लखनऊ: पंचायत चुनाव के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव (up assembly election 2022) के लिए बिसात बिछनी शुरू हो गई है. इसी कड़ी में सभी राजनीतिक दलों ने लगातार बैठकों का दौर शुरू कर दिया है, जिससे कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जा सके. जहां भारतीय जनता पार्टी लगातार संगठन की बैठक कर पार्टी को मजबूत करने का प्रयास कर रही है. वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दे रहे हैं. वहीं शिवपाल सिंह यादव प्रदेश के विभिन्न जनपदों का दौरा कर आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का दावा करते रहते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में सभी छोटे दलों के लिए समाजवादी पार्टी के दरवाजे खुले हैं. विगत 2 माह पूर्व जिस तरह से अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को कन्नौज की एकमात्र सीट देने की बात कही थी. इस पर जिस तरह से शिवपाल यादव ने चुप्पी साध ली थी. उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के सामने चुनौती पेश कर सकते हैं. हालांकि शिवपाल सिंह यादव कई बार इस बात को भी कह चुके हैं कि कुछ शकुनी टाइप के लोग हैं जो परिवार को एकजुट होने देना नहीं चाहते हैं.
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ओवैसी से मिले शिवपाल तो होगी बड़ी चुनौती
जनवरी माह में जिस तरह से असदुद्दीन ओवैसी ने पूर्वांचल का दौरा किया था और ओमप्रकाश राजभर के साथ संयुक्त मोर्चे के तहत एक साथ आने की बात कही थी. ऐसे में जिस तरह से शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और भतीजे अखिलेश यादव लगातार अपने चाचा का अपमान कर रहे हैं. यदि शिवपाल यादव ओवैसी की संयुक्त मोर्चे वाली टीम में शामिल होंगे, तो आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी को इसका खामियाजा 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह भुगतना पड़ सकता है.
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क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव शिवपाल यादव से गठबंधन कर अपने लिए मुसीबत नहीं खड़ी करेंगे. इससे पूर्व भी सपा सरकार में जब शिवपाल सिंह यादव मंत्री थे, तो लगातार अखिलेश यादव के सामने चुनौती प्रस्तुत करते थे. समाजवादी पार्टी से निकलकर अपनी पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव इस समय राजनीतिक हाशिए पर हैं और अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में शामिल कर एक प्लेटफार्म नहीं देंगे, जिससे आने वाले दिनों में अखिलेश यादव को अपने चाचा से ही चुनौती का सामना करना पड़े.
बताते चलें कि चाचा भतीजे की लड़ाई अब राजनीतिक प्लेटफॉर्म पर भी साफ दिखती है. निश्चित रूप से जिस तरह से अखिलेश यादव ने छोटे दलों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं पर चाचा शिवपाल के बारे में अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भतीजे अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव की राहें जुदा हो सकती हैं.