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लखनऊ: तराई क्षेत्रों में होते हैं मलेरिया के अधिक मच्छर, रखें साफ-सफाई

बदलते मौसम के साथ मच्छरों का पनपना भी बढ़ता जा रहा है. मलेरिया के मच्छर तराई क्षेत्रों में सबसे अधिक पनपते हैं. मच्छरों को रोकने के लिए बाजार में तरह-तरह के एंटी मॉस्किटो रिपेलेंट मौजूद हैं. वहीं सीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए हर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डेस्क बनाई गई है.

तराई क्षेत्रों में सबसे अधिक पाए जाते हैं मलेरिया के मच्छर
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Published : Apr 26, 2019, 4:57 AM IST

लखनऊ: बदलते मौसम में जहां बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं मच्छरों का पनपना भी बढ़ता जा रहा है. मच्छरों को रोकने के लिए बाजार में तमाम तरह-तरह के एंटी मॉस्किटो रिपेलेंट मौजूद हैं. वहीं मलेरिया के मच्छरों की बात की जाए तो तराई के क्षेत्रों में सबसे अधिक पनपते हैं, क्योंकि वहां पर पानी निकलने के समुचित उपाय नहीं होते हैं.

तराई क्षेत्रों में सबसे अधिक पाए जाते हैं मलेरिया के मच्छर

उत्तर प्रदेश संचारी रोग प्रभा के निदेशक डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी का कहना है कि मच्छर या किसी भी तरह के वेक्टर बांड बीमारियां तभी उत्पन्न होती हैं, जब उन्हें उनकी मनचाहे सरकमस्टेंसस मिलते हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुल 20 जिले ऐसे हैं, जहां मलेरिया होने की संभावनाएं अधिक होती हैं.


वहीं स्टेट मलेरिया ऑफिसर डॉ. अवधेश यादव का कहना है कि पिछले 10 वर्षो की अपेक्षा वर्ष 2018 में बरेली, बदायूं, मिर्जापुर, भदोही, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, पीलीभीत जैसी जगहों पर सबसे अधिक मलेरिया के मरीजों की संख्या आंकी गई थी.

वहीं रोकथाम के उपायों पर लखनऊ के सीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए हर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डेस्क बनाई गई है. लैब टेक्नीशियन और लैब असिस्टेंट को मलेरिया बुखार से पीड़ित हर व्यक्ति के खून की जांच की ट्रेनिंग दी गई है और इसके अलावा कई अन्य उपाय भी किए गए हैं.

लखनऊ: बदलते मौसम में जहां बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं मच्छरों का पनपना भी बढ़ता जा रहा है. मच्छरों को रोकने के लिए बाजार में तमाम तरह-तरह के एंटी मॉस्किटो रिपेलेंट मौजूद हैं. वहीं मलेरिया के मच्छरों की बात की जाए तो तराई के क्षेत्रों में सबसे अधिक पनपते हैं, क्योंकि वहां पर पानी निकलने के समुचित उपाय नहीं होते हैं.

तराई क्षेत्रों में सबसे अधिक पाए जाते हैं मलेरिया के मच्छर

उत्तर प्रदेश संचारी रोग प्रभा के निदेशक डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी का कहना है कि मच्छर या किसी भी तरह के वेक्टर बांड बीमारियां तभी उत्पन्न होती हैं, जब उन्हें उनकी मनचाहे सरकमस्टेंसस मिलते हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुल 20 जिले ऐसे हैं, जहां मलेरिया होने की संभावनाएं अधिक होती हैं.


वहीं स्टेट मलेरिया ऑफिसर डॉ. अवधेश यादव का कहना है कि पिछले 10 वर्षो की अपेक्षा वर्ष 2018 में बरेली, बदायूं, मिर्जापुर, भदोही, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, पीलीभीत जैसी जगहों पर सबसे अधिक मलेरिया के मरीजों की संख्या आंकी गई थी.

वहीं रोकथाम के उपायों पर लखनऊ के सीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए हर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डेस्क बनाई गई है. लैब टेक्नीशियन और लैब असिस्टेंट को मलेरिया बुखार से पीड़ित हर व्यक्ति के खून की जांच की ट्रेनिंग दी गई है और इसके अलावा कई अन्य उपाय भी किए गए हैं.

Intro:लखनऊ। बदलते मौसम में जहां बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है वहीं मच्छरों का पनपना भी बढ़ता जा रहा है। मच्छरों को रोकने के लिए बाजार में तमाम तरह के एंटी मॉस्किटो रिपलेंट भी मौजूद है लेकिन इनके दिन प्रतिदिन इस्तेमाल से मच्छर पहले से और अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। संचारी रोग विशेषज्ञों ने इन मच्छरों के बढ़ने के कारण और रोकथाम के बारे में हम से बात की।


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उत्तर प्रदेश संचारी रोग प्रभा के निदेशक डॉ मिथिलेश चतुर्वेदी कहती है कि मच्छर या किसी भी तरह के वेक्टर बांड बीमारियां तभी उत्पन्न होती है जब उन्हें उनकी मनचाहे सरकमस्टेंसस मिलते हैं मलेरिया के मच्छरों की बात की जाए तो तराई के क्षेत्रों में सबसे अधिक पनपते हैं क्योंकि वहां पर पानी निकलने के समुचित उपाय नहीं किए जा पाते डॉक्टर मिथिलेश कहती हैं कि उत्तर प्रदेश के कुल 20 जिले ऐसे हैं जहां मलेरिया होने की संभावनाएं अधिक होती हैं इस बाबत स्टेट मलेरिया ऑफिसर डॉ अवधेश यादव का कहना है कि पिछले 10 वर्षो की अपेक्षा वर्ष 2018 में बरेली, बदायूं, मिर्जापुर, भदोही, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, पीलीभीत जैसी जगहों पर सबसे अधिक मलेरिया के मरीजों की संख्या आंकी गई थी।


Conclusion:रोकथाम के उपायों पर लखनऊ के ए सीएमओ डॉक्टर के पी त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए हर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर थी व डेस्क बनाई गई है, लैब टेक्नीशियन और लैब असिस्टेंट को मलेरिया बुखार से पीड़ित हर व्यक्ति के खून की जांच की ट्रेनिंग दी गई है और इसके अलावा कई अन्य उपाय भी किए गए हैं जिसकी वजह से ही पिछले वर्षों में हम मलेरिया को काबू कर पाने में सक्षम रहे हैं।

बाइट- मिथिलेश चतुर्वेदी निदेशक राज्य संचारी रोग विभाग
बाइट- डॉक्टर के पी त्रिपाठी ए सीएमओ लखनऊ
बाइट- अवधेश यादव स्टेट मलेरिया ऑफिसर

रामांशी मिश्रा
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