मधेपुरा: बिहार सरकार दिव्यांगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाने की बात तो करती है, लेकिन सरकार के एक फरमान ने दिव्यांग छात्रा को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित कर दिया. मामला मधेपुरा अंचल के धुरगांव पंचायत का है, जहां दिव्यांग साक्षी को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि स्कूल को चार किलोमीटर दूर शिफ्ट कर दिया गया है.
साक्षी के घर के पास पिछले 10 वर्षों से सरकारी प्राथमिक स्कूल चल रहा था. साक्षी वर्ग पांच में पढ़ती थी, उसके साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते थे. इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि भवन विहीन स्कूलों का जब तक अपना भवन नहीं होगा, तब तक ऐसे स्कूलों को गांव के पक्की भवन वाले स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए. सरकार के इसी फरमान पर शिक्षा अधिकारी ने धुरगांव पंचायत स्थित स्कूल को चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल में शिफ्ट कर दिया. इस कारण अब साक्षी पढ़ने नहीं जा पाती है.
सरकार के फैसले से साक्षी निराश
साक्षी को जैसे ही इस बात का पता चला कि उसके स्कूल को रातों-रातों हटा लिया गया है तो वो स्कूल पहुंची. सरकार से इस फैसले वो काफी निराश है. उसे इस बात की चिंता है कि अब वो कैसे पढ़ेगी, क्योंकि वो आम बच्चों की तरह नहीं है. दिव्यांग होने के कारण रोज चार किलोमीटर दूर जाना साक्षी के लिए संभव नहीं.
स्थानीय लोगों में भी आक्रोश
स्कूल हटाए जाने से स्थानीय लोगों में भी काफी आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में जमीन भी है. स्थानीय स्तर पर चंदा इकट्ठा करके शौचालय और रसोईघर भी बनवा दिया गया है फिर भी बगैर स्थिति की जांच किये ही स्कूल को हटा दिया गया. ग्रामीणों ने डीएम से मांग की है कि स्कूल को वापस लाया जाए.
365 भवनहीन स्कूलों को किया गया शिफ्ट
इधर, शिक्षा विभाग के डीपीओ ने कहा कि सरकार के आदेश पर जिले के 365 भवनहीन और भूमिहीन स्कूलों को बगल के स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. जैसे ही भवन बन जाएगा फिर स्कूल को अपनी जगह पर शिफ्ट कर दिया जाएगा.