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स्कूल शिफ्ट होने से दिव्यांग साक्षी की टूटी आस, छोड़नी पड़ी पढ़ाई - 365 houseless schools shifted

बिहार में मधेपुरा के धुरगांव पंचायत में प्राथमिक स्कूल को शिफ्ट करने की वजह से गांव वालों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. गांव की दिव्यांग साक्षी भी स्कूल शिफ्ट होने की वजह से अब स्कूल जाने से वंचित हो गई है. ग्रामीणों ने डीएम से मांग की है कि स्कूल को वापस लाया जाए.

दिव्यांग साक्षी
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Published : Sep 11, 2019, 2:47 PM IST

मधेपुरा: बिहार सरकार दिव्यांगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाने की बात तो करती है, लेकिन सरकार के एक फरमान ने दिव्यांग छात्रा को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित कर दिया. मामला मधेपुरा अंचल के धुरगांव पंचायत का है, जहां दिव्यांग साक्षी को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि स्कूल को चार किलोमीटर दूर शिफ्ट कर दिया गया है.

प्राथमिक स्कूल को शिफ्ट करने से निराश गांव वाले.

साक्षी के घर के पास पिछले 10 वर्षों से सरकारी प्राथमिक स्कूल चल रहा था. साक्षी वर्ग पांच में पढ़ती थी, उसके साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते थे. इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि भवन विहीन स्कूलों का जब तक अपना भवन नहीं होगा, तब तक ऐसे स्कूलों को गांव के पक्की भवन वाले स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए. सरकार के इसी फरमान पर शिक्षा अधिकारी ने धुरगांव पंचायत स्थित स्कूल को चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल में शिफ्ट कर दिया. इस कारण अब साक्षी पढ़ने नहीं जा पाती है.

सरकार के फैसले से साक्षी निराश
साक्षी को जैसे ही इस बात का पता चला कि उसके स्कूल को रातों-रातों हटा लिया गया है तो वो स्कूल पहुंची. सरकार से इस फैसले वो काफी निराश है. उसे इस बात की चिंता है कि अब वो कैसे पढ़ेगी, क्योंकि वो आम बच्चों की तरह नहीं है. दिव्यांग होने के कारण रोज चार किलोमीटर दूर जाना साक्षी के लिए संभव नहीं.

स्थानीय लोगों में भी आक्रोश
स्कूल हटाए जाने से स्थानीय लोगों में भी काफी आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में जमीन भी है. स्थानीय स्तर पर चंदा इकट्ठा करके शौचालय और रसोईघर भी बनवा दिया गया है फिर भी बगैर स्थिति की जांच किये ही स्कूल को हटा दिया गया. ग्रामीणों ने डीएम से मांग की है कि स्कूल को वापस लाया जाए.

365 भवनहीन स्कूलों को किया गया शिफ्ट
इधर, शिक्षा विभाग के डीपीओ ने कहा कि सरकार के आदेश पर जिले के 365 भवनहीन और भूमिहीन स्कूलों को बगल के स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. जैसे ही भवन बन जाएगा फिर स्कूल को अपनी जगह पर शिफ्ट कर दिया जाएगा.

मधेपुरा: बिहार सरकार दिव्यांगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाने की बात तो करती है, लेकिन सरकार के एक फरमान ने दिव्यांग छात्रा को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित कर दिया. मामला मधेपुरा अंचल के धुरगांव पंचायत का है, जहां दिव्यांग साक्षी को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि स्कूल को चार किलोमीटर दूर शिफ्ट कर दिया गया है.

प्राथमिक स्कूल को शिफ्ट करने से निराश गांव वाले.

साक्षी के घर के पास पिछले 10 वर्षों से सरकारी प्राथमिक स्कूल चल रहा था. साक्षी वर्ग पांच में पढ़ती थी, उसके साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते थे. इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि भवन विहीन स्कूलों का जब तक अपना भवन नहीं होगा, तब तक ऐसे स्कूलों को गांव के पक्की भवन वाले स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए. सरकार के इसी फरमान पर शिक्षा अधिकारी ने धुरगांव पंचायत स्थित स्कूल को चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल में शिफ्ट कर दिया. इस कारण अब साक्षी पढ़ने नहीं जा पाती है.

