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राजधानी में घटा प्रदूषण का स्तर, सीपीसीबी रिपोर्ट में एक्यूआई 163 - सीपीसीबी

यूपी की राजधानी लखनऊ में इन दिनों प्रदूषण का स्तर कम हुआ है. कोरोना के चलते लोगों ने बेवजह घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है. जिसके चलते राजधानी में पिछले महीने की तुलना में प्रदूषण स्तर कम है. सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार इस समय लखनऊ की एक्यूआई 163 हैं.

राजधानी में घटा प्रदुषण का स्तर.
राजधानी में घटा प्रदुषण का स्तर.
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Published : Apr 27, 2021, 8:02 PM IST

Updated : Apr 27, 2021, 8:36 PM IST

लखनऊ: राजधानी में इन दिनों प्रदूषण का स्तर कम हुआ है. जहां एक तरफ लोगों ने बेवजह घर से बाहर निकलना छोड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर भी वाहन भी कम चल रहे हैं. जिसके चलते इस समय प्रदूषण का स्तर पिछले महीने की तुलना में कम है. सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार इस समय लखनऊ की एक्यूआई 163 हैं. जबकि गोमती नगर क्षेत्र की एयर क्वालिटी इंडेक्स 89 है वहीं बीते दिनों गोमती नगर की एयर क्वालिटी इंडेक्स 75 फीसदी थी. जबकि पिछले महीने मार्च में गोमती नगर की हवा 184 प्रतिशत दूषित पाई गई थी.

हर क्षेत्र की हवा प्रदूषित
राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो सबसे दूषित एरिया तालकटोरा डिस्टिक इंडस्ट्री सेंटर की हवा 241 फीसदी दूषित है. जोकि अन्य इलाकों की तुलना में सर्वाधिक है. वहीं लखनऊ के लालबाग क्षेत्र की हवा 172 फीसदी प्रदूषित है. जबकि सेंट्रल स्कूल की हवा 149 फीसदी प्रदूषित है. क्योंकि इन क्षेत्रों में कारखाने, फैक्ट्रियां ज्यादा है. जिनके चलते धोएं व फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित तत्व इलाके की हवा में मिलते हैं. जिसके कारण राजधानी के इन क्षेत्रों में हवा ज्यादा प्रदूषित है.

कोरोना समय में अन्य शहरों की बात की जाए तो अगरतला की एयर क्वालिटी इंडेक्स 91 फीसदी, आगरा की 153, अहमदाबाद की 128, अजमेर की 89, अमरावती की 67, बागपत की 358, दिल्ली की 283, गांधीनगर की 73, गाजियाबाद की 354 , ग्रेटर नोएडा की 311, कानपुर की 163, लखनऊ की 163, मुजफ्फरनगर की 239, नागपुर की 66, नोएडा की 294 फीसदी एक्यूट हैं.

पर्यावरणविद डॉ. वीपी श्रीवास्तव बतातें हैं कि कोरोना काल में वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई हैं. उससे पहले वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा था. कोरोना काल में गाड़ियां बंद हो गई थीं. इंडस्ट्रीज बंद हो गई थीं. सब कुछ वर्क फ्रॉम होम हो गया था. जिसके चलते बहुत हद तक पॉल्यूशन से राहत मिली थी. लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही सब कुछ खुलने लगा वैसे वायु प्रदूषण भी बढ़ गया था. एयर पॉल्यूशन, वाटर पॉल्यूशन और नॉइस पॉल्यूशन लगातार बढ़ा. लेकिन फिर से एक बार सब कुछ कंट्रोल में आ रहा हैं.

शहर में इतने वाहन
वनों के विनाश, उद्योग और कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है. उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां करीब 21,23,813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. वहीं राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

इसे भी पढ़ें- शंख और सीटी बजाने से बढ़ती है फेफड़ों की क्षमता

लखनऊ: राजधानी में इन दिनों प्रदूषण का स्तर कम हुआ है. जहां एक तरफ लोगों ने बेवजह घर से बाहर निकलना छोड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर भी वाहन भी कम चल रहे हैं. जिसके चलते इस समय प्रदूषण का स्तर पिछले महीने की तुलना में कम है. सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार इस समय लखनऊ की एक्यूआई 163 हैं. जबकि गोमती नगर क्षेत्र की एयर क्वालिटी इंडेक्स 89 है वहीं बीते दिनों गोमती नगर की एयर क्वालिटी इंडेक्स 75 फीसदी थी. जबकि पिछले महीने मार्च में गोमती नगर की हवा 184 प्रतिशत दूषित पाई गई थी.

हर क्षेत्र की हवा प्रदूषित
राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो सबसे दूषित एरिया तालकटोरा डिस्टिक इंडस्ट्री सेंटर की हवा 241 फीसदी दूषित है. जोकि अन्य इलाकों की तुलना में सर्वाधिक है. वहीं लखनऊ के लालबाग क्षेत्र की हवा 172 फीसदी प्रदूषित है. जबकि सेंट्रल स्कूल की हवा 149 फीसदी प्रदूषित है. क्योंकि इन क्षेत्रों में कारखाने, फैक्ट्रियां ज्यादा है. जिनके चलते धोएं व फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित तत्व इलाके की हवा में मिलते हैं. जिसके कारण राजधानी के इन क्षेत्रों में हवा ज्यादा प्रदूषित है.

कोरोना समय में अन्य शहरों की बात की जाए तो अगरतला की एयर क्वालिटी इंडेक्स 91 फीसदी, आगरा की 153, अहमदाबाद की 128, अजमेर की 89, अमरावती की 67, बागपत की 358, दिल्ली की 283, गांधीनगर की 73, गाजियाबाद की 354 , ग्रेटर नोएडा की 311, कानपुर की 163, लखनऊ की 163, मुजफ्फरनगर की 239, नागपुर की 66, नोएडा की 294 फीसदी एक्यूट हैं.

पर्यावरणविद डॉ. वीपी श्रीवास्तव बतातें हैं कि कोरोना काल में वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई हैं. उससे पहले वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा था. कोरोना काल में गाड़ियां बंद हो गई थीं. इंडस्ट्रीज बंद हो गई थीं. सब कुछ वर्क फ्रॉम होम हो गया था. जिसके चलते बहुत हद तक पॉल्यूशन से राहत मिली थी. लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही सब कुछ खुलने लगा वैसे वायु प्रदूषण भी बढ़ गया था. एयर पॉल्यूशन, वाटर पॉल्यूशन और नॉइस पॉल्यूशन लगातार बढ़ा. लेकिन फिर से एक बार सब कुछ कंट्रोल में आ रहा हैं.

शहर में इतने वाहन
वनों के विनाश, उद्योग और कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है. उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां करीब 21,23,813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. वहीं राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

इसे भी पढ़ें- शंख और सीटी बजाने से बढ़ती है फेफड़ों की क्षमता

Last Updated : Apr 27, 2021, 8:36 PM IST
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