ETV Bharat / state

यूपी पुलिस की शान ज्योति-किरण बनीं 26 परिवारों की खुशियों की वजह, जानें कैसे?

लखनऊ में पुलिस पिंक बूथ पर तैनात दो महिला जवान 26 परिवारों की खुशियों की वजह बन गयीं. 2019 बैच की ज्योति और 2018 बैच की किरन रोजाना गश्त के दौरान ऐसी महिलाओं और बच्चों ढूंढती हैं, जिन्हें मदद जरूरत होती है. ये दोनों महिला पुलिसकर्मी पीड़ितों को उनके परिवार से मिलाने का काम करती हैं.

etv bharat
पीड़िता से बातचीत करतीं ज्योति-किरण
author img

By

Published : May 11, 2022, 2:05 PM IST

लखनऊ: राजधानी के एक पुलिस पिंक बूथ की दो महिला जवान ऐसे परिवारों के लिए मददगार साबित हुईं, जिनकी बच्चियां और महिलाएं किसी कारण से दूर गयी थीं. लखनऊ के आलमबाग इंटरनेशनल बस अड्डे में मौजूद पिंक बूथ में यूपी पुलिस की दो महिला सिपाही 2019 बैच की ज्योति और 2018 बैच की किरन हैं. दोनों ही सुबह 8 बजे पिंक बूथ पहुंचती हैं और बस अड्डे के अंदर गश्त करती हैं. हालांकि, उनकी ड्यूटी बूथ में रहती है. लेकिन दोनों बेसहारा महिलाओं और बच्चों की मदद करने के लिए बस टर्मिनल के अंदर जाती हैं.

यूपी महिला पुलिस ज्योति-किरण का इंटरव्यू

महिला सिपाही ज्योति बताती है कि सुबह आते ही जब वो दोनों बस टर्मिनल के अंदर जाती है, तब उन्हें जो भी महिला अकेले बैठे मिलती है, उनसे वो बातचीत करती है. खासतौर पर उन महिलाओं पर वो ज्यादा ध्यान देती है, जो मायूस बैठी होती है. ज्योति बताती है कि वो उनसे प्यार से बातचीत करती है और लखनऊ आने का कारण पूछती है. ज्योति के मुताबिक, कभी-कभी कुछ महिलाएं प्यार से पूछने पर नहीं बताती है तो उन्हें सख्ती भी दिखाने पड़ती है, जिससे उनकी समस्या का निदान किया जा सके.

यह भी पढ़ें: यूपी एक खोज: सूर्यदेव ने स्थापित किया था संगमनगरी में शिवलिंग, आज भी दिखती हैं सूर्य के ताप की लकीरें

जनवरी से अप्रैल तक 12 महिलाओं को पहुंचाया घर

ज्योति बताती है कि एक महिला ने बताया कि वो अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है और उनसे झगड़ा कर लखनऊ आ गयी है. ज्योति ने उस महिला को बूथ में बैठाया और उसके घर वालों की डिटेल लेकर उन्हें सौंप दिया. वहीं, एक अन्य महिला को उसके गांव के एक लड़के ने बहला-फुसला कर लखनऊ ले आया और खुद गायब हो गया था, वो महिला बस अड्डे पर रो रही थी. इस दौरान उनकी नजर उस महिला पर पड़ी. उन्होंने उसे खाना खिलाया और उसके घर का पता की जानकारी लेकर परिजनों को बुला कर सौंप दिया. ज्योति के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल तक 12 महिलाओं को उनके घर वालों से मिला चुकी हैं.

वहीं किरन ने बताया कि वो और ज्योति रोजना साथ में गश्त करने के लिए निकलते है. एक नजर में ही उन्हें अब लग जाता है कि किस बच्ची को उनकी जरूरत है. हालांकि बच्चियां उन्हें देखते ही डर कर उनसे मुंह फेर लेती थी, उसके बावजूद वो उनसे बिना बोले उनके आस पास रह कर उन्हें पहले देखती है. मौका मिलते ही उनसे बात करती. किरन के मुताबिक, अधिकतर लड़कियां 10 से 13 साल की होती है, जो या तो घर से गुस्से में भाग आती है या फिर बहला फुसला कर कोई ले आता है.

यह भी पढ़ें: आगरा में 100 फर्जी विद्यालयों पर गिरी गाज, 29 पर लगा ताला, संचालकों पर कसा शिकंजा

महिलाओं की अपेक्षा बच्चियों से बात करने में समस्या: किरन

किरन बताती है कि महिलाओं की अपेक्षा बच्चियों से बात करने में समस्या आती है. उन्हें घर का पता बताने में दिक्कत होती है. लेकिन, किरन उनकी दोस्त बन कर उन्हें समझाती है. कभी-कभी घंटों लग जाते है उन्हें समझाने में. और जब वो थोड़ा भी बहुत घर के बारे में बताती है तो वो स्थानीय थानों से संपर्क कर उनके परिजनों तक पहुंच जाते है. परिजनों को सौंपने से पहले उन्हें समझाया जाता है कि बच्चियों के साथ गुस्से में कोई भी व्यवहार न किया जाय. किरन के मुताबिक जनवरी से अप्रैल तक 14 लड़कियों को उनके परिजनों से मिलाया है.

