लखनऊ: राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. राहुल ने ट्विटर पर पोस्ट कर अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे की जानकारी दी. राहुल ने अपने इस्तीफे की फोटो ट्विटर पर शेयर की, जिसमें उन्होंने इस्तीफे की वजह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार बताया है.
राहुल गांधी खुद को कांग्रेस पार्टी की हार की जिम्मेदार मानते हैं.
राहुल गांधी ने 2004 में कांग्रेस पार्टी में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. अपने राजनीतिक सफर में राहुल गांधी को कभी सफलता तो कभी अफसलताओं का भी सामना करना पड़ा है. एक नजर डालते हैं राहुल गांधी के वर्ष 2004 से 2019 के राजनीतिक कार्यकाल पर.
2004: राजनीति में पहला कदम रखा और अमेठी से, जिसका प्रतिनिधित्व पहले पिता राजीव गांधी ने किया था, चुनाव लड़े और 2 लाख मतों से जीतकर अमेठी सीट अपने नाम की. कांग्रेस सत्ता में आई और केंद्र में UPA की सरकार का नेतृत्व किया.
2007: कांग्रेस के महासचिव की न्युक्ति की गई और भारतीय युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का प्रभार दिया गया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक, लेकिन कांग्रेस 403 में से सिर्फ 22 सीटें जीती.
2008: खुद को गरीबों और दलितों के मसीहा के रूप में स्थान देने लगे. नियामगिरी के आदिवासियों को समर्थन देने के साथ शुरू करते हुए यूपी में गांव के घरों में रातें बिताईं, मुंबई में लोकल ट्रेन में सफर किया, दिल्ली में रिक्शा चालकों और स्वच्छता कर्मचारियों से मुलाकात की, बजट एयरलाइनों को भी उड़ान दी.
2009: लोगसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 125 रैलियों का नेतृत्व किया. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 80 में से 21 सीटों पर जीत हासिल कर UPA के साथ सत्ता में वापसी की.
2011: भट्टा पारसौल गांव में कम दरों पर अपनी ज़मीन का जबरन अधिग्रहण करने के विरोध में प्रदर्शन करने वाले किसानों में शामिल होने पर गिरफ्तार हुए. बाद में, यूपीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम पारित कर दिया.
2013:
- कांग्रेस उपाध्यक्ष के तौर पर हुए नियुक्त हुए, कहा सत्ता विष है.
- पार्टी महासचिव अजय माकन द्वारा एक प्रेस ब्रीफिंग में एक आश्चर्य की बात करते हुए, अपनी खुद की सरकार के प्रस्तावित अध्यादेश को पूरी तरह से निरर्थक बताया.
- दोषी ठहराए गए राजनेताओं को अयोग्य घोषित करने से रोक दिया.
2014: यूपीए ने अपनी सत्ता गवाई, कांग्रेस लोकसभा में 44 सीटों पर सिमट कर रह गई. राहुल गांधी भी अमेठी से हार के काफी करीब थे, लेकिन बहुत कम अंतर से अमेठी में अपनी साख बचाए रखने में रफल रहे.
2015:
- लगभग दो महीने तक विपश्यना का अभ्यास करने के लिए विदेश में एक अज्ञात स्थान पर गए.
- मोदी सरकार को कहा 'सूट-बूट सरकार'. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2011 में प्रस्तावित संशोधनों को छोड़ने के लिए सरकार को बाध्य किया.
- राहुल और सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े धन के कथित दुरुपयोग के मामले में अदालत में पेश हुए, लेकिन कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी.
2017:
- अपने ट्विटर हैंडल का प्रभार लिया और एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा और फौरन सोशल मीडिया पर छा गए.
- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में एक प्रेरणादायक भाषण दिया, जहां उन्होंने समकालीन भारत और आगे का मार्ग दर्शन किया.
- प्रिंसटन विश्वविद्यालय में एक और बातचीत के बाद, मोदी के प्रमुख चैलेंजर के रूप में उनके आगमन का संकेत दिया.
- भाषण के दौरान राहुल बेरोजगारी, कृषि संकट और आर्थिक मंदी पर केंद्रित सरकार के खिलाफ भी बोले.
- कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गए. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी.
- नोटबंदी के बाद करेंसी बदलवाने के लिए बैंक की कतार में लगे.
2018: कर्नाटका विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी, बीजेपी के चुनाव में जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन करने के लिए कांग्रेस ने बुरी तरह हराया. राहुल ने अपने गठबंधन के साथी के सामने मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव भी रखा.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को जीत दिलाई, लेकिन तेलंगाना और मिजोरम में कांग्रेस को बुरी हार का मुंह देखना पड़ा.
2019: लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के प्रचंड बहुमत के सामने कांग्रेस बौनी साबित हुई और पार्टी को बहुत बुरी हार का सामना करना पड़ा.