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Post Covid Reaction: लखनऊ के बच्चों में अब मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का कहर, जानें लक्षण - Lifestyle and Relationship

राजधानी में अब बच्चों पर मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) ने हमला बोल दिया. केजीएमयू में पोस्ट कोविड के बच्चों में पहली बार इस बीमारी की पुष्टि हुई है.

लखनऊ के बच्चों में अब मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का कहर, जानें लक्षण
लखनऊ के बच्चों में अब मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का कहर, जानें लक्षण
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Published : May 29, 2021, 8:36 PM IST

Updated : May 30, 2021, 10:52 AM IST

लखनऊ : कोरोना के बाद मरीजों में तमाम साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं. इसमें ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस का अभी हमला जारी है. इसी बीच अब बच्चों पर मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) ने हमला बोल दिया. केजीएमयू में पोस्ट कोविड के बच्चों में पहली बार इस बीमारी की पुष्टि हुई है. गंभीर हालत में इनका इलाज पीआईसीयू में चल रहा है.

लखनऊ के बच्चों में अब मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का कहर

तीन बच्चों में एमआईएससी की पुष्टि

केजीएमयू के बाल रोग चिकित्सक व इंडियन एकेडमिक ऑफ पीडियाट्रिक की सदस्य डॉ. शालिनी त्रिपाठी के मुताबिक पोस्ट कोविड बच्चों पर नया खतरा आ गया है. इनमें कोरोना से ठीक होने के 4 से 6 सप्ताह में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) की समस्या उभर रही है. कोरोना की पहली लहर में बच्चों में यहां बीमारी नहीं पाई गई थी. वहीं, दूसरी लहर में कोरोना से ठीक हुए तीन बच्चे केजीएमयू में भर्ती हुए. जांच में इनमें एमआईएससी की पुष्टि हुई. इनका पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें : सड़क पर एलियन को लेकर रहस्य बरकरार, यूएफओ के बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक ?

मल्टी ऑर्गन फेल्योर का रहता खतरा

डॉ. शालिनी त्रिपाठी के मुताबिक कोविड से ठीक हुए बच्चों में एमआईएस-सी कई समस्याएं बढ़ा देता है. इसमें शरीर की त्वचा पर रेशस पड़ जाते हैं. इसके अलावा बुखार, सांस लेने में कठिनाई, पेट में दर्द, त्वचा और नाखूनों का नीला पड़ना रोग के लक्षण हैं. वहीं. हृदय की धमनी में एन्युरिज्म की समस्या से हार्ट फेल्योर का खतरा होता है. इसके अलावा ब्रेन, किडनी, फेफडे को भी प्रभावित करता है. स्थिति यह कि सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे मल्टी ऑर्गन फेल्योर की चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है. इसमें 4 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.

बच्चों में तेजी से बढ़ रहे मामले

एमआईएस-सी के मामले देश मे तेजी से बढ़ रहे हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर ने इसको लेकर आगाह किया है. दावा किया कि बच्चों में कोविड के दौरान तेजी से दो बदलाव आते हैं. एक ऐसे बच्चों को निमोनिया हो सकता है, दूसरा उसे एमआईएस-सी हो सकती है। शीघ्र पहचान कर ही उन्हें गंभीर होने से बचाया जा सकता है.

लखनऊ : कोरोना के बाद मरीजों में तमाम साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं. इसमें ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस का अभी हमला जारी है. इसी बीच अब बच्चों पर मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) ने हमला बोल दिया. केजीएमयू में पोस्ट कोविड के बच्चों में पहली बार इस बीमारी की पुष्टि हुई है. गंभीर हालत में इनका इलाज पीआईसीयू में चल रहा है.

लखनऊ के बच्चों में अब मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का कहर

तीन बच्चों में एमआईएससी की पुष्टि

केजीएमयू के बाल रोग चिकित्सक व इंडियन एकेडमिक ऑफ पीडियाट्रिक की सदस्य डॉ. शालिनी त्रिपाठी के मुताबिक पोस्ट कोविड बच्चों पर नया खतरा आ गया है. इनमें कोरोना से ठीक होने के 4 से 6 सप्ताह में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) की समस्या उभर रही है. कोरोना की पहली लहर में बच्चों में यहां बीमारी नहीं पाई गई थी. वहीं, दूसरी लहर में कोरोना से ठीक हुए तीन बच्चे केजीएमयू में भर्ती हुए. जांच में इनमें एमआईएससी की पुष्टि हुई. इनका पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें : सड़क पर एलियन को लेकर रहस्य बरकरार, यूएफओ के बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक ?

मल्टी ऑर्गन फेल्योर का रहता खतरा

डॉ. शालिनी त्रिपाठी के मुताबिक कोविड से ठीक हुए बच्चों में एमआईएस-सी कई समस्याएं बढ़ा देता है. इसमें शरीर की त्वचा पर रेशस पड़ जाते हैं. इसके अलावा बुखार, सांस लेने में कठिनाई, पेट में दर्द, त्वचा और नाखूनों का नीला पड़ना रोग के लक्षण हैं. वहीं. हृदय की धमनी में एन्युरिज्म की समस्या से हार्ट फेल्योर का खतरा होता है. इसके अलावा ब्रेन, किडनी, फेफडे को भी प्रभावित करता है. स्थिति यह कि सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे मल्टी ऑर्गन फेल्योर की चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है. इसमें 4 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.

बच्चों में तेजी से बढ़ रहे मामले

एमआईएस-सी के मामले देश मे तेजी से बढ़ रहे हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर ने इसको लेकर आगाह किया है. दावा किया कि बच्चों में कोविड के दौरान तेजी से दो बदलाव आते हैं. एक ऐसे बच्चों को निमोनिया हो सकता है, दूसरा उसे एमआईएस-सी हो सकती है। शीघ्र पहचान कर ही उन्हें गंभीर होने से बचाया जा सकता है.

Last Updated : May 30, 2021, 10:52 AM IST
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