सरकार के फैसले से साक्षी निराश
साक्षी को जैसे ही इस बात का पता चला कि उसके स्कूल को रातों-रातों हटा लिया गया है तो वो स्कूल पहुंची. सरकार से इस फैसले वो काफी निराश है. उसे इस बात की चिंता है कि अब वो कैसे पढ़ेगी, क्योंकि वो आम बच्चों की तरह नहीं है. दिव्यांग होने के कारण रोज चार किलोमीटर दूर जाना साक्षी के लिए संभव नहीं.

स्थानीय लोगों में भी आक्रोश
स्कूल हटाए जाने से स्थानीय लोगों में भी काफी आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में जमीन भी है. स्थानीय स्तर पर चंदा इकट्ठा करके शौचालय और रसोईघर भी बनवा दिया गया है फिर भी बगैर स्थिति की जांच किये ही स्कूल को हटा दिया गया. ग्रामीणों ने डीएम से मांग की है कि स्कूल को वापस लाया जाए.

365 भवनहीन स्कूलों को किया गया शिफ्ट
इधर, शिक्षा विभाग के डीपीओ ने कहा कि सरकार के आदेश पर जिले के 365 भवनहीन और भूमिहीन स्कूलों को बगल के स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. जैसे ही भवन बन जाएगा फिर स्कूल को अपनी जगह पर शिफ्ट कर दिया जाएगा.

Intro:मधेपुरा में सरकार की फरमान ने हैंडीकैप साक्षी को शिक्षा से किया दूर,बेटी पढ़ाओ का सरकारी स्लोगन का मकसद हुआ चकना चूर।साक्षी के घर से 4 किलोमीटर कर दिया स्कूल दूर।


Body:बिहार सरकार और भारत सरकार भले हैं विकलांक और बेटी की उत्थान के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं ला रही है।लेकिन बिहार सरकार के एक फरमान ने झटके में हाथ पैर से विकलांक बेटी को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित कर दी।मामला मधेपुरा अंचल के धुरगांव पंचायत का है जहाँ हाथ पैर से विकलांक बच्ची साक्षी जिन्हें पहले भगवान ने अपंग बनाकर बड़ी सजा दी ।इसके बाद भी साक्षी जीवन से हार नहीं मानी और पढ़ लिखकर कुछ करने की ठानी थी।लेकिन सरकार की एक फरमान ने साक्षी को पढ़ने से ही रोक दिया।बता दें कि साक्षी के घर के पास पिछले दस वर्ष से सरकारी प्राथमिक स्कूल चल रहा था।साक्षी वर्ग पांच में पढ़ती थी ।साक्षी के साथ साथ गांव के अन्य बच्चे व बच्चियां भी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।इसी बीच सरकार का फरमान जारी हुआ कि पक्की भवन विहीन स्कूलों को जब तक अपना भवन नहीं होगा तब तक ऐसे स्कूलों को गांव के पक्की भवन बाले स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए।सरकार के इसी फरमान पर पर शिक्षा अधिकारी ने विकलांक साक्षी के स्कूल को चार किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित दूसरे गांव के स्कूल में शिफ्ट कर दिया ।जिसके कारण साक्षी पढ़ने नहीं जा पाती है और पढ़ना ही छोड़ दिया।जैसे ही साक्षी को इस बात का पता चला कि उनके घर के पास स्थित स्कूल को रातों रातों हटा लिया गया है।वैसी ही साक्षी जमीन पर रेंगते हुए स्कूल पहुँची और टूटे हुए मन से कहा कि अब कैसे पढ़ेंगे हमें तो हाथ पैर भी नहीं है जो चार किलोमीटर पढ़ने जाएंगे।अब पढ़ना लिखना छोड़ना ही पड़ेगा।स्कूल हटाएं जाने से स्थानीय लोगों में भी आक्रोश व्याप्त है।ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में जमीन भी है स्थानीय स्तर पर चंदा करके टीना का घर,शौचालय और रसोईघर भी बनवा दिए हैं, फिर भी स्कूल को बगैर स्थल व वस्तु स्थिति की जांच किये ही हटा दिया गया है जो सरासर अधिकारी की लापरवाही व गलती है।उधर शिक्षा विभाग के डीपीओ ने कहा कि सरकार के आदेश पर ज़िले के 365 भवनहीन व भूमिहीन स्कूलों को बगल के स्कूलों में शिफ्ट किया गया है।जैसे ही पक्की भवन बन जाएगा फिर स्कूल अपनी जगह पर चली जाएगी।बाइट-1--- साक्षी कुमारी---विकलांक छात्रा।बाइट--2----राजेन्द्र प्रसाद---स्थानीय ग्रामीण।बाइट----3-----गिरीश कुमार----डीपीओ।


Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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