लखनऊ: अस्पतालों और निजी एंबुलेंस चालकोंं की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे ही एक मामले में एक गर्भवती महिला की जान चली गयी. परिजनों की सूचना पर पीजीआई पुलिस मामले की जांच कर रही है. रायबरेली रोड तेलीबाग निवासी गर्भवती 32 वर्षीय पूनम कोरोना संक्रमित हो गई थी. हालत बिगडने पर घरवालों ने पहले उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. इलाज के अभाव और ऑक्सीजन की कमी व धांधली को देखते हुए परिजनों ने वहां से निकाल कर उसे लोकबंधु हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन कराकर किसी तरह भर्ती कराया था.
पीजीआई पुलिस कर रही मामले की जांच
पूनम के भाई संजय के मुताबिक वहां भी ऑक्सीजन की कमी से इलाज में अफरा-तफरी मची रही. वहां भी उसके इलाज में लापरवाही की गई. पूनम अपने गर्भवती होने की दुहाई देती रही लेकिन किसी ने नहीं सुना. पूनम के भाई संजय व उनके बहनोई ओम प्रकाश ने उसे गोरखपुर में भर्ती कराने की व्यवस्था की. 21 अप्रैल देर रात गोरखपुर जाने के लिए एक निजी एंबुलेंस बुक की, जहां उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त व्यवस्था के बारे में पूछा तो एंबुलेंस वाले ने बताया कि उसके पास दो सिलेंडर है.
ऑक्सीजन के अभाव में महिला ने तोड़ा दम
अनिल ने बताया कि गोरखपुर के लिए एंबुलेंस को 28 हजार रुपये में बुक किया था. वहीं बाराबंकी पहुंचते ही एक ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया, जिसके बाद जब वे दूसरा सिलेंडर लगाने चले तो पता चला कि वह पहले से ही खाली था. संजय ने बताया कि गर्भवती पूनम ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया. अनिल ने इसकी सूचना बाराबंकी के नजदीकी पुलिस चौकी में दी तो उन्होंने कार्रवाई से इनकार करते हुए कहा कि इसकी रिपोर्ट लखनऊ थाने में दर्ज होगी. इसके बाद अनिल व उनके बहनोई पूनम के कोविड पॉजिटिव की वजह से अंतिम संस्कार आदि में लग गए.
गर्भवती पूनम के पति ओम प्रकाश ने एंबुलेंस मालिक छोटू शुक्ला निवासी ठाकुरगंज और उसके चालक राजू की लापरवाही के बारे में पुलिस को जानकारी दी. पीजीआइ इंस्पेक्टर आनंद ने कहा कि मामला गंभीर है. इसकी जांच कर तुरंत कार्रवाई की जाएगी.