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यूपी में पॉलिटेक्निक शिक्षा का हाल बेहाल, दो विभागों के बीच झूल रहे छात्र - संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद

उत्तर प्रदेश में पॉलिटेक्निक शिक्षा (Polytechnic Education) की हालत खराब हो चली है. प्रदेश के करीब 1500 संस्थानों में पढ़ रहे लाखों छात्र प्राविधिक शिक्षा परिषद (Council of Technical Education) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद (Joint Entrance Examination Council) के बीच झूल रहे हैं. इन दोनों विभागों में सामंजस्य न होने के कारण छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

यूपी में पॉलिटेक्निक शिक्षा का हाल
यूपी में पॉलिटेक्निक शिक्षा का हाल
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Published : Sep 21, 2021, 1:42 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पॉलिटेक्निक शिक्षा (Polytechnic Education) की हालत खराब हो चली है. प्रदेश के करीब 1500 संस्थानों में पढ़ रहे लाखों छात्र प्राविधिक शिक्षा परिषद (Council of Technical Education) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद (Joint Entrance Examination Council) के बीच झूल रहे हैं. इन दोनों विभागों के बीच सामंजस्य न होने के कारण छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इसकी ताजा नजीर बीते दिनों शुरू हुई प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं में देखने को मिली. इसमें करीब 8000 छात्र-छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया, जबकि इनके साथ में संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के आदेश भी दिए गए. यह पहला मामला नहीं है जब छात्र-छात्राओं को इन दोनों विभागों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा.

बीते दिनों पॉलिटेक्निक छात्रों के गायब होने की सूचना सामने आई थी. इसको लेकर विभाग में हड़कंप मच गया. यह वो छात्र-छात्राएं थे, जिन्होंने दाखिले लेने के बाद साल भर पढ़ाई की. यह सारी गड़बड़ी छात्र-छात्राओं का डाटा फीड न होने के कारण सामने आएगी थी. मीडिया में सवाल उठने के बाद विभाग हरकत में आया. तब जाकर कहीं छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने को मिला. पॉलिटेक्निक में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं की सूचनाओं में गड़बड़ी की शिकायतें आम हैं. कभी बच्चे का नाम गलत हो जाता है तो कभी माता-पिता का नाम. जानकारों की मानें तो औसतन 60 से 70 परसेंट छात्र-छात्राओं की सूचनाएं गलत दर्ज होती हैं. इनमें सुधार के लिए छात्रों को विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

यूपी में पॉलिटेक्निक पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए दूसरी व्यवस्था की गई है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद छात्रों के दाखिले लेगा और प्राविधिक शिक्षा परिषद के पास उनकी परीक्षा कराने और नतीजे जारी करने की जिम्मेदारी होती है. वर्तमान व्यवस्था के तहत संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से दाखिले लेने के छात्रों से जुड़ी हुई सूचनाओं को प्राविधिक शिक्षा परिषद के साथ साझा करना होता है. उसी सूचनाओं के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है. गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं. इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें: महंत नरेंद्र गिरि मौत मामला: जानिए क्या लिखा है FIR में, आनंद गिरि‍ को बनाया गया नामजद आरोपी

संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के आदेश पर फरवरी 2021 में डिप्लोमा फार्मेसी की खाली सीटों पर छात्र-छात्राओं के दाखिले लिए गए. इसके लिए परिषद ने बाकायदा इन छात्रों से अर्थदंड भी वसूला. अब करीब 7 महीने के बाद प्राविधिक शिक्षा परिषद इन छात्र-छात्राओं को वर्तमान सेमेस्टर परीक्षाओं में शामिल करने से इनकार कर दिया. प्राविधिक शिक्षा परिषद का कहना है कि इन छात्र-छात्राओं की सूचनाएं उनके पास दर्ज नहीं हैं. समाजवादी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष महेंद्र यादव ने बताया कि दोनों विभागों के बीच संबंध न होने के कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. शिकायतों को एक-दूसरे पर टाल रहे हैं. एनएसयूआई के आर्यन मिश्रा कहते हैं कि व्यवस्था को इतना ज्यादा जटिल बना दिया गया है कि आम छात्र के लिए उसका लाभ उठा पाना मुश्किल हो रहा है.

