघर पर प्रदर्शन जारी, परिजनों के साथ पहुंचीं बच्चियां - लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन जारी

राजधानी लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ उनके घर के अन्य सदस्य भी शामिल हुए.

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घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन जारी.
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Published : Jan 20, 2020, 6:55 AM IST

लखनऊ: घंटाघर पर चल रहे सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के तीसरे दिन भी महिला प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा रहा. यहां पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लग रहे हैं. महिलाएं बीते तीन दिनों से हाथों में पोस्टर और पेंफलेट्स लेकर प्रदर्शन कर रही हैं.

घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन जारी.

इस प्रदर्शन में कैंट लखनऊ से शामिल हुईं शाहीना कहती हैं कि हमें सीएए से परेशानी नहीं, लेकिन सीएए में एनआरसी के जुड़ने से परेशानी है. पढ़े-लिखे लोग इस बात को समझ सकते हैं, लेकिन जो मजदूर हैं और निचले दर्जे से आते हैं उनके लिए इस बात को समझना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अपने कागजात कहां से लेकर आएंगे. फिलहाल हम तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रदर्शन स्थल पर पहुंचीं बच्चियां.

प्रदर्शन का हिस्सा बने बच्चे
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ उनके घर के अन्य सदस्य भी शामिल हुए. घर में रहने वाली महिलाएं जब सड़क पर उतर आईं तो उनके साथ उनकी बेटियां, बहने और सहेलियां भी जुड़ गईं. कोई बच्ची अपनी मां के साथ आई है तो कोई दादी और नानी के साथ. जब इनसे हमने पूछा कि यहां क्यों आए हो तो एक बच्ची ने कहा कि आजादी मांगने आए हैं. दूसरी बच्ची ने कहा कि सीएए और एनआरसी के लिए आए हैं. इससे आजादी चाहिए. वहीं कुछ बच्चे प्लेकार्ड लेकर खड़े थे, जिसमें आजादी के नारे लिखे हुए थे.

ये भी पढ़ें- CAA को लेकर मचा तमाशा...अब लखनऊ में भी लगे 'हमें चाहिए आजादी' के नारे

लगातार प्रदर्शन पर डटी महिलाएं
प्रदर्शन में जहां एक ओर आजादी के नारे लग रहे थे, संविधान बचाने की अपील की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर महिलाएं अपना फर्ज भी बकायदा अदा कर रही थीं. कोई अपने बच्चों को लेकर आई तो कोई शाम के वक्त नमाज अदा कर रही थी. दूसरी महिलाएं उनका साथ भी देती हुई नजर आ रही थीं. प्रदर्शन कर रही एक महिला ने बताया कि पुलिस वालों से उन्हें बदसलूकी का सामना करना पड़ा. कुछ अन्य महिलाओं ने बताया कि घंटाघर की लाइट ऑफ कर दी गई, कंबल छीन लिए गए और खाने का सामान जब्त कर लिया गया. हालांकि रविवार को प्रदर्शन के दौरान यहां सब कुछ सामान्य दिखा.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: पुलिस ने धरने के आसपास बंधी रस्सियां खोलीं तो महिलाओं ने बनाई मानव श्रृंखला

एनआरसी सब के लिए घातक
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ युवतियां और बच्चे भी शामिल हैं. लाइबा शेख ने लोगों से अपील की कि धर्म से परे सभी लोग एक साथ आएं, क्योंकि सीएए और एनआरसी सब के लिए घातक है. ऐसे में सभी को उसका पुरजोर विरोध करना चाहिए. देखना चाहिए कि उनके आसपास क्या हो रहा है.

लखनऊ: घंटाघर पर चल रहे सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के तीसरे दिन भी महिला प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा रहा. यहां पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लग रहे हैं. महिलाएं बीते तीन दिनों से हाथों में पोस्टर और पेंफलेट्स लेकर प्रदर्शन कर रही हैं.

घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन जारी.

इस प्रदर्शन में कैंट लखनऊ से शामिल हुईं शाहीना कहती हैं कि हमें सीएए से परेशानी नहीं, लेकिन सीएए में एनआरसी के जुड़ने से परेशानी है. पढ़े-लिखे लोग इस बात को समझ सकते हैं, लेकिन जो मजदूर हैं और निचले दर्जे से आते हैं उनके लिए इस बात को समझना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अपने कागजात कहां से लेकर आएंगे. फिलहाल हम तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रदर्शन स्थल पर पहुंचीं बच्चियां.

प्रदर्शन का हिस्सा बने बच्चे
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ उनके घर के अन्य सदस्य भी शामिल हुए. घर में रहने वाली महिलाएं जब सड़क पर उतर आईं तो उनके साथ उनकी बेटियां, बहने और सहेलियां भी जुड़ गईं. कोई बच्ची अपनी मां के साथ आई है तो कोई दादी और नानी के साथ. जब इनसे हमने पूछा कि यहां क्यों आए हो तो एक बच्ची ने कहा कि आजादी मांगने आए हैं. दूसरी बच्ची ने कहा कि सीएए और एनआरसी के लिए आए हैं. इससे आजादी चाहिए. वहीं कुछ बच्चे प्लेकार्ड लेकर खड़े थे, जिसमें आजादी के नारे लिखे हुए थे.

