लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से पाॅवर काॅरपोरेशन ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में ईंधन अधिभार यानी फ्यूल सरचार्ज जनवरी फरवरी-मार्च 2023 क्वार्टर के लिए प्रस्ताव सौंपा. विद्युत नियामक आयोग में 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणी वार दाखिल किया है. इसके विरोध में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर दिया है. पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से दाखिल प्रस्ताव को आसंवैधानिक करार दिया है.
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ईंधन अधिभार लगाने के लिए विद्युत नियामक आयोग ने जून 2020 में एक कानून बनाया है. पाॅवर काॅरपोरेशन ने उस कानून के विपरीत जाकर मनमाने तरीके से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए जो साजिश की है वह पूरी तरीके से आयोग की अवमानना है. आयोग अभिलंब खारिज करे.
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है. उस राज्य में किस आधार पर ईंधन अधिभार लगाने के लिए आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया. इसे खारिज किया जाना चाहिए. प्रदेश की बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढाने के लिए हर हथकंडा अपना रही हैं, लेकिन उन्हें शायद नहीं पता है. रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत ही किसी कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकता है. वर्मा ने कहा कि फरवरी-मार्च 2023 के लिए जो आकलन पाॅवर काॅरपोरेशन ने प्रदेश के उपभोक्ताओं से कुल 1437 करोड़ की वसूली करने के लिए किया है. इसके तहत 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणीवार औसत विलिंग दर के आधार पर उपभोक्ताओं पर बढ़ोतरी मांगी है. ये 28 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 1.09 रुपए प्रति यूनिट तक है.
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