लखनऊ: समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जसवंत नगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विधायक ओमप्रकाश राजभर को लेकर एक पत्र जारी किया गया. पत्र में कहा गया है कि अगर आपको लगता है कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं.
समाजवादी पार्टी के इस कदम पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता दीपक मिश्रा का कहना है कि हम किसके करीब हैं और किसने नहीं है यह हमें तो पता नहीं है, उन्हें कैसे पता? कौन सी दिव्य दृष्टि उन्हें प्राप्त हो गई है? दूसरा हम कहां जाएंगे कहां नहीं. यह तय करने वाले वह कौन होते हैं? सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सपा ने यह दर्शा दिया है कि अब उसकी कोई आस्था समाजवाद में नहीं है. डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश द्वारा प्रतिपादित समाजवाद की मान्य स्थापना में उसकी कोई रुचि नहीं है. मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं, ऐसे गुजर गए हमें जानते नहीं. हम साथ थे तो सपा 111 थी वरना या तो एक पर होती मायावती की तरह या फिर 11 पर होती लोकदल की तरह. द्रौपदी मुर्मू की जहां तक प्रत्याशिता की बात थी वह समाजवाद की मान्य सिद्धांतों के अनुरूप थी.
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पूरी दुनिया में भारत का संदेश जाता कि भारत में कमजोर तबके की नारियों का अतिशय सम्मान है. अभी जो लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में भारत की छवि धूमिल हुई थी उससे द्रोपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव जीतने से वह छवि हमारी बेहतर हुई है. वह तो देशहित का फैसला था. अब अगर अखिलेश को या फिर सपा नेतृत्व को यह लगता है कि देश हित में उनका हित नहीं है तो उस पर क्या टिप्पणी करूं.
बता दें कि 2022 का विधानसभा चुनाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था, वहीं सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था, लेकिन हाल ही में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में दोनों ही नेताओं ने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दिया था. इससे अखिलेश यादव नाराज चल रहे हैं.
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