लखनऊः कोविड-19 महामारी से निजात पाने के लिए लगातार साइंटिस्ट और डॉक्टर्स की टीम दिन-रात काम कर रही है. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी इस महामारी से लड़ने के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने देशभर के चुनिंदा रिसर्च सेंटर्स में प्लाज्मा थेरेपी के लिए इजाजत दी है. इसमें उत्तर प्रदेश का एसजीपीजीआई सेंटर भी शामिल है. जहां प्लाज्मा थेरेपी की जल्द शुरुआत होने वाली है.
एसजीपीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर राधा कृष्ण धीमन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि एसजीपीजीआई आईसीएमआर के द्वारा चिह्नित रिसर्च सेंटर में से एक है. यहां जल्द प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इसी हफ्ते से पेशेंट चाहे तो अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं.
क्या होता है प्लाज्मा
मनुष्य के शरीर में खून अलग-अलग कंपोनेंट से मिलकर बना होता है. इसमें से एक प्लाज्मा कहलाता है. इसी प्लाज्मा में एंटीबॉडीज भी बनती है, जो वातावरण से हमारे शरीर में आने वाले सूक्ष्मजीवों से शरीर की रक्षा करती हैं.
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क्या है प्लाज्मा थेरेपी
जब कोई बाहरी सूक्ष्मजीव (जैसे वायरस, बैक्टीरिया, फंगस आदि) हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हमारा शरीर उससे लड़ने के लिए कुछ पदार्थ का निर्माण करता है. इसे एंटीबॉडी कहते हैं, क्योंकि वायरस एक एंटीजन होता है और हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद वह अपना द्विगुणन (अपने जैसे वायरस बनाना) शुरू कर देता है. इस वायरस से लड़ने के लिए शरीर के रक्त में मौजूद प्लाज्मा के अंदर एंटीबॉडी का प्रोडक्शन होता है.
जब कोई व्यक्ति उस वायरस से जंग को जीत जाता है तो कुछ प्रोडक्टिव एंटीबॉडी उसके प्लाज्मा में हमेशा के लिए बन जाते हैं. इससे भविष्य में कभी भी वह वायरस शरीर में प्रवेश कर नुकसान नहीं पहुंचा पता है. ऐसे ही खतरनाक वायरस से जंग जीते हुए व्यक्ति के प्लाज्मा को लेकर वायरस का शिकार हुए व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर किया जाता है तो इस प्रक्रिया को प्लाज्मा थेरेपी कहते हैं.