लखनऊ: विगत दो वर्ष में कोरोना ने उत्तर प्रदेश में पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है. कोरोना को लेकर पर्यटन स्थलों पर पाबंदियों के चलते सैलानियों की आमद न के बराबर थी. स्वाभाविक है कि इस आपदा का सबसे ज्यादा असर इसी उद्योग पर हुआ. इस दौरान उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकारों द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या और काशी सहित विभिन्न स्थानों पर विकास कार्य किए जा रहे हैं. इन्हीं सब विषयों को लेकर ETV BHARAT से वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और पर्यटन व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बातचीत की. पेश हैं प्रमुख अंश...
पिछले दो वर्ष में कोरोना के कारण पर्यटन उद्योग को हुए नुकसान के विषय में मुकेश मेश्राम कहते हैं कि इस दौरान पर्यटकों का आवागमन अवरुद्ध रहा. विमानन सेवाओं के बाधित रहने के कारण अंतरराष्ट्रीय पर्यटक नहीं आ सके. होटल उद्योग भी काफी प्रभावित रहा. प्रदेश में बुद्धिस्ट सर्किट में कई ऐसे स्थान हैं, जहां विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं. कोरोना वेव कम होने पर थोड़े-बहुत पर्यटक जरूर आए, लेकिन उनकी संख्या काफी कम थी. अब जो पर्यटक आ रहे हैं, उन्होंने ओपन जगहों पर जाना शुरू किया है. इनमें खासतौर पर वन क्षेत्रों और पक्षी विहार आदि में. कुल मिलाकर पर्यटन काफी प्रभावित रहा है. विगत वर्षों के मुकाबले एक चौथाई ही पर्यटक आए हैं.
मुकेश मेश्राम कहते हैं कि इस पूरे समय को हमने बहुत ही खूबसूरती के साथ अपनी प्लानिंग करने में, पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ उत्तर प्रदेश की मार्केटिंग और ब्रांडिंग करने में हम लोगों ने विशेष रुचि लेते हुए एक होमवर्क किया है. वर्तमान सरकार का पर्यटन को लेकर विशेष जोर है. पर्यटन के माध्यम से हम आजीविका के साधन तो सृजित करते ही हैं, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होती है. पर्यटकों से हमें टैक्स और जीएसटी मिलता है. पिछले समय में हमने काफी काम किया. हमने प्रदेश के 12 परिपथ या सर्किटों से जुड़े पर्यटन स्थलों में 'गैप एनालिसिस' किया कि वर्तमान समय में वहां किन सुविधाओं की कमी है. उन सुविधाओं पर हमने अच्छी धनराशि खर्च की है. सरकार ने पर्यटन के बजट में तीन गुना वृद्धि की है. पर्यटन संवर्धन योजना के तहत हर विधायक को अवसर प्रदान किया गया है कि वह अपने क्षेत्र में कोई भी धार्मिक या आध्यात्मिक स्थल चिह्नित कर लें.
प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम कहते हैं कि बुंदेलखंड की विरासतों के लिए हमने बुंदेलखंड सर्किट बनाया है. वहां एक तो पौराणिक स्थल हैं और दूसरे वीरों की गाथाओं को सहेजे हुए स्थल हैं. वहां वन्यजीवों और इको टूरिज्म से जुड़े हुए स्थल भी हैं. इन स्थलों को चिह्नित करते हुए हम काफी काम कर रहे हैं. हम चित्रकूट से लेकर बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, उरई, ललितपुर और झांसी आदि जिलों काफी काम किए जा रहे हैं.
अयोध्या और बनारस में किए जा रहे विकास कार्यों को लेकर मेश्राम कहते हैं कि अयोध्या को विश्व स्तरीय पर्यटक स्थल के तौर पर हम देखना चाह रहे हैं. अयोध्या जैसा कोई नहीं. कुछ समय बाद लोग ऐसा महसूस कर सकेंगे. इसके लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार हो रहा है आवास विभाग के जरिए. एक अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंसी को हायर किया गया है. जो वैदिक आर्किटेक्चर पर काम कर रहे हैं. उस समय की स्थितियों को हम कैसे वर्तमान धरातल पर उतारें, इसके लिए एक बड़ा प्लान वहां पर बनाया जा रहा है, जिससे वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर वहां की संरचनाएं निर्मित हों.
पर्यटकों के लिए पार्किंग सुविधाओं का विकास, भव्य म्यूजियम का विकास, सरयू के घाटों का विकास, नदी में रामायण क्रूज संचालित करने की भी योजना है, जिसमें संगीत व अन्य माध्यमों से लोगों को कथा सुनाई जाएगी, चौराहों को वहां से जुड़ी थीम के आधार पर विकसित करना आदि हमारे प्लान में शामिल है. रामायणकालीन हमारे जितने भी पात्र रहे हैं, जिनसे युवा प्रेरणा ले सकते हैं, जिनसे जीवन मूल्यों की प्रेरणा दी जा सकती है, ऐसे पात्रों को हम अलग-अलग जगह पर स्थापित करेंगे. हम बहुत सारे भजन कंपोज करने जा रहे हैं, जो घाटों और गलियों में हमेशा सुनाई देंगे. ऐसे ही वाराणसी में हमने दो क्रूस प्राप्त किए हैं, जिन्हें हम बनारस से लेकर विंध्याचल तक संचालित करेंगे. वहां भी इसी तरह के तमाम विकास कार्य चल रहे हैं.