लखनऊः साइबर अपराध के मामले दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश की पुलिस ने प्रदेश में 18 साइबर थाने खोल दिए हैं, जिनके माध्यम से साइबर अपराध की चुनौतियों से निपटने की कोशिश जारी है, लेकिन ये थाने सिर्फ सरफेस नेट तक ही सीमित हैं, क्योंकि डार्क नेट तक अभी साइबर पुलिस की पकड़ ही नहीं है.
इन कामों में होता है डार्क नेट का प्रयोग
अभी पुलिस साइबर क्राइम के ऐसे मामलों को खोलने का प्रयास करती है, जो सरफेस नेट के माध्यम से घटित होते हैं. लेकिन डार्कनेट और डीप नेट में हुए क्राइम को खोलने में पुलिस नाकाम है. मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी से लेकर बड़े-बड़े साइबर अपराध नेट की इसी काली दुनिया से होते हैं, जो अभी पुलिस की पहुंच से दूर हैं. डार्क नेट के माध्यम से दुनिया भर के गैर कानूनी काम होते हैं. इंसानों पर अत्याचार, वेबसाइट हैक करना, असलहा तस्करी करना या फिर ड्रग की स्मलिंग करना सब इसी माध्यम से होता है.
लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम
लखनऊ के साइबर अपराध को खोलने वाली पुलिस टीम के पास डार्क नेट और डीप नेट के माध्यम से हो रहे अपराध खोलने की विशेषज्ञता नहीं है. इसमें कई तरह की तकनीकी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. जबकि नेशनल साइबर क्राईम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 7 महीनों के भीतर ही लखनऊ में 14,683 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जो कि पिछले साल की अपेक्षा काफी ज्यादा हैं.
बाल शोषण में पकड़ा गया इंजीनियर करता था डार्क नेट का उपयोग
चित्रकूट से सिंचाई विभाग के इंजीनियर रामभवन को 10 दिन पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. वह इंजीनियर डार्क नेट की विशेषज्ञता रखता था. उसने जितने भी साइबर अपराध किए, वह डार्क नेट के माध्यम से किए. 50 से ज्यादा बच्चों के यौन शोषण करके वह बच्चों के अश्लील वीडियो, फोटो और कई तरह की आपत्तिजनक सामग्री भी डार्क वेब पर ही रखता था.
क्या है डार्क नेट और डीप नेट (dark net and deep net)
वर्ल्ड वाइड वेब को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा गया है. पहला सर्फेस वेब और दूसरा डीप वेब. सर्फेस वेब में मौजूद जानकारी सर्च इंजन द्वारा आसानी से खोजी जा सकती है. साथ ही गूगल जैसे किसी भी ब्राउजर से एक्सेस किया जा सकता है. गूगल, फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप और यूट्यूब जैसी करोड़ों वेबसाइट इसी सर्फेस वेब में मौजूद हैं, लेकिन डीप वेब का एक अंधकारमय हिस्सा ऐसा भी है जो बेहद रहस्यमय है. आजकल हम जिस इंटरनेट का प्रयोग करते हैं या इस्तेमाल करते हैं, वह संपूर्ण वेब का सिर्फ 4% हिस्सा है, जिसे हम सरफेस वेब कहते हैं. बाकी का 96 फीसदी हिस्सा पूरी तरह से छुपा हुआ है, जिसे हम डार्क वेब या डार्क नेट के नाम से जानते हैं. डार्क वेब इंटरनेट की वह काली दुनिया है, जहां दुनिया भर के गैर कानूनी काम होते हैं. डार्क नेट को लोग डार्क वेब, डीप वेब और डीप नेट के नाम से पुकारते हैं जो सामान्यतया एक ही चीज है.
साइबर अपराध के मामलों को लगातार पुलिस खोल रही है, लेकिन जो क्राइम डार्क नेट या डीप नेट के माध्यम से हो रहे हैं, वहां तक पहुंचना अभी संभव नहीं है. साइबर अपराध को खोलने की विशेषज्ञता अभी हासिल करने की कोशिश हो रही है. क्योंकि इस तरह की वेबसाइट का एक्सेस सामान्य तौर पर नहीं होता है.
विवेक रंजन, एसीपी, साइबर अपराध