यह है यूपी में पॉलिटेक्निक कॉलेजों की स्थिति

कुल पॉलिटेक्निक संस्थान : 1441
कुल सीट : 2,41,810Conclusion:7309519520

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पॉलिटेक्निक शिक्षा (Polytechnic Education) की हालत खराब हो चली है. प्रदेश के करीब 1500 संस्थानों में पढ़ रहे लाखों छात्र प्राविधिक शिक्षा परिषद (Council of Technical Education) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद (Joint Entrance Examination Council) के बीच झूल रहे हैं. इन दोनों विभागों के बीच सामंजस्य न होने के कारण छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इसकी ताजा नजीर बीते दिनों शुरू हुई प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं में देखने को मिली. इसमें करीब 8000 छात्र-छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया, जबकि इनके साथ में संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के आदेश भी दिए गए. यह पहला मामला नहीं है जब छात्र-छात्राओं को इन दोनों विभागों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा.

बीते दिनों पॉलिटेक्निक छात्रों के गायब होने की सूचना सामने आई थी. इसको लेकर विभाग में हड़कंप मच गया. यह वो छात्र-छात्राएं थे, जिन्होंने दाखिले लेने के बाद साल भर पढ़ाई की. यह सारी गड़बड़ी छात्र-छात्राओं का डाटा फीड न होने के कारण सामने आएगी थी. मीडिया में सवाल उठने के बाद विभाग हरकत में आया. तब जाकर कहीं छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने को मिला. पॉलिटेक्निक में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं की सूचनाओं में गड़बड़ी की शिकायतें आम हैं. कभी बच्चे का नाम गलत हो जाता है तो कभी माता-पिता का नाम. जानकारों की मानें तो औसतन 60 से 70 परसेंट छात्र-छात्राओं की सूचनाएं गलत दर्ज होती हैं. इनमें सुधार के लिए छात्रों को विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

यूपी में पॉलिटेक्निक पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए दूसरी व्यवस्था की गई है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद छात्रों के दाखिले लेगा और प्राविधिक शिक्षा परिषद के पास उनकी परीक्षा कराने और नतीजे जारी करने की जिम्मेदारी होती है. वर्तमान व्यवस्था के तहत संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से दाखिले लेने के छात्रों से जुड़ी हुई सूचनाओं को प्राविधिक शिक्षा परिषद के साथ साझा करना होता है. उसी सूचनाओं के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है. गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं. इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है.

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संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के आदेश पर फरवरी 2021 में डिप्लोमा फार्मेसी की खाली सीटों पर छात्र-छात्राओं के दाखिले लिए गए. इसके लिए परिषद ने बाकायदा इन छात्रों से अर्थदंड भी वसूला. अब करीब 7 महीने के बाद प्राविधिक शिक्षा परिषद इन छात्र-छात्राओं को वर्तमान सेमेस्टर परीक्षाओं में शामिल करने से इनकार कर दिया. प्राविधिक शिक्षा परिषद का कहना है कि इन छात्र-छात्राओं की सूचनाएं उनके पास दर्ज नहीं हैं. समाजवादी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष महेंद्र यादव ने बताया कि दोनों विभागों के बीच संबंध न होने के कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. शिकायतों को एक-दूसरे पर टाल रहे हैं. एनएसयूआई के आर्यन मिश्रा कहते हैं कि व्यवस्था को इतना ज्यादा जटिल बना दिया गया है कि आम छात्र के लिए उसका लाभ उठा पाना मुश्किल हो रहा है.

यह है यूपी में पॉलिटेक्निक कॉलेजों की स्थिति

कुल पॉलिटेक्निक संस्थान : 1441
कुल सीट : 2,41,810Conclusion:7309519520

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