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बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की जेल, कोर्ट ने कहा- छोटे बच्चे ऐसी घटनाओं के कारण आजादी नहीं पा रहे

पॉक्सो कोर्ट ने 6 साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को 20 साल के सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी है. अभियुक्त ने 14 दिसंबर 2019 को वारदात को अंजाम दिया था.

पॉक्सो कोर्ट
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Published : Nov 9, 2021, 9:13 PM IST

लखनऊ : पॉक्सो के विशेष जज राम बिलास प्रसाद ने 6 साल की बच्ची के साथ दुराचार करने के मामले में अभियुक्त टुन्ना उर्फ शनि को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त को 20 साल के सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है.


इस मामले की एफआईआर 14 दिसम्बर 2019 को पीड़िता के पिता ने थाना गोमतीनगर में दर्ज करायी थी. सरकारी वकील शशि पाठक और मनोज तिवारी के मुताबिक पीड़ित बच्ची खेलने के लिए रेलवे लाईन के किनारे गयी थी. तभी अभियुक्त उसे अपनी झोपड़ी में खींच ले गया और पीड़ित बच्ची के साथ दुराचार किया. अभियुक्त को दोषी करार दिये जाने के बाद उसके अधिवक्ता की ओर से दलील दी गयी कि अभियुक्त अत्यंत गरीब है, लिहाजा दंड के बिंदु पर उदार दृष्टिकोण अपनाया जाए.


न्यायालय ने अभियुक्त के वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अभियुक्त ने छह साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार जैसा घिनौना अपराध किया है. ऐसी घटनाओं से बच्चों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है और न सिर्फ बच्चे बल्कि उनके माता-पिता भी अपने बच्चों को स्वच्छंद होकर बाहर खेलने-कूदने की आजादी नहीं दे पाते हैं. इससे बच्चों के सर्वांगीण विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. न्यायालय ने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त के लिए उदार दृष्टिकोण अपनाने का कोई विकल्प मौजूद नहीं है.

इसे भी पढ़ें - 15 मुकदमों में अभियुक्त युवती की जमानत अर्जी खारिज, जानिए क्या है आरोप

लखनऊ : पॉक्सो के विशेष जज राम बिलास प्रसाद ने 6 साल की बच्ची के साथ दुराचार करने के मामले में अभियुक्त टुन्ना उर्फ शनि को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त को 20 साल के सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है.


इस मामले की एफआईआर 14 दिसम्बर 2019 को पीड़िता के पिता ने थाना गोमतीनगर में दर्ज करायी थी. सरकारी वकील शशि पाठक और मनोज तिवारी के मुताबिक पीड़ित बच्ची खेलने के लिए रेलवे लाईन के किनारे गयी थी. तभी अभियुक्त उसे अपनी झोपड़ी में खींच ले गया और पीड़ित बच्ची के साथ दुराचार किया. अभियुक्त को दोषी करार दिये जाने के बाद उसके अधिवक्ता की ओर से दलील दी गयी कि अभियुक्त अत्यंत गरीब है, लिहाजा दंड के बिंदु पर उदार दृष्टिकोण अपनाया जाए.


न्यायालय ने अभियुक्त के वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अभियुक्त ने छह साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार जैसा घिनौना अपराध किया है. ऐसी घटनाओं से बच्चों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है और न सिर्फ बच्चे बल्कि उनके माता-पिता भी अपने बच्चों को स्वच्छंद होकर बाहर खेलने-कूदने की आजादी नहीं दे पाते हैं. इससे बच्चों के सर्वांगीण विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. न्यायालय ने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त के लिए उदार दृष्टिकोण अपनाने का कोई विकल्प मौजूद नहीं है.

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