लखनऊ: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने यूपी में समूह ख और ग की नौकरियों में पांच साल के लिए संविदा प्रणाली लागू करने पर प्रदेश की योगी सरकार पर प्रहार किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि संविदा मतलब 'नौकरियों से सम्मान विदा'. प्रियंका ने इसे प्रदेश के युवाओं का अपमान कानून करार दिया. उनका कहना है कि पांच साल की संविदा मतलब 'युवा अपमान कानून' है.
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संविदा = नौकरियों से सम्मान विदा
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5 साल की संविदा= युवा अपमान कानून
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के कानून पर अपनी तीखी टिप्पणी की है।
इस सिस्टम को लाने का उद्देश्य क्या है? सरकार युवाओं के दर्द पर मरहम न लगाकर दर्द बढ़ाने की योजना ला रही है।#नहीं_चाहिए_संविदा
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— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 15, 2020
5 साल की संविदा= युवा अपमान कानून
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के कानून पर अपनी तीखी टिप्पणी की है।
इस सिस्टम को लाने का उद्देश्य क्या है? सरकार युवाओं के दर्द पर मरहम न लगाकर दर्द बढ़ाने की योजना ला रही है।#नहीं_चाहिए_संविदासंविदा = नौकरियों से सम्मान विदा
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5 साल की संविदा= युवा अपमान कानून
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के कानून पर अपनी तीखी टिप्पणी की है।
इस सिस्टम को लाने का उद्देश्य क्या है? सरकार युवाओं के दर्द पर मरहम न लगाकर दर्द बढ़ाने की योजना ला रही है।#नहीं_चाहिए_संविदा
प्रियंका गांधी ने इस कानून पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के कानून पर तीखी टिप्पणी की है. इस सिस्टम को लाने का उद्देश्य क्या है. सरकार युवाओं के दर्द पर मरहम न लगाकर दर्द बढ़ाने की योजना ला रही है, नहीं चाहिए संविदा. प्रियंका के इस ट्वीट का कांग्रेसी तो समर्थन कर ही रहे हैं, वहीं प्रदेश के युवा भी उन्हें सही ठहरा रहे हैं.
बता दें कि प्रदेश की योगी सरकार समूह ख और ग की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने का प्लान बना रही है. प्रस्तावित व्यवस्था में चयनित होने के बाद शुरुआती पांच वर्ष तक कर्मचारी को संविदा के आधार पर तैनाती दी जाएगी. इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ भी प्राप्त नहीं होंगे. पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे. उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी.
नई व्यवस्था में तय फार्मूले पर चयनित हुए लोगों का छमाही मूल्यांकन होगा. इसमें प्रतिवर्ष 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते जाएंगे. वहीं जो कर्मचारी पांच साल की सेवा तय शर्तों के साथ पूरी कर सकेंगे, उन्हें नियमित नियुक्ति प्रदान की जाएगी. वर्तमान में संविदा पर नौकरी पाए लोग वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में कार्य करते हैं. नियमित होने पर वह नियमानुसार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं. प्रस्तावित पांच वर्ष की संविदा भर्ती और इसके बाद मौलिक नियुक्ति की कार्रवाई से समूह ख और ग की पूरी भर्ती प्रक्रिया में ही बड़ा बदलाव हो जाएगा. इसे लेकर ही प्रियंका ने योगी सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं.