लखनऊः राजधानी में पूर्व IFS की पत्नी प्रेमा कुमारी ने मामा-मौसी पर मकान हड़पने का आरोप लगाते हुए गाजीपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. पुलिस ने दोनों पक्षों के कागजात मंगाए हैं. आरोप है कि जाली कागज बनाकर धोखाधड़ी की गई है.
पूर्व अफसर की पत्नी का रिश्तेदारों पर आरोप
इंस्पेक्टर गाजीपुर प्रशांत कुमार मिश्रा ने बताया कि इंदिरानगर में फरीदीनगर के बाल बिहारी कॉलोनी निवासी विनोद कुमार रिटायर आईएफएस अधिकारी हैं. उनकी पत्नी प्रेमा कुमारी ने 5 अक्टूबर 1981 में आवास विकास से इन्दिरानगर ए-ब्लाक स्थित मकान खरीदा था. साल 2012 में किश्ते अदा होने पर मकान का बैनामा किया गया था. प्रेमा ने मकान को किराए पर उठाने और देखरेख के लिए सी ब्लाक निवासी अपने मामा राम निरंजन और नरही में रहने वाली मौसी कमला से कहा था. दोनों मकान की देखरेख कर रहे थे. इस बीच, उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनवाकर मकान का जाली अनुबंध पत्र तैयार कर लिया. इस जालसाजी में बांके बिहारी नाम का एक और शख्स भी शामिल है. वो आगरा का रहने वाला है. मकान हड़पने की आशंका होने पर प्रेमा ने पड़ताल कराई तो पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनके साथ जालसाजी हुई है. मामा राम निरंजन, मौसी कमला और बांके बिहारी प्रसाद ने मिलकर इस काम को अंजाम दिया है.
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जाली स्टांप पेपर बनवाकर की धोखाधड़ी
इंस्पेक्टर ने बताया कि धोखाधड़ी में प्रेमा के मामा राम निरंजन और मौसी कमला सिंह भी शामिल थे. आरोपियों ने जाली स्टांप पेपर भी बनवाए थे. रिश्तेदारों के रचे खेल का पता चलने पर प्रेमा कुमारी ने डीसीपी रईस अख्तर से मुलाकात कर उन्हें घटना की जानकारी दी थी. जिनके निर्देश पर गाजीपुर कोतवाली में रामनिरंजन, बांके बिहारी और कमला सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
केयर टेकर नहीं हो सकता मकान का मालिकः SC
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि संपत्ति की देखभाल करने वाला केयरटेकर का संपत्ति में कोई अधिकार नहीं हो सकता. चाहे वो लंबे समय से ही घर में क्यों न रह रहा हो. जस्टिस दीपक मिश्रा और पीसी घोष की पीठ ने ये आदेश देते हुए एक नौकर को मकान से बेदखल करने का फैसला दे दिया था. कोर्ट ने कहा कि अगर संपत्ति में बिना कुछ लिए रहने की अनुमित दी गई हो. चाहे दशकों की अवधि ही क्यों ने हो. उसका संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होगा. केयरटेकर, नौकर या चौकीदार लंबे समय तक रहने के आधार पर संपत्ति में कोई अधिकार नहीं ले सकते हैं. मालिक के संपत्ति खाली करने की मांग पर उन्हें देना ही पड़ेगा. कोर्ट का संरक्षण तभी उन्हें मिल सकता है, जब उसके पक्ष में वैध किराया, लीज या लाइसेंस एग्रीमेंट हो.
कोर्ट ने ये फैसला मुंबई के एक मामले में दिया था, जिसमें मालिकों ने एक परिवार को संपत्ति बिना कुछे पैसा लिए आपसी प्रेम की वजह से रहने के लिए दी थी. लेकिन जब मालिकों ने 16 साल बाद संपत्ति की मांग की तो उसे खाली करने से मना कर दिया था.