ETV Bharat / state

बंद हो चुकी बीमा पॉलिसी का क्लेम दिलाने के नाम पर करता था करोड़ों की ठगी, STF ने दबोचा - बीमा पॉलिसी का क्लेम

यूपी एसटीएफ (UP STF) बंद हो चुकी बीमा पॉलिसी का क्लेम दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से मोबाइल फोन, आधार कार्ड और 77 डेटा शीट मिली हैं. जिनमें बीमा पॉलिसी धारकों की डिटेल है.

etv bharar
विमल
author img

By

Published : Dec 11, 2022, 12:04 PM IST

लखनऊ: यूपी एसटीएफ (UP STF) ने करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग के एक सदस्य को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. पकड़ा गया आरोपी बंद हो चुकी बीमा पॉलिसी से एजेंट कोड हटवाकर क्लेम दिलाने का भरोसा देकर ठगी करता था. आरोपी खुद को बीमा विनियामक (insurance regulator) और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) का अधिकारी होने का भरोसा दिलाता था. इसके बाद लोगों को शिकार बना रुपये लेकर फरार हो जाता था.

एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि इंश्योरेंस में बोनस (Bonus in Insurance) दिलाने, एजेंट कोड हटाने (remove agent code) व बंद पॉलिसी से क्लेम दिलाने का झांसा देने वाले गाजियाबाद निवासी विमल कुमार गुप्ता को शनिवार को दिल्ली कैलाश पार्क मोतीनगर से गिरफ्तार गया है. आरोपी के पास से मोबाइल फोन, आधार कार्ड और 77 डेटा शीट मिली हैं. जिनमें बीमा पॉलिसी धारकों की डिटेल है.

एसएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, विमल गुप्ता के 9 साथियों को 29 अप्रैल को पकड़ा गया था. जिनके पास से 26 लाख रुपये मिले थे. पूछताछ में आरोपियों ने विमल के बारे में जानकारी दी थी, जो साथी की गिरफ्तारी के बाद से गाजियाबाद छोड़कर दिल्ली के मोती नगर में छिपा हुआ था. सर्विलांस की मदद से मिली लोकेशन के आधार पर विमल को पकड़ा गया है.

एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी विमल ने बताया कि वह बीमा पॉलिसी पर क्लेम (claim on insurance policy) दिलाने का दावा करता था. गिरोह के सदस्य इंश्योरेंस धारकों की डिटेल प्राप्त कर कॉल करते थे. इसमें भी उन लोगों को चिह्नित किया जाता था, जिनकी पॉलिसी बंद हो गई है. आईआरडीए अधिकारी होने का दावा करते हुए बंद पॉलिसी पर लगा एजेंट कोड हटवा कर क्लेम दिलाने की बात कही जाती थी.

लखनऊ में झांसा देकर हड़पे थे 22 लाख
दरअसल, राजधानी के कृष्णानगर थाने में पीड़ित आशा मिश्रा ने पॉलिसी के नाम पर 22 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कराया था. जांच में सामने आया कि विमल और उसके गैंग ने ही आशा मिश्रा के साथ ठगी की थी. गिरोह के मुखिया देवेंद्र सिंह के पकड़े जाने के बाद विमल ने दिल्ली मोती नगर कैलाश पार्क में मरकरी इंश्योरेंस के नाम से फर्म बनाई थी. पूछताछ में विमल ने बताया कि वर्ष 2009 में वह एंबिट कंपनी में टेलीकॉलर के तौर पर जुड़ा था. यही काम करने के दौरान उसकी मुलाकात देवेंद्र सिंह से हुई, जिसके साथ वह इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर धोखाधड़ी करने लगा. विमल के मुताबिक उसे 40 प्रतिशत कमीशन मिलता था. आरोपी के मुताबिक टेलीमार्केटिंग के जरिए उसे ग्राहकों का डाटा आसानी से मिल जाता था, जिसे वह अन्य इंश्योरेंस ब्रोकरों को भी बेचता था.

पढ़ेंः रेलवे के रिटायर्ड इंजीनियर से 10 लाख की जालसाजी, कोर्ट के आदेश पर 8 के खिलाफ केस र्दज

लखनऊ: यूपी एसटीएफ (UP STF) ने करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग के एक सदस्य को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. पकड़ा गया आरोपी बंद हो चुकी बीमा पॉलिसी से एजेंट कोड हटवाकर क्लेम दिलाने का भरोसा देकर ठगी करता था. आरोपी खुद को बीमा विनियामक (insurance regulator) और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) का अधिकारी होने का भरोसा दिलाता था. इसके बाद लोगों को शिकार बना रुपये लेकर फरार हो जाता था.

एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि इंश्योरेंस में बोनस (Bonus in Insurance) दिलाने, एजेंट कोड हटाने (remove agent code) व बंद पॉलिसी से क्लेम दिलाने का झांसा देने वाले गाजियाबाद निवासी विमल कुमार गुप्ता को शनिवार को दिल्ली कैलाश पार्क मोतीनगर से गिरफ्तार गया है. आरोपी के पास से मोबाइल फोन, आधार कार्ड और 77 डेटा शीट मिली हैं. जिनमें बीमा पॉलिसी धारकों की डिटेल है.

एसएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, विमल गुप्ता के 9 साथियों को 29 अप्रैल को पकड़ा गया था. जिनके पास से 26 लाख रुपये मिले थे. पूछताछ में आरोपियों ने विमल के बारे में जानकारी दी थी, जो साथी की गिरफ्तारी के बाद से गाजियाबाद छोड़कर दिल्ली के मोती नगर में छिपा हुआ था. सर्विलांस की मदद से मिली लोकेशन के आधार पर विमल को पकड़ा गया है.

एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी विमल ने बताया कि वह बीमा पॉलिसी पर क्लेम (claim on insurance policy) दिलाने का दावा करता था. गिरोह के सदस्य इंश्योरेंस धारकों की डिटेल प्राप्त कर कॉल करते थे. इसमें भी उन लोगों को चिह्नित किया जाता था, जिनकी पॉलिसी बंद हो गई है. आईआरडीए अधिकारी होने का दावा करते हुए बंद पॉलिसी पर लगा एजेंट कोड हटवा कर क्लेम दिलाने की बात कही जाती थी.

लखनऊ में झांसा देकर हड़पे थे 22 लाख
दरअसल, राजधानी के कृष्णानगर थाने में पीड़ित आशा मिश्रा ने पॉलिसी के नाम पर 22 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कराया था. जांच में सामने आया कि विमल और उसके गैंग ने ही आशा मिश्रा के साथ ठगी की थी. गिरोह के मुखिया देवेंद्र सिंह के पकड़े जाने के बाद विमल ने दिल्ली मोती नगर कैलाश पार्क में मरकरी इंश्योरेंस के नाम से फर्म बनाई थी. पूछताछ में विमल ने बताया कि वर्ष 2009 में वह एंबिट कंपनी में टेलीकॉलर के तौर पर जुड़ा था. यही काम करने के दौरान उसकी मुलाकात देवेंद्र सिंह से हुई, जिसके साथ वह इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर धोखाधड़ी करने लगा. विमल के मुताबिक उसे 40 प्रतिशत कमीशन मिलता था. आरोपी के मुताबिक टेलीमार्केटिंग के जरिए उसे ग्राहकों का डाटा आसानी से मिल जाता था, जिसे वह अन्य इंश्योरेंस ब्रोकरों को भी बेचता था.

पढ़ेंः रेलवे के रिटायर्ड इंजीनियर से 10 लाख की जालसाजी, कोर्ट के आदेश पर 8 के खिलाफ केस र्दज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.