लखनऊ: घंटाघर पर चल रहे सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के तीसरे दिन भी महिला प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा रहा. यहां पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लग रहे हैं. महिलाएं बीते तीन दिनों से हाथों में पोस्टर और पेंफलेट्स लेकर प्रदर्शन कर रही हैं.
इस प्रदर्शन में कैंट लखनऊ से शामिल हुईं शाहीना कहती हैं कि हमें सीएए से परेशानी नहीं, लेकिन सीएए में एनआरसी के जुड़ने से परेशानी है. पढ़े-लिखे लोग इस बात को समझ सकते हैं, लेकिन जो मजदूर हैं और निचले दर्जे से आते हैं उनके लिए इस बात को समझना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अपने कागजात कहां से लेकर आएंगे. फिलहाल हम तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.
प्रदर्शन का हिस्सा बने बच्चे
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ उनके घर के अन्य सदस्य भी शामिल हुए. घर में रहने वाली महिलाएं जब सड़क पर उतर आईं तो उनके साथ उनकी बेटियां, बहने और सहेलियां भी जुड़ गईं. कोई बच्ची अपनी मां के साथ आई है तो कोई दादी और नानी के साथ. जब इनसे हमने पूछा कि यहां क्यों आए हो तो एक बच्ची ने कहा कि आजादी मांगने आए हैं. दूसरी बच्ची ने कहा कि सीएए और एनआरसी के लिए आए हैं. इससे आजादी चाहिए. वहीं कुछ बच्चे प्लेकार्ड लेकर खड़े थे, जिसमें आजादी के नारे लिखे हुए थे.
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लगातार प्रदर्शन पर डटी महिलाएं
प्रदर्शन में जहां एक ओर आजादी के नारे लग रहे थे, संविधान बचाने की अपील की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर महिलाएं अपना फर्ज भी बकायदा अदा कर रही थीं. कोई अपने बच्चों को लेकर आई तो कोई शाम के वक्त नमाज अदा कर रही थी. दूसरी महिलाएं उनका साथ भी देती हुई नजर आ रही थीं. प्रदर्शन कर रही एक महिला ने बताया कि पुलिस वालों से उन्हें बदसलूकी का सामना करना पड़ा. कुछ अन्य महिलाओं ने बताया कि घंटाघर की लाइट ऑफ कर दी गई, कंबल छीन लिए गए और खाने का सामान जब्त कर लिया गया. हालांकि रविवार को प्रदर्शन के दौरान यहां सब कुछ सामान्य दिखा.
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एनआरसी सब के लिए घातक
इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ युवतियां और बच्चे भी शामिल हैं. लाइबा शेख ने लोगों से अपील की कि धर्म से परे सभी लोग एक साथ आएं, क्योंकि सीएए और एनआरसी सब के लिए घातक है. ऐसे में सभी को उसका पुरजोर विरोध करना चाहिए. देखना चाहिए कि उनके आसपास क्या हो रहा है.