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PPP Model के 17 बस स्टेशनों के लिए Pre-bid आज, अधिकारियों को उम्मीद सभी बस स्टेशनों के लिए पड़ेंगे टेंडर - उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन आलमबाग बस स्टेशन की तरह ही प्रदेश के 17 और बस स्टेशन बनाना चाहता है. हालांकि, इसके लिए कई बार परिवहन निगम की तरफ से कोशिशें की जा चुकी हैं. डेवलपर्स के साथ बैठक भी हुई, सुझाव भी मांगे गए, टेंडर भी हुआ, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अब एक बार फिर से परिवहन निगम ने डेवलपर्स को पीपीपी मॉडल की तर्ज पर बस अड्डे बनाने को आमंत्रित किया है. मंगलवार यानी आज परिवहन निगम मुख्यालय पर इसके लिए प्री-बिड रखी गई है.

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Published : Apr 26, 2022, 10:48 AM IST

लखनऊ: पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन आलमबाग बस स्टेशन की तरह ही प्रदेश के 17 और बस स्टेशन बनाना चाहता है. हालांकि, इसके लिए कई बार परिवहन निगम की तरफ से कोशिशें की जा चुकी हैं. डेवलपर्स के साथ बैठक भी हुई, सुझाव भी मांगे गए, टेंडर भी हुआ, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अब एक बार फिर से परिवहन निगम ने डेवलपर्स को पीपीपी मॉडल की तर्ज पर बस अड्डे बनाने को आमंत्रित किया है. मंगलवार यानी आज परिवहन निगम मुख्यालय पर इसके लिए प्री-बिड रखी गई है. इसमें तमाम डेवलपर्स को बुलाया गया है. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को उम्मीद है कि सभी 17 बस स्टेशन के लिए डेवलपर प्री-बिड में हिस्सा लेंगे.

परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कई साल से बस स्टेशनों को पीपीपी मोड पर बनाने की तैयारी की जा रही थी. इसके लिए इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग भी हो चुकी थी, लेकिन कुछ शर्तों की वजह से निवेशक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे. इसके बाद परिवहन निगम प्रशासन ने नियम शिथिल कर दिए और अब प्रदेश के 17 बस स्टेशनों को पीपीपी मोड पर बनाए जाने के लिए प्री-बिड रखी गई है. पीपीपी मॉडल के तहत एक ही भवन के नीचे बस स्टेशन और ऊपर वाले हिस्से में कांप्लेक्स बनाए जाएंगे.

बस स्टेशनों का अब निवेशक 60 साल तक के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे. एक बस स्टेशन के निर्माण पर तकरीबन ढाई से तीन हजार करोड़ रुपये निवेशकों को खर्च करने होंगे. जानकारी के मुताबिक पहले बस स्टेशनों के निर्माण के लिए डेढ़ साल का समय दिया जाता था, लेकिन अब बस स्टेशनों का निर्माण दो साल में होगा. बस स्टेशन का व्यावसायिक निर्माण का समय पहले पांच साल था, जिसे अब बढ़ाकर सात साल कर दिया गया है.

यूपीएसआरटीसी के एमडी राजेंद्र प्रताप सिंह


इसे भी पढ़ें - नीरी की अनुमति से रबर डैम बनने का रास्ता साफ, फिर से ताज को छूकर बहेगी यमुना
इन स्थानों पर बनेंगे पीपीपी बस स्टेशन: कौशांबी गाजियाबाद, कानपुर सेंटर झकरकट्टी, वाराणसी कैंट, सिविल लाइन प्रयागराज, चारबाग, अमौसी कार्यशाला, विभूति खंड गोमती नगर, बरेली सैटेलाइट, साहिबाबाद, जीबी रोड प्रयागराज, गाजियाबाद, गोरखपुर, मथुरा ओल्ड, न्यू लैंड, अलीगढ़, आगरा फोर्ट, रसूलाबाद, ईदगाह आगरा, ट्रांसपोर्ट नगर आगरा और सोहराब गेट मेरठ.

आलमबाग है पीपीपी मॉडल का पहला बस स्टेशन: उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बना पहला बस स्टेशन आलमबाग है. इसी स्टेशन के बाद परिवहन निगम ने प्रदेश के 17 अन्य स्थानों पर इसी तरह का बस अड्डा तैयार करने का फैसला लिया था. लेकिन निवेशकों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. आलमबाग बस स्टेशन के ऑपरेशनल निर्माण को काफी समय हो रहा है, जबकि अभी भी यहां पर व्यावसायिक निर्माण कार्य कराया जा रहा है.

