लखनऊ : गाजीपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में चार साल की सजा सुना दी है. उन पर ₹एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अफजाल अंसारी सांसद नहीं रह गए हैं. अफजाल की सांसदी खत्म होने से बहुजन समाज पार्टी को भी झटका लगा है. निकाय चुनाव से ठीक पहले अफजाल पर हुई इस कार्रवाई का असर भी चुनाव पर पड़ेगा. साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी को इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी के अब नौ सांसद बचे हैं. पार्टी दहाई वाले सांसदों की संख्या से अब इकाई वाले सांसदों की संख्या में शुमार हो गई है. उसमें भी तीन सांसद लगातार विभिन्न पार्टियों के नेताओं की तारीफ कर रहे हैं. उनके नेताओं से भी मिल रहे हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले मायावती को और भी झटके झेलने पड़ सकते हैं.
गाजीपुर में अफजाल अंसारी के कारण बहुजन समाज पार्टी मजबूत थी. बसपा अब 2024 में अफजाल अंसारी के बिना ही चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होगी. अफजाल अंसारी को चूंकि कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है, ऐसे में अब वह लोकसभा चुनाव किसी कीमत पर नहीं लड़ पाएंगे. अफजाल के राजनीतिक कॅरियर की बात करें तो उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से राजनीति में कदम रखा था. 1985 में पहली बार अफजाल ने चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी अभय नारायण राय को 3064 वोट से हराकर जीत हासिल की थी. 1985 से लेकर 2002 तक पांच बार अफजाल अंसारी विधायक रहे. इसके बाद वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अफजाल अंसारी को टिकट दिया और अफजाल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनोज सिन्हा को 2 लाख 26 हजार 777 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद वर्ष 2009 का चुनाव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से लड़ा, लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राधामोहन सिंह से अफजाल को हार का सामना करना पड़ा.
इसके बाद अफजाल अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी छोड़ दी और कौमी एकता दल का गठन किया, लेकिन वर्ष 2019 आते-आते एक बार फिर अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल का बहुजन समाज पार्टी में विलय कर दिया. बीएसपी मुखिया मायावती ने गाजीपुर से 2019 लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाया. एक बार फिर चुनाव जीतने में अफजाल ने सफलता पाई और सांसद बन गए, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव आने से पहले ही अफजल को चार साल की सजा हो गई है. उनकी संसद सदस्यता रद्द होनी तय है. फिलहाल अब अफजाल अंसारी आगे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
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