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कोविड टीकारण की अनिवार्यता के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में कोविड एंटीबॉडी विकसित हो चुके व्यक्तियों के लिए कोविड टीका की अनिवार्यता के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jun 30, 2021, 8:04 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रताप चन्द्र और अन्य लोगों ने कोविड एंटीबॉडी विकसित हो चुके व्यक्तियों के लिए कोविड टीका की अनिवार्यता के विरुद्ध जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है. याचिका में केंद्र सरकार को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश देने की भी मांग की गई है.

याचियों की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि विभिन्न शोध तथा टेस्ट से यह सामने आया है कि कोविड टीका लगवाने वाले सभी लोगों में अनिवार्य रूप से कोविड एंटीबॉडी विकसित नहीं होती है. इसके विपरीत कई व्यक्तियों में कोरोना प्रभावित होने के साल भर बाद तक इसके एंटीबॉडी मौजूद पाए गए हैं. जबकि कोविड टीकाकरण का उद्देश्य कोविड एंटीबॉडी विकसित करना है, लिहाजा जिन व्यक्तियों में पहले से ये एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है, उन्हें वर्तमान में कोविड टीका दिए जाने का कोई औचित्य नहीं प्रतीत होता है. क्योंकि अभी यह टीका अपने प्राथमिक स्टेज में है और इसके अंतिम स्वरूप में विकसित होने में समय है.

इसे भी पढ़ें-अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आश्रित के बालिग होने का नहीं किया जा सकता इंतजार- हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है कि कई निजी तथा सरकारी संगठनों ने विभिन्न योजनाओं व क्रियाकलापों में कोविड टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है. अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर का कहना है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को कई प्रत्यावेदन भेजे गए लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर याचिका दाखिल करनी पड़ रही है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रताप चन्द्र और अन्य लोगों ने कोविड एंटीबॉडी विकसित हो चुके व्यक्तियों के लिए कोविड टीका की अनिवार्यता के विरुद्ध जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है. याचिका में केंद्र सरकार को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश देने की भी मांग की गई है.

याचियों की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि विभिन्न शोध तथा टेस्ट से यह सामने आया है कि कोविड टीका लगवाने वाले सभी लोगों में अनिवार्य रूप से कोविड एंटीबॉडी विकसित नहीं होती है. इसके विपरीत कई व्यक्तियों में कोरोना प्रभावित होने के साल भर बाद तक इसके एंटीबॉडी मौजूद पाए गए हैं. जबकि कोविड टीकाकरण का उद्देश्य कोविड एंटीबॉडी विकसित करना है, लिहाजा जिन व्यक्तियों में पहले से ये एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है, उन्हें वर्तमान में कोविड टीका दिए जाने का कोई औचित्य नहीं प्रतीत होता है. क्योंकि अभी यह टीका अपने प्राथमिक स्टेज में है और इसके अंतिम स्वरूप में विकसित होने में समय है.

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याचिका में कहा गया है कि कई निजी तथा सरकारी संगठनों ने विभिन्न योजनाओं व क्रियाकलापों में कोविड टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है. अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर का कहना है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को कई प्रत्यावेदन भेजे गए लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर याचिका दाखिल करनी पड़ रही है.

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