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ग्रीन कॉरिडोर से जाम की समस्या होगी समाप्त, प्रदूषण भी होगा कम - न्यू लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर

राजधानी लखनऊ को ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने में ग्रीन कॉरिडोर ( Green Corridor) मददगार साबित हो सकता है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) का दावा है कि इससे शहर पर करीब 30 प्रतिशत ट्रैफिक लोड कम हो जाएगा.

लखनऊ में ट्रैफिक जाम
लखनऊ में ट्रैफिक जाम
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Published : May 28, 2021, 9:30 AM IST

लखनऊः राजधानी लखनऊ में हर तरफ बने फ्लाईओवर, आउटर रिंग रोड व किसान पथ के बाद न्यू लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर(new lucknow green corridor) बनने से ट्रैफिक की समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी. इससे करीब तीस फीसदी ट्रैफिक पर असर पड़ेगा. इसके बनने से शहर का प्रदूषण भी कमजोर पड़ेगा. लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) की प्रारंभिक रिपोर्ट में दावा है कि ग्रीन कॉरिडोर बनने से शहर का यातायात सुगम होने के साथ ही प्रदूषण का ग्राफ कम होगा. बढ़ती आबादी के लिए ग्रीन कॉरिडोर लाइफ लाइन साबित होगी.


ग्रीन काॉरिडोर बनेगा
गोमती नदी किनारे फोर लेन ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण से शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना आसान होगा. बिना शहर में प्रवेश किए सीधे ग्रीन कॉरिडोर के जरिए आईआईएम से शहीद पथ का सफर तय किया जा सकेगा. यही नहीं तीस मिनट में यह सफर तय किया जा सकेगा. वर्तमान में शहीद पथ से आईआईएम तक आने में डेढ़ घंटे तक लग जाते हैं. डीपीआर बना रही कंपनी ग्रीन कॉरिडोर के वर्तमान व भविष्य की संभावनाएं तलाशने के साथ ही यह भी देखेगी कि इस कॉरिडोर पर कितना ट्रैफिक लोड रहेगा, शहर के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में यह कैसे मददगार होगा और प्रदूषण पर कितना असर रहेगा.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण

पढ़ें- हारेगा कोरोना, जीतेंगे हम : विधायक पूरन प्रकाश की कहानी


पीआईयू करेगी प्रोजेक्ट की निगरानी
इस प्रोजेक्ट की नियमित निगरानी के लिए प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (Project implementation unit) यानी पीआईयू को भी अगले दो सप्ताह में बना लिया जाएगा. इसमें विशेषज्ञों को छह महीने के लिए सेवाओं में शामिल किया जाएगा. भर्ती के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने विज्ञापन भी निकाल दिया है. इनमें मुख्य अभियंता विद्युत सिंचाई, राजस्व अधिकारी के तौर पर रिटायर्ड आईएएस तथा मुख्य नगर नियोजक को रखा जाएगा. मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह की ओर इन पदों के लिए भर्ती निकाली गई है नौ जून को इंटरव्यू होगा.


बीस किमी के कॉरिडोर का जल्द शुरू होगा सर्वे
टाटा कंसल्टेंसी अब 20 किलोमीटर लंबे इस ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए साइट सर्वे शुरू करेगी. इसके आधार पर डीपीआर तैयार कर पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर अनुमति लेगी. इसके बाद डीपीआर फाइनल कर प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा. एलडीए ने मार्च में इस दिशा में कार्रवाई शुरू की थी. इस बीच कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से इसके कामों में गति नहीं आ पाई. प्राधिकरण ने इसकी ड्राइंग तथा डिजाइन तैयार कराने के लिए अप्रैल में देश विदेश की कंपनियों से टेंडर मांगा था. इसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई थी.


इन इलाकों को मिलेगा फायदा
ग्रीन कॉरिडोर के बनने से रायबरेली रोड, एसजीपीजीआई, तलीबाग, आशियाना, कानपुर रोड, एल्डिको, शहीद पथ, सीजी सिटी, अर्जुनगंज, अहमामऊ, सरसवा, मलेशेमऊ, मकदूमपुर, अंसल, गोमती नगर विस्तार, बसंत कुंज योजना, मडियांव, इस्माइलगंज, कमता, चिनहट, फैजाबाद रोड, इंदिरा नगर, दुबग्गा, हाजी कॉलोनी, आईआईएम सहित सीतापुर रोड पर बसी कॉलोनियों के साथ शहर की करीब बीस लाख से अधिक आबादी को फायदा पहुंचेगा.

