लखनऊ: देश भर में कोरोना वायरस के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं. हर रोज हजारों की तादाद में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना का साया सभी छोटे बड़े त्योहारों पर भी पड़ रहा है. मुस्लिम समुदाय ने भी रमजान, ईद और बकरीद के त्योहार को घरों में ही मनाया, लेकिन मुस्लिम समुदाय के शिया समाज का सबसे बड़ा मोहर्रम का महीना भी कोरोना की भेंट चढ़ गया है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने लोगों से सरकार की गाइडलाइंस पालन करने और घरों में रहकर मजलिस और मातम करने की अपील की है.
देश भर में कोरोना वायरस की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते इस साल जुलूस निकालने पर सरकार की तरफ से पाबंदी लगा दी गई है और राजधानी लखनऊ में धारा 144 लागू कर दी गई है. इसके साथ ही घरों से अशरे के दिन निकलने वाले ताजिये पर भी पूरी रोक रहेगी. इसके साथ ही पहली मोहर्रम से होने वाली शहर की बड़ी मजलिसें भी कोविड गाइडलाइंस पर ही होगी.
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि कोरोना को देखते हुए जो सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी की गई हैं, उसका सभी को पालन करना चाहिए. ये गाइडलाइन किसी धर्म विशेष के लिए जारी नहीं की गई हैं बल्कि जन्माष्टमी, गणपति, मोहर्रम हर त्योहार भी इन्हीं गाइडलाइन के साथ मनाए गए हैं. ऐसे में सभी धर्म के लोगों से अपील है कि सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखें.
बता दें की चांद दिखने के बाद पहली मोहर्रम को लखनऊ के बड़े इमामबाड़े से शाही मोम की जरी का जुलूस निकाला जाता है. मोहर्रम के महीने में लखनऊ में अशूरा व चेहलुम का जुलूस समेत 7 बड़े जुलूस निकाले जाते हैं. इसमें हजारों की संख्या में अजादार शामिल होते हैं. इसके अलावा पहली मोहर्रम से नौ मोहर्रम तक शहर के बड़े इमामबाड़ों में मजलिसों का आयोजन किया जाता है. साथ ही दस मोहर्रम को अजादार अपने घरों में रखें हुए ताजियों को कर्बला ले जाकर दफन करते हैं.