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लगातार प्रदर्शन पर डटी महिलाएं
प्रदर्शन में जहां एक ओर आजादी के नारे लग रहे थे, संविधान बचाने की अपील की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर महिलाएं अपना फर्ज भी बकायदा अदा कर रही थीं. कोई अपने बच्चों को लेकर आई तो कोई शाम के वक्त नमाज अदा कर रही थी. दूसरी महिलाएं उनका साथ भी देती हुई नजर आ रही थीं. प्रदर्शन कर रही एक महिला ने बताया कि पुलिस वालों से उन्हें बदसलूकी का सामना करना पड़ा. कुछ अन्य महिलाओं ने बताया कि घंटाघर की लाइट ऑफ कर दी गई, कंबल छीन लिए गए और खाने का सामान जब्त कर लिया गया. हालांकि रविवार को प्रदर्शन के दौरान यहां सब कुछ सामान्य दिखा.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: पुलिस ने धरने के आसपास बंधी रस्सियां खोलीं तो महिलाओं ने बनाई मानव श्रृंखला

एनआरसी सब के लिए घातक
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ युवतियां और बच्चे भी शामिल हैं. लाइबा शेख ने लोगों से अपील की कि धर्म से परे सभी लोग एक साथ आएं, क्योंकि सीएए और एनआरसी सब के लिए घातक है. ऐसे में सभी को उसका पुरजोर विरोध करना चाहिए. देखना चाहिए कि उनके आसपास क्या हो रहा है.

Intro:लखनऊ। शुक्रवार की देर शाम से हुसैनाबाद के घंटाघर पर शुरू हुआ महिलाओं का सी ए ए और एन आर सी के खिलाफ प्रदर्शन अब तक जारी है। 48 घंटे से भी ऊपर हो चुके इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ उनके घर की अन्य सदस्य भी शामिल हुई हैं। घर में रहने वाली महिलाएं जब सड़क पर उतर आईं तो उनके साथ उनके बेटियां, बहने और सहेलियां भी जुड़ गईं। बच्चियों से हम ने जानने की कोशिश की कि उनके क्या विचार है।


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हुसैनाबाद के घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन का यह तीसरा दिन है इस प्रदर्शन में बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाएं तक शामिल है। ईटीवी भारत ने अपने परिवार के साथ आए हुए बच्चियों से जाने की कोशिश की इस प्रदर्शन में उनके क्या विचार है और जानकर काफी हैरानी हुई पिछले 3 दिनों से चल रहे इस प्रदर्शन में घर की हर महिला शामिल हुई है कोई बच्ची अपनी मां के साथ आई है तो कोई दादी और नानी के साथ और यह सुबह से ही नारे लगा रहे हैं। जब इनसे हमने पूछा कि यहां क्यों आए हो तो एक बच्ची ने कहा, "आजादी मांगने आए हैं"। 'किससे?', इस बात का जवाब उसके पास नहीं था। दूसरी बच्चे ने कहा सीएए और एनआरसी के लिए आए हैं, इससे आजादी चाहिए। वही कुछ बच्चे प्लेकार्ड लेकर खड़े थे जिसमें आजादी के नारे लिखे हुए थे।

ज्यादातर चौथी से पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियां प्रदर्शन में पिछले 2 दिनों से लगातार शामिल हो रही थी जब हमने पूछा कि यहां क्या हो रहा है तो उन्होंने कहा कि नारे लग रहे हैं। हमें सी ए ए और एनआरसी नहीं चाहिए। एक बच्ची ने कहा कि हमें आजादी चाहिए, सरकार मुसलमानों को देश से निकाल रही है और हिंदुओं को रख रही है। क्या यह सही बात है!

'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' लिखे प्ले कार्ड्स लिए हुए कुछ बच्चियां किनारे पर खड़ी मिली। उनसे पूछा गया कि इसका मतलब क्या है तो उन्होंने कहा आजादी मिलने वाली है। 'यहां पर क्या हो रहा है', इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह नारे लग रहे हैं आजादी की मांग की जा रही है और जो लोग नारे लगा रहे हैं उनके लिए तालियां बज रही हैं।



Conclusion:फिलहाल घर की महिलाओं के साथ आए उनके बच्चे महिलाओं का समर्थन करते नजर आ रहे हैं लेकिन शायद उन्हें इस प्रदर्शन का मूल नहीं समझ आया। इसके बावजूद हौसला अफजाई में बच्चे पीछे नहीं है।

बाइट- बच्चों से बातचीत।

रामांशी मिश्रा
9598003584
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