लखनऊः राजधानी लखनऊ में हर तरफ बने फ्लाईओवर, आउटर रिंग रोड व किसान पथ के बाद न्यू लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर(new lucknow green corridor) बनने से ट्रैफिक की समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी. इससे करीब तीस फीसदी ट्रैफिक पर असर पड़ेगा. इसके बनने से शहर का प्रदूषण भी कमजोर पड़ेगा. लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) की प्रारंभिक रिपोर्ट में दावा है कि ग्रीन कॉरिडोर बनने से शहर का यातायात सुगम होने के साथ ही प्रदूषण का ग्राफ कम होगा. बढ़ती आबादी के लिए ग्रीन कॉरिडोर लाइफ लाइन साबित होगी.


ग्रीन काॉरिडोर बनेगा
गोमती नदी किनारे फोर लेन ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण से शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना आसान होगा. बिना शहर में प्रवेश किए सीधे ग्रीन कॉरिडोर के जरिए आईआईएम से शहीद पथ का सफर तय किया जा सकेगा. यही नहीं तीस मिनट में यह सफर तय किया जा सकेगा. वर्तमान में शहीद पथ से आईआईएम तक आने में डेढ़ घंटे तक लग जाते हैं. डीपीआर बना रही कंपनी ग्रीन कॉरिडोर के वर्तमान व भविष्य की संभावनाएं तलाशने के साथ ही यह भी देखेगी कि इस कॉरिडोर पर कितना ट्रैफिक लोड रहेगा, शहर के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में यह कैसे मददगार होगा और प्रदूषण पर कितना असर रहेगा.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण

पढ़ें- हारेगा कोरोना, जीतेंगे हम : विधायक पूरन प्रकाश की कहानी


पीआईयू करेगी प्रोजेक्ट की निगरानी
इस प्रोजेक्ट की नियमित निगरानी के लिए प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (Project implementation unit) यानी पीआईयू को भी अगले दो सप्ताह में बना लिया जाएगा. इसमें विशेषज्ञों को छह महीने के लिए सेवाओं में शामिल किया जाएगा. भर्ती के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने विज्ञापन भी निकाल दिया है. इनमें मुख्य अभियंता विद्युत सिंचाई, राजस्व अधिकारी के तौर पर रिटायर्ड आईएएस तथा मुख्य नगर नियोजक को रखा जाएगा. मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह की ओर इन पदों के लिए भर्ती निकाली गई है नौ जून को इंटरव्यू होगा.


बीस किमी के कॉरिडोर का जल्द शुरू होगा सर्वे
टाटा कंसल्टेंसी अब 20 किलोमीटर लंबे इस ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए साइट सर्वे शुरू करेगी. इसके आधार पर डीपीआर तैयार कर पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर अनुमति लेगी. इसके बाद डीपीआर फाइनल कर प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा. एलडीए ने मार्च में इस दिशा में कार्रवाई शुरू की थी. इस बीच कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से इसके कामों में गति नहीं आ पाई. प्राधिकरण ने इसकी ड्राइंग तथा डिजाइन तैयार कराने के लिए अप्रैल में देश विदेश की कंपनियों से टेंडर मांगा था. इसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई थी.


इन इलाकों को मिलेगा फायदा
ग्रीन कॉरिडोर के बनने से रायबरेली रोड, एसजीपीजीआई, तलीबाग, आशियाना, कानपुर रोड, एल्डिको, शहीद पथ, सीजी सिटी, अर्जुनगंज, अहमामऊ, सरसवा, मलेशेमऊ, मकदूमपुर, अंसल, गोमती नगर विस्तार, बसंत कुंज योजना, मडियांव, इस्माइलगंज, कमता, चिनहट, फैजाबाद रोड, इंदिरा नगर, दुबग्गा, हाजी कॉलोनी, आईआईएम सहित सीतापुर रोड पर बसी कॉलोनियों के साथ शहर की करीब बीस लाख से अधिक आबादी को फायदा पहुंचेगा.

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