लखनऊः प्रदेश सरकार के कक्षा 12 तक की ऑनलाइन क्लासेस बंद करने के फैसले के खिलाफ निजी स्कूल संगठन की ओर से सवाल खड़े किए गए हैं. इस फैसले को गलत बताते हुए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित किए जाने की बात कही गई है. अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने सवाल खड़ा किया है कि जब ऑनलाइन फूड डिलीवरी और शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो ऑनलाइन क्लासेस क्यों नहीं हो सकती. उनका कहना है कि सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
इसलिए हो रहा है विवाद
राजधानी लखनऊ में बीते कुछ दिनों से सरकार के आदेश के बाद भी लगातार स्कूलों के द्वारा ऑनलाइन क्लासेज चलाए जाने की शिकायतें सामने आ रही थीं. इसको देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बुधवार को शासन के आदेश का हवाला देते हुए क्लासेस बंद करने को कहा. जिसके बाद यह विवाद खड़ा हुआ है. डीआईओएस का आदेश सामने आने के बाद निजी स्कूल प्रबंधन की तरफ से इस पर सवाल खड़े किए गए हैं.
बच्चों के लिए बेहतर हैं यह कक्षाएं
अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि बीते एक वर्ष से बच्चे घरों में कैद हैं. तनाव की स्थितियां हैं. ऐसे में एक-दो घंटे की ऑनलाइन क्लास करने से बच्चों को कुछ नया सीखने का मौका मिलता है. मानसिक रूप से मजबूत होते हैं. उनका कहना है कि सरकार को अपने इस आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए. ऐसा नहीं होता है तो निजी स्कूल भी अपने स्तर पर कठोर कदम उठा सकते हैं.
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यह है सरकार के आदेश
- 20 मई तक सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद रहेंगे.
- किसी भी छात्र, शिक्षक या कर्मचारी को संबंधित शिक्षण संस्थान परिसर में भी नहीं बुलाया जाएगा.
- इस दौरान ऑनलाइन कक्षाएं भी पूरी तरह से बंद रहेंगी.