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हर उम्र के लोगों को हो रही हड्डियों के दर्द की समस्या, जानें क्या है वजह

हर साल 20 अक्टूबर को वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण और उपचार के बारे में जागरूक करना है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो दबे पांव आती है और हमारे पूरे शरीर को खोखला कर देती है.

जानें क्या है वजह
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Published : Oct 20, 2021, 1:15 PM IST

लखनऊ: बदलते समय में हमारे आसपास काफी कुछ बदल रहा है. हमारी लाइफ स्टाइल, खाने-पीने की आदतें और उम्र के हिसाब से हमारे शरीर की जरूरतें भी. ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी में हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं. जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ने लगती है. अब इस बीमारी का असर कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रहा है.


बलरामपुर अस्पताल के आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉ. जीपी गुप्ता बताते हैं कि 'ऑस्टियो' का मतलब हड्डी व 'पोरोसिस' का मतलब छिद्रों से भरा हुआ. ऑस्टियोपोरोसिस शब्द ग्रीक एवं लैटिन भाषा है. हड्डी एक जीवित अंग है, जीवन भर पुरानी हड्डी गलती जाती है व नई बनती जाती है. जब कई कारणों से गलन की रफ्तार अधिक हो जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस या अस्थिभंगुरता हो जाती है. इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व (लंबाई, मोटाई, चौड़ाई) कम हो जाता है. बचपन में 20 साल की उम्र तक नई हड्डी बनने की रफ्तार ज्यादा होती है व पुरानी हड्डी गलने की कम होती है. फलस्वरूप हड्डियों का घनत्व ज्यादा होता है और वे मजबूत होती हैं. 30 साल की उम्र तक आते-आते हड्डियों का गलना (क्षीण होना) बढ़ने लगता है व नई हड्डी बनने की रफ्तार कम होने लगती है. यह बढ़ती उम्र की नियमित प्रक्रिया है.

डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि निष्क्रिय जीवनशैली वाले उम्रदराज लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा सर्वाधिक है. मोटापा तो हड्डियों का दुश्मन है ही, इसके अलावा सबसे ज्यादा खतरा है दुबले लोगों को. अगर उनका वजन लंबाई के मुकाबले कम हो और मसल मास बहुत कम हो तो उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.

डॉ. जीपी गुप्ता, आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट, बलरामपुर अस्पताल
महिलाएं ज्यादा होती हैं इस बीमारी की शिकारडॉ. जीपी ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस चालीस की उम्र के बाद महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है. डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च के मुताबिक प्रदेश में हर 3 में 1 महिला और 8 में एक पुरुष इस बीमारी से पीड़ित हैं. रोजाना महिला पुरुष जोड़कर 10 मरीज हड्डियों से पीड़ित अस्पताल में इलाज के लिए आते है. अगर आपकी उम्र 40 के पार है और कमर दर्द, शरीर में दर्द या हल्की चोट पर भी फ्रैक्चर होने की शिकायत है तो बोन डेंसिटी टेस्ट (बीडीटी) करवाएं है. इसे डेक्सास्कैन कहते हैं. डेक्सा का मतलब ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्सॉर्पटीओमेट्री है. इस तरह के स्कैन को एडीएक्सए स्कैन भी कहा जाता है. केवल दर्द की आम समस्या है तो भी विशेषज्ञ की सलाह से टेस्ट करवा लेना चाहिए. जरूरी नहीं है कि हर दर्द ऑस्टियोपोरोसिस या ऑर्थराइटिस का ही हो, लेकिन टेस्ट से भविष्य की समस्याओं से बचा जा सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में मेडिकल और नॉन मेडिकल दोनों पहलुओं का ध्यान रखा जाता है. मेडिकल में दवाएं, इंजेक्शन और सर्जरी शामिल हैं, जबकि नॉन मेडिकल में हड्डियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट पर फोकस किया जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण
  • महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना या मीनोपॉज की स्थिति
  • स्मोकिंग
  • डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियां
  • दवाएं (दौरे की दवाएं, स्टेरॉयड आदि)
  • विटामिन डी की कमी
  • बढ़ती उम्र भी है एक वजह
  • बच्चों का बहुत ज्यादा सॉफ्ट
  • जेनेटिक फैक्टर

लखनऊ: बदलते समय में हमारे आसपास काफी कुछ बदल रहा है. हमारी लाइफ स्टाइल, खाने-पीने की आदतें और उम्र के हिसाब से हमारे शरीर की जरूरतें भी. ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी में हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं. जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ने लगती है. अब इस बीमारी का असर कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रहा है.