दरअसल, यूपी में सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत पिंक बूथ का निर्माण कराया था. राजधानी में लगभग 100 से ज्यादा पिंक बूथ कार्य कर रहे हैं. इन बूथ में दो महिला सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक तैनात रहती है. इनमे तैनात महिला सिपाही महिलाओं और छात्राओं की समस्याओं की मदद करने, उनकी समस्या सुनने और राहत दिलाने का कार्य करती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: राजधानी के एक पुलिस पिंक बूथ की दो महिला जवान ऐसे परिवारों के लिए मददगार साबित हुईं, जिनकी बच्चियां और महिलाएं किसी कारण से दूर गयी थीं. लखनऊ के आलमबाग इंटरनेशनल बस अड्डे में मौजूद पिंक बूथ में यूपी पुलिस की दो महिला सिपाही 2019 बैच की ज्योति और 2018 बैच की किरन हैं. दोनों ही सुबह 8 बजे पिंक बूथ पहुंचती हैं और बस अड्डे के अंदर गश्त करती हैं. हालांकि, उनकी ड्यूटी बूथ में रहती है. लेकिन दोनों बेसहारा महिलाओं और बच्चों की मदद करने के लिए बस टर्मिनल के अंदर जाती हैं.

यूपी महिला पुलिस ज्योति-किरण का इंटरव्यू

महिला सिपाही ज्योति बताती है कि सुबह आते ही जब वो दोनों बस टर्मिनल के अंदर जाती है, तब उन्हें जो भी महिला अकेले बैठे मिलती है, उनसे वो बातचीत करती है. खासतौर पर उन महिलाओं पर वो ज्यादा ध्यान देती है, जो मायूस बैठी होती है. ज्योति बताती है कि वो उनसे प्यार से बातचीत करती है और लखनऊ आने का कारण पूछती है. ज्योति के मुताबिक, कभी-कभी कुछ महिलाएं प्यार से पूछने पर नहीं बताती है तो उन्हें सख्ती भी दिखाने पड़ती है, जिससे उनकी समस्या का निदान किया जा सके.

यह भी पढ़ें: यूपी एक खोज: सूर्यदेव ने स्थापित किया था संगमनगरी में शिवलिंग, आज भी दिखती हैं सूर्य के ताप की लकीरें

जनवरी से अप्रैल तक 12 महिलाओं को पहुंचाया घर

ज्योति बताती है कि एक महिला ने बताया कि वो अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है और उनसे झगड़ा कर लखनऊ आ गयी है. ज्योति ने उस महिला को बूथ में बैठाया और उसके घर वालों की डिटेल लेकर उन्हें सौंप दिया. वहीं, एक अन्य महिला को उसके गांव के एक लड़के ने बहला-फुसला कर लखनऊ ले आया और खुद गायब हो गया था, वो महिला बस अड्डे पर रो रही थी. इस दौरान उनकी नजर उस महिला पर पड़ी. उन्होंने उसे खाना खिलाया और उसके घर का पता की जानकारी लेकर परिजनों को बुला कर सौंप दिया. ज्योति के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल तक 12 महिलाओं को उनके घर वालों से मिला चुकी हैं.

वहीं किरन ने बताया कि वो और ज्योति रोजना साथ में गश्त करने के लिए निकलते है. एक नजर में ही उन्हें अब लग जाता है कि किस बच्ची को उनकी जरूरत है. हालांकि बच्चियां उन्हें देखते ही डर कर उनसे मुंह फेर लेती थी, उसके बावजूद वो उनसे बिना बोले उनके आस पास रह कर उन्हें पहले देखती है. मौका मिलते ही उनसे बात करती. किरन के मुताबिक, अधिकतर लड़कियां 10 से 13 साल की होती है, जो या तो घर से गुस्से में भाग आती है या फिर बहला फुसला कर कोई ले आता है.

यह भी पढ़ें: आगरा में 100 फर्जी विद्यालयों पर गिरी गाज, 29 पर लगा ताला, संचालकों पर कसा शिकंजा

महिलाओं की अपेक्षा बच्चियों से बात करने में समस्या: किरन

किरन बताती है कि महिलाओं की अपेक्षा बच्चियों से बात करने में समस्या आती है. उन्हें घर का पता बताने में दिक्कत होती है. लेकिन, किरन उनकी दोस्त बन कर उन्हें समझाती है. कभी-कभी घंटों लग जाते है उन्हें समझाने में. और जब वो थोड़ा भी बहुत घर के बारे में बताती है तो वो स्थानीय थानों से संपर्क कर उनके परिजनों तक पहुंच जाते है. परिजनों को सौंपने से पहले उन्हें समझाया जाता है कि बच्चियों के साथ गुस्से में कोई भी व्यवहार न किया जाय. किरन के मुताबिक जनवरी से अप्रैल तक 14 लड़कियों को उनके परिजनों से मिलाया है.

दरअसल, यूपी में सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत पिंक बूथ का निर्माण कराया था. राजधानी में लगभग 100 से ज्यादा पिंक बूथ कार्य कर रहे हैं. इन बूथ में दो महिला सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक तैनात रहती है. इनमे तैनात महिला सिपाही महिलाओं और छात्राओं की समस्याओं की मदद करने, उनकी समस्या सुनने और राहत दिलाने का कार्य करती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.