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प्रभात गुप्ता हत्याकांड : वादी की मृत्यु के बाद याचिका में कोई पक्षकार नहीं, हाईकोर्ट ने दिया समय - Prabhat Gupta murder case

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में दाखिल मृतक के पिता संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में तकनीकी पेच फंस गया है. संतोष गुप्ता की मृत्यु वर्ष 2005 में ही हो चुकी है. ऐसे में कोर्ट ने कानूनी वारिस और वकालतनामा दाखिल करने के लिए समय दिया है.

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Published : Dec 21, 2022, 9:59 PM IST

लखनऊ : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में दाखिल मृतक के पिता संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में तकनीकी पेच फंस गया है. संतोष गुप्ता की मृत्यु वर्ष 2005 में ही हो चुकी है. बावजूद इसके उक्त याचिका में उनके स्थान पर किसी भी कानूनी वारिस ने खुद को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं किया. इस स्थिति को देखते हुए न्यायालाय ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह में तय करते हुए आदेश दिया है कि संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में उनका कानूनी वारिस चाहे तो प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकता है. न्यायालय ने प्रार्थना पत्र के साथ ही वकालतनामा भी दाखिल करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल (Justice Ramesh Sinha and Justice Renu Agarwal) की खंडपीठ ने पारित किया. दरअसल राज्य सरकार की अपील व संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका पर एक साथ सुनवाई के पश्चात मामले में 10 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. 11 नवंबर को एक प्रार्थना पत्र संतोष गुप्ता के पुत्र राजीव गुप्ता की ओर से दाखिल किया गया. जिसमें कहा गया कि वह संतोष गुप्ता के पुत्र हैं और मामले की बहस के दौरान उनके वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिन्द्र मिश्रा (Senior Advocate Jyotindra Mishra) तबीयत खराब होने के कारण बहस के लिए उपस्थित नहीं हो सके. लिहाजा उनकी ओर से लिखित बहस को रिकॉर्ड पर लिया जाए. हालांकि न्यायालय ने उक्त प्रार्थना पत्र को 15 नवंबर को खारिज कर दिया.


बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संतोष गुप्ता के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह (Advocate Sushil Kumar Singh) से पूछा कि क्या संतोष गुप्ता जीवित हैं. इस पर अधिवक्ता ने बताया कि 20 जुलाई 2005 को उनकी मृत्यु हो गई थी. इस पर न्यायालय ने कहा कि उनके कानूनी वारिस की ओर से याचिका को बनाए रखने के लिए न तो कोई प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है और न ही किसी को अधिवक्ता नियुक्त किया गया है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने यथोचित प्रार्थना पत्र दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया.

बता दें. लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थाना क्षेत्र (Tikunia police station area of Lakhimpur Kheri) में वर्ष 2000 में प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. मृतक समाजवादी पार्टी के यूथ विंग का सदस्य व लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र नेता. इस में अजय मिश्रा टेनी समेत कई अन्य आरोपी हैं. अजय मिश्री उस समय भी भाजपा से जुड़े थे. अभियोजन के अनुसार दोनों के बीच पंचायत चुनाव को लेकर दुश्मनी हो गई थी. घटना के सम्बंध में दर्ज एफआईआर में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ अजय मिश्रा उर्फ टेनी को भी नामजद किया गया था. मामले के विचारण के पश्चात लखीमपुर खीरी की एक सत्र अदालत ने अजय मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2004 में बरी कर दिया था. आदेश के खिलाफ वर्ष 2004 में ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दिया था. वहीं मृतक के भाई ने भी उक्त आदेश के विरुद्ध अपील/पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी.

यह भी पढ़ें : फैजाबाद कोर्ट के जज पर लगे गंभीर आरोप, हाईकोर्ट ने जनपद न्यायाधीश से तलब की रिपोर्ट

लखनऊ : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में दाखिल मृतक के पिता संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में तकनीकी पेच फंस गया है. संतोष गुप्ता की मृत्यु वर्ष 2005 में ही हो चुकी है. बावजूद इसके उक्त याचिका में उनके स्थान पर किसी भी कानूनी वारिस ने खुद को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं किया. इस स्थिति को देखते हुए न्यायालाय ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह में तय करते हुए आदेश दिया है कि संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में उनका कानूनी वारिस चाहे तो प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकता है. न्यायालय ने प्रार्थना पत्र के साथ ही वकालतनामा भी दाखिल करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल (Justice Ramesh Sinha and Justice Renu Agarwal) की खंडपीठ ने पारित किया. दरअसल राज्य सरकार की अपील व संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका पर एक साथ सुनवाई के पश्चात मामले में 10 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. 11 नवंबर को एक प्रार्थना पत्र संतोष गुप्ता के पुत्र राजीव गुप्ता की ओर से दाखिल किया गया. जिसमें कहा गया कि वह संतोष गुप्ता के पुत्र हैं और मामले की बहस के दौरान उनके वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिन्द्र मिश्रा (Senior Advocate Jyotindra Mishra) तबीयत खराब होने के कारण बहस के लिए उपस्थित नहीं हो सके. लिहाजा उनकी ओर से लिखित बहस को रिकॉर्ड पर लिया जाए. हालांकि न्यायालय ने उक्त प्रार्थना पत्र को 15 नवंबर को खारिज कर दिया.


बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संतोष गुप्ता के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह (Advocate Sushil Kumar Singh) से पूछा कि क्या संतोष गुप्ता जीवित हैं. इस पर अधिवक्ता ने बताया कि 20 जुलाई 2005 को उनकी मृत्यु हो गई थी. इस पर न्यायालय ने कहा कि उनके कानूनी वारिस की ओर से याचिका को बनाए रखने के लिए न तो कोई प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है और न ही किसी को अधिवक्ता नियुक्त किया गया है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने यथोचित प्रार्थना पत्र दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया.

बता दें. लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थाना क्षेत्र (Tikunia police station area of Lakhimpur Kheri) में वर्ष 2000 में प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. मृतक समाजवादी पार्टी के यूथ विंग का सदस्य व लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र नेता. इस में अजय मिश्रा टेनी समेत कई अन्य आरोपी हैं. अजय मिश्री उस समय भी भाजपा से जुड़े थे. अभियोजन के अनुसार दोनों के बीच पंचायत चुनाव को लेकर दुश्मनी हो गई थी. घटना के सम्बंध में दर्ज एफआईआर में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ अजय मिश्रा उर्फ टेनी को भी नामजद किया गया था. मामले के विचारण के पश्चात लखीमपुर खीरी की एक सत्र अदालत ने अजय मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2004 में बरी कर दिया था. आदेश के खिलाफ वर्ष 2004 में ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दिया था. वहीं मृतक के भाई ने भी उक्त आदेश के विरुद्ध अपील/पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी.

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