लखनऊ: योगी सरकार के बजट प्रस्ताव से पहले ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से बजट में नागरिकों को मुफ्त सुविधाएं दिए जाने के प्रावधान को लेकर विशेष बातचीत की. कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे पर सहमत तो लिखे, लेकिन केजरीवाल मॉडल को समाजवादी पार्टी का ही समर्थन मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इसे नकार दिया है.
केजरीवाल के मॉडल को खारिज करना पूरी तरह गलत
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद के सदस्य उदयवीर सिंह ने कहा कि बजट में मुफ्त में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का जिक्र किया जाना पर था. भारत एक कल्याणकारी राज्य है. संविधान में इसके स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं. हर सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास जैसी सुविधाएं मुहैया कराए. उन्होंने कहा कि ऐसे में केजरीवाल के मॉडल को खारिज करना पूरी तरह गलत है. जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह भारतीय संविधान के पक्षधर नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह लोग जनता की जरूरतों के लिए काम नहीं करना चाहते हैं, तभी इस तरह की बहस की जा रही है.
आम जनता के लिए ऐसी सुविधाएं नियंत्रित होनी चाहिए
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर उमा शंकर पांडे कहते हैं कि सरकारों को आम जनता के हित के लिए ऐसी सुविधाएं देनी चाहिए, लेकिन इसकी मात्रा नियंत्रित और तात्कालिक होनी चाहिए. लोगों को हमेशा के लिए ऐसी चीजें नहीं दी जानी चाहिए, जिससे कि उनका निजी जीवन की जरूरतों के लिए काम करने का रुझान ही कम हो जाए. कांग्रेस पार्टी ने लोगों की जरूरतों को समझते हुए आपातकालीन उपाय के तहत ऐसे प्रावधान किए जैसे किसानों की कर्ज माफी करना और खाद्य सुरक्षा योजना आदि.
खाद्य सुरक्षा योजना से लोगों को भुखमरी से बचाया गया, लेकिन कांग्रेस देश के आर्थिक विकास को लेकर भी प्रयत्नशील रही. कांग्रेस की हमेशा यह कोशिश रही कि देश की अर्थव्यवस्था को ऐसा बनाया जाए कि लोग अपनी जरूरत के लिए सम्मान सहित धन अर्जित कर सकें. यही वजह है कि केजरीवाल सरकार के मॉडल और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार की लैपटॉप योजना, बेरोजगारी भत्ता योजना को उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इन्होंने आर्थिक ढांचे को सुधारने और लोगों को साधन संपन्न बनाने के बजाय दूसरे तरीके आजमाए.
केजरीवाल सरकार की योजना चुनावी फायदे के लिए है
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जुगल किशोर भी बजट प्रस्ताव में सरकारी सुविधाओं को मुफ्त में देने का समर्थन तो करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि ऐसे कदम बहुत जरूरी होने पर ही उठाए जाएं और अगर कोई योजना शुरू की जाए तो उसे दीर्घकाल तक संचालित किया जाए. चुनावी फायदा उठाने के लिए तत्काल कोई योजना लाई जाए, यह सरकार के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने जो योजनाएं लागू की वह चुनावी फायदे के लिए की गई हैं. इसका आम जनता को लंबे समय तक फायदा मिलने वाला नहीं है.