लखनऊ : पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे आम उत्पादकों के लिए इस बार अच्छी खबर है. बागों में इस बार अच्छा बौर आया है, साथ ही अब तक मौसम ने भी साथ दिया है. ऐसे में बागवान खुश हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि पिछले वर्षों पड़ी प्रकृति की मार से शायद वह इस बार उबर सकें. गौरतलब है कि पिछले वर्ष कई दशकों में सबसे कम आम का उत्पादन हुआ था तो वहीं इसके पहले के दो साल कोरोना संकट में ही गुजर गए. कभी फसल कम हुई, तो कभी कोरोना संकट के कारण लोग फल मार्केट तक नहीं पहुंचा सके. इस बार उम्मीद बंधी है कि शायद पिछला घाटा पूरा हो जाए.
उत्तर प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा आम उत्पादन किया जाता है. यह देश में होने वाले कुल आम उत्पादन का एक चौथाई है. औसतन 40-45 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन प्रदेश में होता है. प्रदेश का दशहरी आम देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. यहां दशहरी के अलावा चौसा, सफेदा, लंगड़ा, हुस्नारा, मालदा और फजली समेत तमाम आम की किस्में लोकप्रिय हैं. देशी आम की भी सैकड़ों किस्में लोगों को खूब भाती हैं. राजधानी लखनऊ और आसपास के जिलों का दशहरी आम अपने स्वाद के लिए एक अलग ही पहचान रखता है.
2022 में औसत उत्पादन से अस्सी फीसद कम आम पैदा हुआ था. कई बागवान मानते हैं कि इतना कम उत्पादन उन्होंने जीवन में नहीं देखा. बताते हैं कि समय से पहले ही गर्मी अधिक पड़ने से बौर ही झुलस गया था. इस कारण उत्पादन पर बहुत बड़ा असर पड़ा. आम के बागवान नकली दवाओं से भी परेशान रहे हैं. इनसे फसलों को काफी नुकसान होता है. इस दिशा में भी अब सुधार हुआ है. यदि मौसम की बात करें तो आमतौर पर जनवरी-फरवरी या मार्च के आरंभ में एक-दो बार आंधी-पानी जरूर आता था, लेकिन इसे किसानों और बागवानों का सौभाग्य ही कहा जाएगा कि इस बार एक बार भी ऐसा आंधी-पानी नहीं आया है, जिससे फसलों को बड़ा नुकसान हो. यही कारण है कि बागवानों के चेहरे खिले हैं.
आम की बागवानी करने वाले धीरेंद्र सिंह कहते हैं 'इस बार मौसम ने साथ दिया है. साथ ही पेड़ों में फ्लावरिंग भी समय से हुई. समय से पहले या बाद हुई फ्लावरिंग को मौसम से नुकसान होता है और पैदावार कम हो जाती है, हालांकि इस बार अब तक सब कुछ ठीक-ठाक है. यदि आगे भी किस्मत ने साथ दिया तो हर आम और खास को आम का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा.' वह कहते हैं 'कई बार फल बड़ा होने पर उसमें रोग लग जाते हैं या फल दागी हो जाते हैं. इससे बचाव के लिए किसानों को सतर्क रह कर जरूरी दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए. यदि समय पर दवाओं का छिड़काव होता रहे तो रोगों का असर कम होता है और पैदावार अच्छी होती है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार रिकॉर्ड आम उत्पादन होगा.'
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