लखनऊ : शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज) होती है. ओवेरियन सिस्ट के कारण महिलाओं में अंडाशय को प्रभावित करती है. प्रदेश की 30 फ़ीसदी महिलाएं पीसीओडी से पीड़ित हैं. महिला सरकारी अस्पतालों में पीसीओडी से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है. हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डाॅ. निवेदिता कर के अनुसार कि इसको लेकर महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है. वहीं आजकल की युवा पीढ़ी इन सभी बीमारियों को लेकर काफी ज्यादा जागरूक रहते हैं. कई बार होता है कि महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं देती हैं. शरीर में हो रहे बदलाव पर फोकस नहीं करती हैं. इस वजह से छोटी सी बीमारी बड़ा रोग बन जाता है. हालांकि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज में ऐसा कुछ नहीं है. हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से कई बार ऐसा हो जाता है. इसका इलाज भी संभव है.
बातचीत के दौरान डाॅ. निवेदिता ने बताया कि यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक सिंड्रोम है. इसका इलाज पूरी तरह से संभव है. ऐसे में बहुत अधिक घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आपको लग रहा है कि आपको पीसीओडी है या आपका वजन बढ़ रह है, आपका बीपी बढ़ रहा है या फिर आपको शुगर हो रहे हैं और साथ में आपके शरीर में अनचाहे बाल उग रहे हैं. वहीं सिर के बाल झड़ रहे हैं तो ऐसे में संभल जाइए. क्योंकि यह पीसीओडी के लक्षण है. इन बातों से आप समझ सकते हैं कि आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम है. डॉ. निवेदिता ने बताया कि रोजाना अस्पताल की ओपीडी में लगभग 200 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. जिनमें से कुछ महिलाएं पीसीओडी की भी होती हैं.
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि अस्पताल में 30 फ़ीसदी महिलाएं इस सिंड्रोम से पीड़ित होकर आती हैं. कई बार उन्हें नहीं समझ में आता है कि उन्हें पीसीओडी है लेकिन जब लक्षण बताती हैं तब हम उन्हें बताते हैं कि वह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से पीड़ित हैं हालांकि इसका इलाज पूरी तरह संभव है. पीसीओडी हार्मोनल समस्या है, इसलिए इसका इलाज भी लंबा चलता है. इसके लिए विशेषज्ञ कम से कम 12 से 18 महीने का हार्मोनल ट्रीटमेंट देते हैं. थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद फिर से इलाज लेना पड़ सकता है क्यों कि ये लाइफस्टाइल डिजीज है. इसे सिर्फ लाइफस्टाइल बदलकर नियंत्रित किया जा सकता है. पूरी तरह से इसे ठीक कर पाना मुश्किल होता है. हार्मोनल ट्रीटमेंट के दौरान मरीज को वजन बढ़ना, गैस, एसिडिटी जैसी समस्या हो सकती है. इसके लिए हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई फैट और हाई कार्बोहाइड्रेट डाइट से परहेज करें. नियमित व्यायाम करें और समय से दवाएं लें. शराब और स्मोकिंग से दूर रहें. जितना ज्यादा आप शारीरिक एक्टिविटीज करेंगे और वजन को नियंत्रित रखेंगी, उतना ही आप इस समस्या को नियंत्रित कर पाएंगी.
डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि महिला अस्पताल में रोजाना लगभग 10 से 15 महिलाएं ऐसी आती हैं जो अनियमित महावारी के कारण परेशान होती हैं. पीसीओडी का सबसे सामान्य लक्षण में से एक है अनियमित माहवारी. इसके जरिए महिलाएं सचेत हो सकती हैं कि शरीर में जरूर कुछ हार्मोंस बदलाव हो रहा है. जिसके चलते माहवारी में लेटलतीफी हो रही है. महिलाओं में 13 से 14 वर्ष में माहवारी शुरू होती है जो 40 से 45 वर्ष में खत्म होती है. इस दौरान महिलाओं को कोई भी बीमारी आसानी से अपनी गिरफ्त में नहीं लेती है, क्योंकि शरीर में जो भी इंफेक्शन या गंदगी होती है, वह माहवारी के दौरान बाहर निकल जाती है, जिससे शरीर डिटॉक्स हो जाता है.