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लखनऊ विश्वविद्यालय: इंटरनल असेसमेंट में निजी कॉलेजों ने खूब बांटे नंबर - lu

लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े निजी कॉलेजों ने इस बार कोरोना संक्रमण का खूब फायदा उठाया. आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर अपने छात्रों को खूब अंक बांटे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी किए गए नतीजों में यह स्थिति खुलकर सामने आई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Aug 21, 2021, 2:08 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े निजी कॉलेजों ने इस बार कोरोना संक्रमण का खूब फायदा उठाया. आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर अपने छात्रों को खूब अंक बांटे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी किए गए नतीजों में यह स्थिति खुलकर सामने आई है. राजकीय और सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों द्वारा भेजे गए आंतरिक मूल्यांकन के अंक जहां सामान्य हैं तो वहीं निजी कॉलेजों के स्तर पर खुले हाथ से अंक दिए गए. आंतरिक मूल्यांकन के 20 में 18-19 औसत अंक बांटे गए.

बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार भी बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट करने का फैसला लिया गया है. सिर्फ अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं की परीक्षा कराई जा रही है. ऐसे में प्रमोशन का आधार कॉलेजों के स्तर पर होने वाले आंतरिक मूल्यांकन को बनाया गया है. इसका शहर के कई निजी स्कूलों ने काफी लाभ उठाया.

  • कई कॉलेजों के 12 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को 600 में से 600 अंक मिले हैं. यह इसलिए हुआ, क्योंकि आंतरिक मूल्यांकन में कॉलेजों के स्तर पर इन्हें 20 में 20 अंक दिए गए थे.
  • इसी तरह बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को 600 में से 585 अंक मिले हैं. इन्हें आमतौर पर कॉलेजों के स्तर को 19 अंक दिए गए हैं.
  • स्वतंत्र डिग्री कॉलेज में बी.कॉम में क्रम से छात्रों को 570 और 600 अंक दिए गए. इसी तरह महावीर प्रसाद डिग्री कॉलेज में एक ही क्रम में 570 अंक दिए गए. बोरा इंस्टीट्यूट और यूनिटी कॉलेज में भी इस तरह के ही नतीजे देखने को मिले, जबकि राजकीय और ऐडेड कॉलेजों में यह औसतन 300 से 400 के बीच में है.

एलयू और सरकारी कॉलेजों के छात्रों को नुकसान
निजी कॉलेजों के इस तरह से अंक बांटने का सबसे ज्यादा नुकसान लखनऊ विश्वविद्यालय और राजकीय एवं ऐडेड कॉलेजों में पढ़ने वाले होनहार छात्र-छात्राओं को होने वाला है. छात्र महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि छात्रों के बीच में अंकों की एक बड़ी खाई बना दी गई है. लखनऊ विश्वविद्यालय में मेहनत करके पहुंचने वाले छात्र निजी कॉलेज प्रशासन की इस कारगुजारी के कारण हीन भावना का शिकार हो रहे हैं. एक ओर जहां दिन-रात मेहनत करने के बाद भी अंक नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बिना कुछ किए ही अंक बांटे जा रहे हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है. उनकी मानें तो पिछले वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ.

आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर दिए अंक, होगी जांच
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह अंक कॉलेजों की स्तर पर किए गए आंतरिक मूल्यांकन के नतीजों के आधार पर दिए गए हैं. सभी कॉलेज प्रशासन को आंतरिक मूल्यांकन से जुड़े दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं. इनकी जांच की जाएगी. वहीं परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर एएम सक्सेना ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर इन अंकों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया. जिन भी कॉलेजों की शिकायत आ रही है, उन सभी के दस्तावेज जांच करने की व्यवस्था लागू कर दी गई है.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े निजी कॉलेजों ने इस बार कोरोना संक्रमण का खूब फायदा उठाया. आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर अपने छात्रों को खूब अंक बांटे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी किए गए नतीजों में यह स्थिति खुलकर सामने आई है. राजकीय और सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों द्वारा भेजे गए आंतरिक मूल्यांकन के अंक जहां सामान्य हैं तो वहीं निजी कॉलेजों के स्तर पर खुले हाथ से अंक दिए गए. आंतरिक मूल्यांकन के 20 में 18-19 औसत अंक बांटे गए.

बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार भी बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट करने का फैसला लिया गया है. सिर्फ अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं की परीक्षा कराई जा रही है. ऐसे में प्रमोशन का आधार कॉलेजों के स्तर पर होने वाले आंतरिक मूल्यांकन को बनाया गया है. इसका शहर के कई निजी स्कूलों ने काफी लाभ उठाया.

  • कई कॉलेजों के 12 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को 600 में से 600 अंक मिले हैं. यह इसलिए हुआ, क्योंकि आंतरिक मूल्यांकन में कॉलेजों के स्तर पर इन्हें 20 में 20 अंक दिए गए थे.
  • इसी तरह बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को 600 में से 585 अंक मिले हैं. इन्हें आमतौर पर कॉलेजों के स्तर को 19 अंक दिए गए हैं.
  • स्वतंत्र डिग्री कॉलेज में बी.कॉम में क्रम से छात्रों को 570 और 600 अंक दिए गए. इसी तरह महावीर प्रसाद डिग्री कॉलेज में एक ही क्रम में 570 अंक दिए गए. बोरा इंस्टीट्यूट और यूनिटी कॉलेज में भी इस तरह के ही नतीजे देखने को मिले, जबकि राजकीय और ऐडेड कॉलेजों में यह औसतन 300 से 400 के बीच में है.

एलयू और सरकारी कॉलेजों के छात्रों को नुकसान
निजी कॉलेजों के इस तरह से अंक बांटने का सबसे ज्यादा नुकसान लखनऊ विश्वविद्यालय और राजकीय एवं ऐडेड कॉलेजों में पढ़ने वाले होनहार छात्र-छात्राओं को होने वाला है. छात्र महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि छात्रों के बीच में अंकों की एक बड़ी खाई बना दी गई है. लखनऊ विश्वविद्यालय में मेहनत करके पहुंचने वाले छात्र निजी कॉलेज प्रशासन की इस कारगुजारी के कारण हीन भावना का शिकार हो रहे हैं. एक ओर जहां दिन-रात मेहनत करने के बाद भी अंक नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बिना कुछ किए ही अंक बांटे जा रहे हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है. उनकी मानें तो पिछले वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ.

आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर दिए अंक, होगी जांच
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह अंक कॉलेजों की स्तर पर किए गए आंतरिक मूल्यांकन के नतीजों के आधार पर दिए गए हैं. सभी कॉलेज प्रशासन को आंतरिक मूल्यांकन से जुड़े दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं. इनकी जांच की जाएगी. वहीं परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर एएम सक्सेना ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर इन अंकों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया. जिन भी कॉलेजों की शिकायत आ रही है, उन सभी के दस्तावेज जांच करने की व्यवस्था लागू कर दी गई है.

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