लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत शैक्षिक सत्र 2023-24 में नि:शुल्क एडमिशन के लिए पहले चरण की आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक आरटीई के तहत सरकार से फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर जो बजट मिलता है उसका कुछ पता नहीं. शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 के तहत स्कूलों को दिया जाने वाला समायोजन का पैसा बीते 4 वर्षों से सरकार ने नहीं दिया है, जबकि इस साल के बजट में सरकार ने केवल ₹40 करोड़ मौजूदा सत्र के प्रवेश के लिए ही आवंटित किया है. 16 मार्च के बाद शिक्षा के अधिकार के तहत पहले चरण की सीटों का आवंटन होना है, ऐसे में स्कूल प्रबंधन एडमिशन लेने की प्रक्रिया का बहिष्कार की तैयारी कर रहे हैं.
निजी स्कूल प्रबंधन इस बार आरपार के मूड में दिख रहे हैं. स्कूल प्रबंधनों का कहना है कि 'पिछले चार वर्षों से फीस प्रतिपूर्ति का पैसा सरकार ने नहीं दिया है. अब नये सत्र के लिए एडमिशन प्रक्रिया फिर शुरू कर दी गई है. इस बार पहले चरण में आवेदन प्रक्रिया 6 फरवरी से 28 फरवरी तक पूरी की गई है, वहीं एक मार्च से अब आवेदन के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हुई है. पहले चरण की लॉटरी प्रक्रिया भी 12 मार्च को पूरी होगी, फिर चयनित बच्चे को निजी स्कूल में प्रवेश दिलाने प्रक्रिया पूरी की जायेगी. इस स्थिति में निजी स्कूल प्रबंधनों का कहना है कि 'पिछले चार वर्ष से उन्हें समय से फीस प्रतिपूर्ति का पैसा नहीं दिया गया है.'
अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि 'आरटीई के तहत हमें नि:शुल्क एडमिशन लेने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पिछले चार वर्षों से फीस का भुगतान स्कूलों को नहीं किया गया है, इससे विद्यालयों की व्यवस्था गड़बड़ाती है. विद्यालय में तैनात शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन भी देना पड़ता है. इस बार भी आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन फीस भुगतान कैसे और कब होगा, इस पर कोई भी जानकारी नहीं दी गई. विद्यालयों की ओर से विरोध करने की तैयारी है. इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद को ज्ञापन देकर अवगत भी कराया गया है.'
कई स्कूल प्रबंधन ये भी कहते हैं कि मौजूदा समय में सरकार जो फीस प्रतिपूर्ति के प्रति बजट देती है वह उनकी फीस से तीन से चार गुना तक कम रहता है. वह कहते हैं कि जो बजट निर्धारित है अगर वही समय से मिल जाये तो बच्चों को पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पूरा बजट रुकने से विद्यालयों की व्यवस्था गड़बड़ाती है. क्योंकि उनकी आय का मार्ग सिर्फ फीस ही होता है. आरटीई के तहत चयनित सभी बच्चों को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटो पर प्रवेश मिल सके इसके लिए सभी मंडल के मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों की भी जिम्मेदारी तय की गई है.
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