लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार हर साल करोड़ों पौधे लगाने का दावा करती है, लेकिन इन दावों के सापेक्ष हरियाली बढ़ती दिखाई नहीं देते हैं. यह भी पता नहीं चलता कि साल-दर-साल रोपे जा रहे पौधों में कितने देख-रेख के अभाव में मर जाते हैं. राज्य सरकार हर साल विभिन्न विभागों के लिए पौधरोपण के लक्ष्य तय करती है और बड़े पैमाने पर पौधे लगाए भी जाते हैं, लेकिन यह अभियान रस्म अदायगी जैसा ही साबित होता है, क्योंकि विभागों और संस्थाओं द्वारा रोपे गए पौधों में कितने चल रहे हैं और कितने चले गए इसका कोई आंकड़ा नहीं है.
पौधरोपण को लेकर यदि सरकार के दावों की बात करें तो सरकार मानती है कि उसने पिछले छह साल के शासन में अभियान चलाकर प्रदेश में 131 करोड़ पौधे लगवाए हैं. सरकार का कहना है कि उसके प्रयास से पौधरोपण के आंकड़े साल-दर-साल बढ़े हैं. साल 2017-18 में प्रदेश में 5.72 करोड़ पौधे लगाए गए तो 2018-19 में बढ़कर यह आंकड़ा 11.77 करोड़ पहुंच गया. वर्ष 2019-20 में 22.60 करोड़, 2020-21 में 25.87 करोड़, 2021-22 में 30.53 करोड़ और 2022-23 में 35.49 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं. यह बात और है कि इन दावों से सापेक्ष प्रदेश में हरियाली बढ़ती दिखाई नहीं देती. सरकार को चाहिए कि वह जितना ध्यान पौधे रोपने पर देती है, उसी अनुपात में लगाए गए पौधों की देखभाल पर भी दे. इससे हालात सुधरेंगे और संस्थाओं पर रोपे गए पौधों की देखभाल का दबाव बढ़ेगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में वर्ष 2023-24 के लिए प्रदेश में 35 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने के लिए विभिन्न विभागों, जिलों और संस्थाओं को लक्ष्य दिया है. यह प्रदेशव्यापी अभियान एक जुलाई से सात जुलाई तक चलाया जाएगा. इस लक्ष्य के सापेक्ष लखनऊ मंडल में चार करोड़ तो कानपुर मंडल में 3.13 करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य दिया गया है. वहीं अयोध्या मंडल में 2.20 करोड़ पौधे लगाए जाने हैं. वन और पर्यावरण विभाग को सबसे ज्यादा 14 करोड़ पौधे लगाने हैं. सरकार का दावा है कि वह प्रदेश के हरित क्षेत्र को नौ से बढ़ाकर 2026-27 तक पंद्रह फीसद तक ले जाने की कोशिश कर रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2021 की अवधि में यूपी के कुल हरित क्षेत्र में 794 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन भी प्रदेश में पांच करोड़ पौधे लगाए जाने की बात कही गई है.
पर्यावरण के लिए काम करने वाले डॉ. एसटी मिश्र कहते हैं सरकार पौधे लगाने का लक्ष्य भले ही कम रखे, लेकिन उसे लगाए गए पौधों की देखभाल के लिए विभागों को अधिक जवाबदेह बनाना चाहिए. सरकार के ऐसे बड़े अभियानों में अक्सर होता यह है कि रोपे गए पौधों को कोई पलट कर नहीं देखता. वहीं कुछ लोगों का जुनून दो-चार दिन बाद ही ठंडा हो जाता है. यदि इस दिशा में जवाबदेही बढ़ाई जाएगी तो निश्चितरूप से इसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.
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