लखनऊ : शहर में पड़ रही कड़ाके की ठंड नवजात शिशुओं (protect newborn from hypothermia) में हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) का मुख्य कारण बन सकती है. अवंतीबाई अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान का कहना है कि 'नवजात शिशुओं की त्वचा पतली होती और उनमें ब्राउन फैट (वसा) कम होता है, ऐसे में वह ठंड की गिरफ्त में आसानी से आ जाते हैं और हाइपोथर्मिया की गिरफ्त में आ जाते हैं. इसकी अनदेखी सेहत के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है.'
उन्होंने बताया कि 'इस समय अवंती बाई महिला अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में हाइपोथर्मिया से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं. सर्दियों में इनकी संख्या थोड़ा बढ़ जाती है इस समय अस्पताल की ओपीडी में चार से पांच बच्चे हाइपोथर्मिया के आ रहे हैं. जैसे-जैसे सर्दी पड़ती है वैसे ओपीडी में हाइपोथर्मिया से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि जब भी कोई हाइपोथर्मिया से पीड़ित बच्चे का अस्पताल में इलाज किया जाता है तो सबसे पहले अभिभावकों से यही कहा जाता है कि बच्चों को पूरी तरह से ठंड से बचा कर रखें, क्योंकि बच्चों की त्वचा पतली होती है. ऐसे में उन्हें जल्द ही ठंड लग जाती है.'
डॉ. सलमान के मुताबिक, 'हाइपोथर्मिया नवजात शिशुओं में शुगर लेवल को कम कर देता है, जिससे शिशुओं में आंतरिक ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और शिशु को झटके भी आने लगते हैं. ऐसे में जरुरी है कि शिशुओं के शरीर का उचित तापमान (365 से 37.5 डिग्री सेल्सियस) बनाए रखें. इसके लिए जरूरी है कि जिस कमरे में शिशु को रखें, उस कमरे का तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस हो शिशु को मां से अलग नहीं करना है. यदि शिशु ढाई किलो से कम वजन का है और उसकी नाल नहीं अलग हुई है तो उसे नहलाने से बचें. इसके साथ ही इस मौसम में जितना एक सामान्य व्यक्ति कपड़ा पहन रहा है, उससे 2-3 ज्यादा लेयर कपड़ा शिशु को पहनाना चाहिए. शिशु को भारी कपड़े पहनाने की जगह, कई लेयर में कपड़े पहनाएं. इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि शिशु का सिर, हाथ और पैर पूरी तरह से ढका हो.'
शिशुओं में ऐसे पहचानें हाइपोथर्मिया के लक्षण : 'रोते समय कम आवाज निकलना या न निकलना. हमेशा सुस्त रहना. नीली और ठंडी त्वचा. ठीक तरह से स्तनपान न करना. हृदय की अनियमित धड़कन. खून में ऑक्सीजन का निम्न स्तर. हाइपोग्लाइसीमिया यानि शरीर में ग्लूकोज की मात्रा का कम होना.'