लखनऊ: साल का आखरी दौर भी बागवानों को नुकसान का दर्द देकर जा रहा है. मौजूदा समय में मौसम के बदले मिजाज ने बागवानों के सामने एक बार फिर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. दिसंबर माह में अधिक तापमान होने की वजह से 80 प्रतिशत तक दशहरी आम के पेड़ों में बौर निकलने की प्रक्रिया निर्धारित समय से एक माह पूर्व ही शुरू हो गई है. जो आम के उत्पादन के लिए घातक है और आगामी फसल को भारी नुकसान होने का संकेत दे ही है.
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक शैलेंद्र राजन ने बताया कि आम में इस सीजन बौर का निकलना एक चिंताजनक कारण है. आमतौर से आम के बौर फरवरी और मार्च में निकलते हैं तब एक अच्छी उपज की संभावना होती है. लेकिन जब दिसंबर माह में ही बौर निकल आए तो चिंता की बात है. आम तौर पर देखा गया है कि जाड़े में निकले बौर अधिक सर्दी के कारण काले होकर गिर जाते हैं.
उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में तापमान के अत्यधिक गिरने से ये बौर नष्ट हो जाएंगे. आजकल बौर निकल आने के कई कारण है. एक तो प्रकृति में बदलाव और कुछ किसानों द्वारा पेट्रांबोलिजाल के उपयोग से बौर जल्दी निकल आता है. अभी इसका कोई उपाय नहीं है, जिसके प्रयोग से इन बौरों को निकलने से रोका जा सके. लेकिन अभी शोध कार्य चल रहा है कि भविष्य में इस बौर को देर से निकलने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि बहुत से क्षेत्रों में जहां तापमान नींचे नहीं जाता है, वहां के लोग खुश होते हैं कि जल्दी बौर आएगा तो फसल जल्दी आएगी. लेकिन उत्तर भारत मे बिल्कुल इसके विपरीत हैं, जल्दी बौर आना खतरे से खाली नहीं है.
मौजूदा समय मे मौसम के बदले मिजाज ने बागवानों के सामने एक बार फिर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. दिसम्बर माह में अधिक तापमान होने से बागों में बौर आना शुरू हो गया है, जिससे किसान काफी चिंतित हैं .