क्या कहते हैं यूपीएसआरटीसी के एमडी: चुनाव के दौरान पीपीपी मॉडल पर 17 बस स्टेशनों के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, लेकिन इसके परिणाम अनुकूल नहीं थे. लिहाजा, यह टेंडर निरस्त कर दिया गया था. अब एक बार फिर से डेवलपर्स को प्री-बिड के लिए आमंत्रित किया गया है और आज इसको लेकर बैठक होनी है. परिवहन निगम को पूरी उम्मीद है कि सभी 17 बस स्टेशनों के लिए डेवलपर्स टेंडर डालेंगे और हम पीपीपी मॉडल पर सभी 17 बस स्टेशन बनाएंगे. अगर 17 के लिए टेंडर नहीं पड़ते हैं तो पूरी उम्मीद है कम से कम 10 बस स्टेशनों के लिए टेंडर जरूर डाले जाएंगे. जहां तक निवेशकों के दिलचस्पी न लेने की बात है तो छोटी-छोटी बातें जिनसे डेवलपर्स को समस्या है, उन्हें सुनकर सुलझाया जाएगा. उनका निराकरण किया जाएगा.
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लखनऊ: पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन आलमबाग बस स्टेशन की तरह ही प्रदेश के 17 और बस स्टेशन बनाना चाहता है. हालांकि, इसके लिए कई बार परिवहन निगम की तरफ से कोशिशें की जा चुकी हैं. डेवलपर्स के साथ बैठक भी हुई, सुझाव भी मांगे गए, टेंडर भी हुआ, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अब एक बार फिर से परिवहन निगम ने डेवलपर्स को पीपीपी मॉडल की तर्ज पर बस अड्डे बनाने को आमंत्रित किया है. मंगलवार यानी आज परिवहन निगम मुख्यालय पर इसके लिए प्री-बिड रखी गई है. इसमें तमाम डेवलपर्स को बुलाया गया है. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को उम्मीद है कि सभी 17 बस स्टेशन के लिए डेवलपर प्री-बिड में हिस्सा लेंगे.

परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कई साल से बस स्टेशनों को पीपीपी मोड पर बनाने की तैयारी की जा रही थी. इसके लिए इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग भी हो चुकी थी, लेकिन कुछ शर्तों की वजह से निवेशक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे. इसके बाद परिवहन निगम प्रशासन ने नियम शिथिल कर दिए और अब प्रदेश के 17 बस स्टेशनों को पीपीपी मोड पर बनाए जाने के लिए प्री-बिड रखी गई है. पीपीपी मॉडल के तहत एक ही भवन के नीचे बस स्टेशन और ऊपर वाले हिस्से में कांप्लेक्स बनाए जाएंगे.

बस स्टेशनों का अब निवेशक 60 साल तक के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे. एक बस स्टेशन के निर्माण पर तकरीबन ढाई से तीन हजार करोड़ रुपये निवेशकों को खर्च करने होंगे. जानकारी के मुताबिक पहले बस स्टेशनों के निर्माण के लिए डेढ़ साल का समय दिया जाता था, लेकिन अब बस स्टेशनों का निर्माण दो साल में होगा. बस स्टेशन का व्यावसायिक निर्माण का समय पहले पांच साल था, जिसे अब बढ़ाकर सात साल कर दिया गया है.

यूपीएसआरटीसी के एमडी राजेंद्र प्रताप सिंह


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इन स्थानों पर बनेंगे पीपीपी बस स्टेशन: कौशांबी गाजियाबाद, कानपुर सेंटर झकरकट्टी, वाराणसी कैंट, सिविल लाइन प्रयागराज, चारबाग, अमौसी कार्यशाला, विभूति खंड गोमती नगर, बरेली सैटेलाइट, साहिबाबाद, जीबी रोड प्रयागराज, गाजियाबाद, गोरखपुर, मथुरा ओल्ड, न्यू लैंड, अलीगढ़, आगरा फोर्ट, रसूलाबाद, ईदगाह आगरा, ट्रांसपोर्ट नगर आगरा और सोहराब गेट मेरठ.

आलमबाग है पीपीपी मॉडल का पहला बस स्टेशन: उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बना पहला बस स्टेशन आलमबाग है. इसी स्टेशन के बाद परिवहन निगम ने प्रदेश के 17 अन्य स्थानों पर इसी तरह का बस अड्डा तैयार करने का फैसला लिया था. लेकिन निवेशकों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. आलमबाग बस स्टेशन के ऑपरेशनल निर्माण को काफी समय हो रहा है, जबकि अभी भी यहां पर व्यावसायिक निर्माण कार्य कराया जा रहा है.

क्या कहते हैं यूपीएसआरटीसी के एमडी: चुनाव के दौरान पीपीपी मॉडल पर 17 बस स्टेशनों के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, लेकिन इसके परिणाम अनुकूल नहीं थे. लिहाजा, यह टेंडर निरस्त कर दिया गया था. अब एक बार फिर से डेवलपर्स को प्री-बिड के लिए आमंत्रित किया गया है और आज इसको लेकर बैठक होनी है. परिवहन निगम को पूरी उम्मीद है कि सभी 17 बस स्टेशनों के लिए डेवलपर्स टेंडर डालेंगे और हम पीपीपी मॉडल पर सभी 17 बस स्टेशन बनाएंगे. अगर 17 के लिए टेंडर नहीं पड़ते हैं तो पूरी उम्मीद है कम से कम 10 बस स्टेशनों के लिए टेंडर जरूर डाले जाएंगे. जहां तक निवेशकों के दिलचस्पी न लेने की बात है तो छोटी-छोटी बातें जिनसे डेवलपर्स को समस्या है, उन्हें सुनकर सुलझाया जाएगा. उनका निराकरण किया जाएगा.
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