बलरामपुर अस्पताल के आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉ. जीपी गुप्ता बताते हैं कि 'ऑस्टियो' का मतलब हड्डी व 'पोरोसिस' का मतलब छिद्रों से भरा हुआ. ऑस्टियोपोरोसिस शब्द ग्रीक एवं लैटिन भाषा है. हड्डी एक जीवित अंग है, जीवन भर पुरानी हड्डी गलती जाती है व नई बनती जाती है. जब कई कारणों से गलन की रफ्तार अधिक हो जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस या अस्थिभंगुरता हो जाती है. इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व (लंबाई, मोटाई, चौड़ाई) कम हो जाता है. बचपन में 20 साल की उम्र तक नई हड्डी बनने की रफ्तार ज्यादा होती है व पुरानी हड्डी गलने की कम होती है. फलस्वरूप हड्डियों का घनत्व ज्यादा होता है और वे मजबूत होती हैं. 30 साल की उम्र तक आते-आते हड्डियों का गलना (क्षीण होना) बढ़ने लगता है व नई हड्डी बनने की रफ्तार कम होने लगती है. यह बढ़ती उम्र की नियमित प्रक्रिया है.

डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि निष्क्रिय जीवनशैली वाले उम्रदराज लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा सर्वाधिक है. मोटापा तो हड्डियों का दुश्मन है ही, इसके अलावा सबसे ज्यादा खतरा है दुबले लोगों को. अगर उनका वजन लंबाई के मुकाबले कम हो और मसल मास बहुत कम हो तो उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.

डॉ. जीपी गुप्ता, आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट, बलरामपुर अस्पताल
महिलाएं ज्यादा होती हैं इस बीमारी की शिकारडॉ. जीपी ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस चालीस की उम्र के बाद महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है. डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च के मुताबिक प्रदेश में हर 3 में 1 महिला और 8 में एक पुरुष इस बीमारी से पीड़ित हैं. रोजाना महिला पुरुष जोड़कर 10 मरीज हड्डियों से पीड़ित अस्पताल में इलाज के लिए आते है. अगर आपकी उम्र 40 के पार है और कमर दर्द, शरीर में दर्द या हल्की चोट पर भी फ्रैक्चर होने की शिकायत है तो बोन डेंसिटी टेस्ट (बीडीटी) करवाएं है. इसे डेक्सास्कैन कहते हैं. डेक्सा का मतलब ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्सॉर्पटीओमेट्री है. इस तरह के स्कैन को एडीएक्सए स्कैन भी कहा जाता है. केवल दर्द की आम समस्या है तो भी विशेषज्ञ की सलाह से टेस्ट करवा लेना चाहिए. जरूरी नहीं है कि हर दर्द ऑस्टियोपोरोसिस या ऑर्थराइटिस का ही हो, लेकिन टेस्ट से भविष्य की समस्याओं से बचा जा सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में मेडिकल और नॉन मेडिकल दोनों पहलुओं का ध्यान रखा जाता है. मेडिकल में दवाएं, इंजेक्शन और सर्जरी शामिल हैं, जबकि नॉन मेडिकल में हड्डियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट पर फोकस किया जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण
  • महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना या मीनोपॉज की स्थिति
  • स्मोकिंग
  • डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियां
  • दवाएं (दौरे की दवाएं, स्टेरॉयड आदि)
  • विटामिन डी की कमी
  • बढ़ती उम्र भी है एक वजह
  • बच्चों का बहुत ज्यादा सॉफ्ट
  • जेनेटिक फैक्टर
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