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लखीमपुर खीरी हिंसाः वादी पक्ष ने आशीष मिश्रा के जमानत पर की आपत्ति - ashish Mishra alias Monu

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड मामले में आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 8 जुलाई की तिथि नियत की है.

लखीमपुर खीरी हिंसा.
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Published : May 30, 2022, 10:14 PM IST

लखनऊः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को खीरी के तिकुनिया कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तिथि नियत की है. मामले में अगली सुनवाई पर भी बहस जारी रहेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर पारित किया.

सुनवाई के दौरान याचिका का विरोध करते हुए वादी पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मामले में जांच के बाद कुछ धाराएं बढ़ा दी गई थीं. बढी हुई धाराओं में जमानत अर्जी बिना सत्र अदालत में दाखिल किए. अभियुक्त ने सीधा हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल कर दी है. हालांकि अभियुक्त की ओर से इस आपत्ति का विरोध करते हुए कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 439 में जमानत के सम्बंध में सत्र अदालत व उच्च न्यायालय को समान अधिकार प्राप्त है.

इसे भी पढ़ें-लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे जज ने खुद को केस से किया अलग


उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा की याचिका को मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. बाद में जमानत मंजूर किए जाने के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले के वादी पक्ष ने चुनौती दी थी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के आदेश को निरस्त करते हुए, वादी पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए, मामले को दोबारा सुने जाने का निर्देश हाईकोर्ट को दिया था. इस मामले में अभियुक्त बनाए गए अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट खारिज कर चुका है.

लखनऊः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को खीरी के तिकुनिया कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तिथि नियत की है. मामले में अगली सुनवाई पर भी बहस जारी रहेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर पारित किया.

सुनवाई के दौरान याचिका का विरोध करते हुए वादी पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मामले में जांच के बाद कुछ धाराएं बढ़ा दी गई थीं. बढी हुई धाराओं में जमानत अर्जी बिना सत्र अदालत में दाखिल किए. अभियुक्त ने सीधा हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल कर दी है. हालांकि अभियुक्त की ओर से इस आपत्ति का विरोध करते हुए कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 439 में जमानत के सम्बंध में सत्र अदालत व उच्च न्यायालय को समान अधिकार प्राप्त है.

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उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा की याचिका को मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. बाद में जमानत मंजूर किए जाने के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले के वादी पक्ष ने चुनौती दी थी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के आदेश को निरस्त करते हुए, वादी पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए, मामले को दोबारा सुने जाने का निर्देश हाईकोर्ट को दिया था. इस मामले में अभियुक्त बनाए गए अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट खारिज कर चुका है.

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