लखनऊ : राजधानी के बड़े अस्पतालों में ही अभी तक प्लास्टिक सर्जरी होती हैं, लेकिन अब बलरामपुर अस्पताल में जल्द ही प्लास्टिक सर्जन की तैनाती होगी. अभी तक अस्पताल में जो भी मरीज प्लास्टिक सर्जरी के लिए आते हैं उन्हें केजीएमयू, लोहिया या पीजीआई रेफर किया जाता है. डॉक्टर नहीं होने के कारण यहां से हजारों मरीज अन्य अस्पताल भेजा जाता है और वहां बड़े संस्थान में जाकर मरीजों को तमाम दिक्कत परेशानी झेलनी पड़ती हैं. इसे देखते हुए प्लास्टिक सर्जन की तैनाती की प्रक्रिया शुरू की गई है. मौजूदा समय में अस्पताल में 12 बेड का बर्न वॉर्ड हैं. इसमें भर्ती मरीजों का सर्जरी विभाग के डॉक्टर इलाज करते हैं.
बता दें, प्रदेश के किसी भी जिला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन के स्पेशलिस्ट डॉक्टर नियुक्त नहीं हैं. जो भी सर्जन अस्पताल में होते हैं वही प्लास्टिक सर्जरी के मरीज को भी देखते हैं. हालांकि जिला अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जरी के जो केस आते हैं उन्हें सर्जन मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर देते हैं. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी उन डॉक्टरों के द्वारा की जाती है. जिन्होंने एमबीबीएस, एमसीएच इन प्लास्टिक सर्जरी किया. पांच साल का जिला अस्पताल में एक्सपिरिएंस चाहिए होता है. बलरामपुर अस्पताल में पहले डॉ. अतुल मल्होत्रा, डॉ. राजीव लोचन, डॉ. प्रमोद कुमार सर्जन थे जो प्लास्टिक सर्जरी के मरीजों को भी देखते थे. इन सभी सर्जनों के पास एक लंबा एक्सपीरियंस था. बलरामपुर अस्पताल में सीनियर रेजीडेंट का एक पद है. एक डॉक्टर एमसीएच इन प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ हैं. उनके पास अच्छा एक्सपीरियंस है, उन्हें अप्वॉइंट किया गया है. उन्होंने एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच इन न्यूरोलॉजी किया है. एक से डेढ़ महीने में वह ज्वाइन करेंगे.
डॉ. जेपी गुप्ता ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग कई मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिन्हें हम अन्य अस्पताल में रेफर करते हैं कभी सिविल अस्पताल करते हैं तो कभी मेडिकल कॉलेज. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग को संभालते हैं. ज्यादातर केस वहीं रेफर किए जाते हैं, जबकि प्लास्टिक सर्जन नहीं होने के कारण बलरामपुर अस्पताल के बर्न विभाग काफी प्रभावित होगा. क्योंकि बर्न विभाग में प्लास्टिक सर्जन का होना अनिवार्य है. कई बार केस ऐसे आते हैं कि मरीज की स्थिति काफी खराब रहती है. ऐसे में उन्हें सर्जरी की जरूरत होती है.
केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. बृजेश मिश्रा ने बताया कि केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रोजाना ढाई सौ से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं. कभी-कभी इससे अधिक भी हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेशभर से केजीएमयू में लोग इलाज के लिए आते हैं. प्लास्टिक सर्जरी कराने के लिए बाहरी मरीज आते हैं. इनमें ज्यादातर केस बर्न के आते हैं. बर्न विभाग का कनेक्शन प्लास्टिक सर्जरी विभाग से होता है. कई बार केजीएमयू ट्रामा सेंटर में बर्न विभाग में केस आते हैं. ऐसे में आग में झुलसे हुए मरीजों की त्वचा पूरी तरह से झुलस जाती है. उस समय प्लास्टिक सर्जन की खास जरूरत होती है. हालांकि बहुत सारे लोग जो एक अच्छी प्रोफाइल से ताल्लुक रखते हैं वे आकर्षक और सुंदर दिखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराते हैं. प्लास्टिक सर्जरी से शारीरिक सौंदर्य को बरकरार रखा जाता है. दुर्घटना, बीमारी या आग से जलने पर जब मानव अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे मरीजों की ट्रीटमेंट प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से की जाती है.