लखनऊ: आयकर विभाग में फर्जी इंटरव्यू व जाली नियुक्ति पत्र बांटने वाली महाठग प्रियंका मिश्रा दो चार नहीं बल्कि 113 लोगों को नौकरी के नाम चूना लगा चुकी है. कभी आयकर विभाग में संविदा पर काम कर चुकी प्रियंका ने ठगी के लिए जालसाजी का पूरा गैंग तैयार किया था. उसके केंद्र व राज्यों के सरकारी विभाग में फैले नेक्सस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने तीन युवकों को पैसे लेकर संविदा में जॉब भी दिलवा दी थी. हालांकी ठग प्रियंका अब जेल में सलाखें गिन रही और पुलिस उसके पूरे नेक्सेज को खंगालने में जुटी है।
पत्रकार, वकील व कर्मचारियों का बना रखा था गैंग : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के प्रवक्ता व डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक (Lucknow Police Commissionerate Spokesperson and DCP Central Aparna Rajat Kaushik) ने बताया कि ठग प्रियंका मिश्रा के सरपरस्त के साथ-साथ उन लोगों की भी तलाश की जा रही है कि जिनके जरिए यह जालसाजी का गिरोह चला रही थी. प्रियंका ने अपने गैंग में तथाकथित मीडियाकर्मियों, वकीलों, पूर्व व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों को भर्ती कर रखा था. उसने सभी को उनकी भूमिका समझा रखी थी. जिसमें पत्रकारों व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों की मदद से कार्यालयों में एन्ट्री करती थी. पूर्व सरकारी कर्मचारी उसे अधिकारीयों की डिटेल, गोपनीय जानकारी मुहैया कराते थे. इसके अलावा वकील का वह उस वक्त प्रयोग करती थी, जब वह पुलिस के चुंगल में फंस जाती थी.
प्लान A व B पर करती थी काम : डीसीपी अपर्णा के मुताबिक (According to DCP Aparna) पूछताछ व जांच में सामने आया है कि प्रियंका हमेशा प्लान ए और बी पर काम करती थी. फर्जीवाड़े में फंसने पर वह प्लान बी का यूज कर बच निकलती थी. विभाग में भी उसकी मजबूत पकड़ थी. ऐसे में संभव है कि उसके सरपरस्त हैं, जिनकी कुंडली खंगाली जा रही है. उनकी टीम ने गैंग के कई सदस्यों को ट्रेस कर किया है, जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी. प्रियंका अलग-अलग विभागों का अधिकारी बन कर सरकारी नौकरी देने के नाम पर युवक युवतियों से 50 हजार से लेकर 15 लाख तक लेती थी. पश्चिमी यूपी के युवकों से 15 लाख रुपये तक वसूले थे. कुछ लोगों से पचास हजार से एक लाख तक ही पैसा लिया गया था. वह संविदा कर्मियों को नियमित कराने का भी ठेका लेती थी, अब तक तीन लोग ऐसे सामने आए हैं, जिनसे नियमित कराने के नाम पर पैसा वसूला गया और उन्हें संविदा में नौकरी दिलाई गई. तीनों को सरकारी विभाग के कर्मचारियों ने ही प्रियंका से मिलवाया था.
इंजीनियर से बनी महाठग : आयकर विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर फर्जी नौकरी देने वाली प्रियंका मिश्रा शार्ट कट से जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमाना चाहती थी. इसके लिए वह बीटेक करने के बाद इंजीनियर बनी और उसके बाद बन गई फर्जी सहायक कर आयुक्त. एक साल तक आयकर विभाग में संविदा पर नौकरी करने वाली प्रियंका इतनी शातिर है कि उसने आयकर भवन में काम करने के दौरान इनकम टैक्स अधिकारियों के काम व बात करने के हर तौर तरीकों को सीख लिया था. यहां तक वह ऐसे पेश आती थी कि जैसे वह सच में आयकर अधिकारी हो.
दरअसल, यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली प्रियंका मिश्रा (30) बीते दिनों लखनऊ स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिए फर्जी इंटरव्यू लेते हुए पकड़ी गई थी. प्रियंका मिश्रा ने इनकम टैक्स ऑफिस की कैंटीन में अभ्यार्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था. गिरफ्तारी के बाद प्रियंका से हुई पूछताछ के आधार पर डीसीपी ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने कबूल किया कि उसने आयकर विभाग के सहारे पैसे कमाने के लिए लखनऊ में आयकर विभाग में संविदा के पद पर नौकरी की थी. यहां अधिकारियों के तौर तरीकों को सीखने के साथ साथ वह सभी के नाम और डिटेल का डाटा बेस बनाने लगी थी. इसी दौरान प्रियंका ने खुद को सहायक कर आयुक्त बताना शुरू कर दिया. वह लोगों से ये बताने लगी कि उसके संपर्क दिल्ली स्थित आयकर विभाग के अधिकारियों से हैं. जिससे वो किसी की भी नौकरी लगवा सकती है. जब उसके पास नौकरी के लिए सिफारिशें आने लगीं तो संविदा की नौकरी छोड़ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.
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