लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जिन उपभोक्ताओं के घर प्रीपेड मीटर से बिजली आती है उनके सामने "कोड" ने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. पहले जहां प्रीपेड मीटर के रिचार्ज के लिए एक बार 20 अंकों का कोड डालना पड़ता था, वहीं अब यह कोड सात बार डालने पर ही गुल हुई बिजली वापस आ सकती है. अगर कोड में जरा सी गड़बड़ी हुई तो रिचार्ज होना मुश्किल हो रहा है. कम पढ़े लिखे उपभोक्ता तो रिचार्ज कर ही नहीं पा रहे हैं. ऐसे में उन्हें पावर हाउस के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जिसके बाद यहां पर संविदाकर्मी उनसे डिमांड कर रहे हैं. कुछ लेकर ही प्रीपेड मीटर रिचार्ज कर रहे हैं. यह समस्या प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के सामने बड़ा संकट खड़ा कर रही है. इस बारे में बिजली विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि इस तरह की जानकारी नहीं हुई. अब ऐसी शिकायत मिली है तो उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान कराया जाएगा. इसके लिए प्रीपेड मीटर कंपनी के जिम्मेदारों को निर्देशित किया गया है. बताया गया है कि टैरिफ चेंज हुआ है. इसलिए सात बार कोड फीड करना पड़ रहा है.
बता दें, जहां एक तरफ डिजिटल इंडिया में उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान करने के लिए प्रक्रिया सरल की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ स्मार्ट होने के चक्कर में बिजली विभाग उपभोक्ताओं के दिमाग का फ्यूज उड़ा रहा है. अब मोबाइल रिचार्ज कराने से लेकर किसी भी तरह का भुगतान सेकेंडों में क्यूआर कोड के जरिए हो रहा है. वहीं बिजली विभाग व्यवस्थाओं को सरल न करके और कठिन कर रहा है. जिससे प्रीपेड मीटर धारक उपभोक्ता इन दिनों काफी परेशान हैं. उनकी परेशानी की वजह बिजली विभाग के अधिकारी या कर्मचारी नहीं है, बल्कि प्रीपेड मीटर के 20-20 अंकों वाले सात कोड हैं. रिचार्ज करने के लिए उपभोक्ताओं को 20-20 अंकों वाले सात अलग अलग कोड बार-बार डालने पड़ते हैं. इसके अलावा # और * को जोड़ लें तो कुल मिलाकर 154 अंक एक बार रिचार्ज करने के लिए फीड करने पड़ रहे हैं. सफलतापूर्वक ये प्रक्रिया करने के बाद ही प्रीपेड मीटर का रिचार्ज सफल हो पाता है. एक भी अंक गलत होने पर फिर से उपभोक्ताओं को यही प्रक्रिया करनी पड़ रही है. इससे परेशान होकर तमाम उपभोक्ता बिजली विभाग के उपकेंद्रों पर संपर्क कर रहे हैं. विभाग की हेल्पलाइन 1912 पर फोन कर मदद मांग रहे हैं. यहां से जब समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है तो उपकेंद्र के चक्कर लगा रहे हैं. उपभोक्ताओं को इतनी समस्या हो रही है. उधर बिजली विभाग को इसकी खबर ही नहीं है.
जीनस के प्रीपेड मीटर धारकों को परेशानी : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो वृंदावन इलाके में सबसे ज्यादा प्रीपेड मीटर लगे हुए हैं. हर अपार्टमेंट में कनेक्शन धारक के यहां प्रीपेड मीटर लगाया गया है. जिन उपभोक्ताओं के यहां जीनस कंपनी के प्रीपेड मीटर लगे हैं. समस्या उनके सामने ही खड़ी हुई है. सिक्योर कंपनी के प्रीपेड मीटर में सात बार कोड डालने जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. इस कंपनी के प्रीपेड मीटर में आराम से स्कैन कर रिचार्ज करने की व्यवस्था है जो काफी आसान है. इतना ही नहीं सिक्योर मीटर को एप के जरिए भी रिचार्ज किया जा सकता है. जबकि जीनस कंपनी के प्रीपेड मीटर कोड से ही रिचार्ज होते हैं. बता दें, लगभग 10 हजार प्रीपेड मीटर उपभोक्ता है जिन्हें दिक्कतें हो रही हैं.
मीटर रिचार्ज करने में उड़ रहा दिमाग का फ्यूज : जीनस कंपनी के प्रीपेड मीटर उपभोक्ता दिवाकर सिंह का कहना है कि इन प्रीपेड मीटर को रिचार्ज कर पाना बहुत मुश्किल का काम है. 20 अंकों का कोड एक बार ही डालने में गलती हो जाती है और अब सात बार 20 अंकों का अलग-अलग कोड डालना तो बहुत ही मुश्किल का काम है. उनका कहना है कि इसके बारे में कंपनी को प्रयास करना चाहिए और पहले ही की तरह व्यवस्था करनी चाहिए. पहली बात तो एप के जरिए या बारकोड स्कैन कर या फिर ओटीपी के जरिए रिचार्ज की व्यवस्था होनी चाहिए यह सबसे आसान होती है. कोड का झंझट ही खत्म होना चाहिए. इससे उपभोक्ताओं की समस्या खत्म होगी.
एप बनाकर खत्म करें कोड का झंझट : सरयू अपार्टमेंट में रहने वाले सनत कुमार पांडेय का कहना है कि जीनस प्रीपेड मीटर कंपनी के मीटर इन दिनों काफी दिक्कत खड़ी कर रहे हैं. पहले जहां 20 अंकों का कोड एक बार ही डालना होता था. वहीं अब सात बार 20 अंकों का अलग कोड डालना पड़ रहा है, जो काफी दिक्कतों वाला है. अब जिस तरह से मोबाइल रिचार्ज होता है उसी तरह से प्रीपेड मीटर भी रिचार्ज होना चाहिए. ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए. सिक्योर कंपनी के प्रीपेड मीटर के लिए बाकायदा सहज लिबर्टी एप है तो कोई दिक्कत नहीं हो रही है. इसी तरह की व्यवस्था यूपीपीसीएल को जीनस कंपनी के प्रीपेड मीटर धारक उपभोक्ताओं के लिए भी करनी चाहिए.
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक (वाणिज्य) योगेश कुमार का कहना है प्रीपेड मीटर रिचार्ज करने के लिए उपभोक्ताओं को अगर सात बार 20-20 अंकों का कोड डालना पड़ रहा है तो यह काफी कठिन प्रक्रिया है. जीनस कंपनी के प्रतिनिधियों से बात कर उन्हें निर्देशित किया गया है. कंपनी की तरफ से जानकारी दी गई है कि टैरिफ चेंज होने के चलते सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया है. ऐसे में पहली बार रिचार्ज करने पर उपभोक्ता को 20 अलग अंकों का सात बार कोड डालना पड़ रहा है, लेकिन एक बार यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोबारा ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फिर उन्हें पहले ही की तरह एक बार ही 20 अंकों का कोड फीड कर रिचार्ज की सुविधा मिलेगी. कंपनी को रिचार्ज की प्रक्रिया और भी आसान करने के लिए कहा गया है.
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