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कृषि कानून पर किसानों के आंदोलन को बिजली इंजीनियरों ने दिया समर्थन

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Published : Dec 3, 2020, 6:44 PM IST

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानून और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी की मांग के लिए किसानों को समर्थन देने का फैसला लिया है. इस संबंध में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बयान जारी किया.

बिजली विभाग लखनऊ
बिजली विभाग लखनऊ

लखनऊ: ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानून और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी की मांग के लिए किसानों को समर्थन देने का फैसला लिया है. फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने लखनऊ स्थित कार्यालय से इस संबंध में बयान जारी किया. उन्होंने कहा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था. इस बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए.

किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी बिजली दरें
फेडरेशन चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया हालांकि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है, लेकिन इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर चल रहे आंदोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लिया जाए. किसानों का मानना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए बिजली का निजीकरण करने की योजना है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं, इसलिए बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी.

किसानों को करना होगा हर माह 10 हजार का भुगतान
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस सवाल पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है. इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए हैं. ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगी और किसानों को आठ से 10 हजार रुपए प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा.

लखनऊ: ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानून और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी की मांग के लिए किसानों को समर्थन देने का फैसला लिया है. फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने लखनऊ स्थित कार्यालय से इस संबंध में बयान जारी किया. उन्होंने कहा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था. इस बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए.

किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी बिजली दरें
फेडरेशन चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया हालांकि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है, लेकिन इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर चल रहे आंदोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लिया जाए. किसानों का मानना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए बिजली का निजीकरण करने की योजना है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं, इसलिए बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी.

किसानों को करना होगा हर माह 10 हजार का भुगतान
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस सवाल पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है. इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए हैं. ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगी और किसानों को आठ से 10 हजार रुपए प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा.

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