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कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे फार्मासिस्टों ने बंद रखा काउन्टर, दवाओं के लिए परेशान दिखे मरीज - Pharmacists protesting for several days

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई दिनों से सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे फार्मासिस्टों अस्पतालों में दो घंटे तक किया कार्य बहिष्कार. डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन यूपी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया प्रदेश भर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर 4 दिसम्बर से चल रहा है धरना. बाहर के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हुए मरीज, दवा काउन्टर के बाहर फार्मासिस्टों ने बैनर लेकर की नारेबाजी.

फार्मासिस्टों ने बंद रखा दवा काउन्टर
फार्मासिस्टों ने बंद रखा दवा काउन्टर
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Published : Dec 9, 2021, 2:31 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई दिनों से सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे फार्मासिस्टों ने अधिकारियों की अनदेखी को लेकर गुरुवार को दो घंटे सुबह 8 बजे से 10 बज तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु समेत अन्य अस्पतालों में डॉक्टर समय से ओपीडी में बैठ गए. वहीं डॉक्टर को दिखाकर दवा काउंटर पर पहुंचे मरीजों के हाथ निराशा लगी. जहां उन्हें दवा के लिए इंतजार करने को कहा गया. इससे कई मरीज मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हो गए. दवा काउन्टर के बाहर फार्मासिस्टों ने बैनर लेकर नारेबाजी भी की.

यह भी पढ़ें-घरों में लगाए 'विकास नहीं तो वोट नहीं' के पोस्टर, क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के आने पर भी प्रतिबंध


4 दिसम्बर से कर रहे विरोध, मेडिकल कॉलेजों में भी आंदोलन
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन यूपी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि प्रदेश भर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर 4 दिसम्बर से धरना चल रहा है. इस दौरान मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ ही प्रदेश सभी फार्मेसिस्टों ने 5 से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर आंदोलन किया गया. गुरुवार से प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस, पीएसी चिकित्सालयों में सुबह दो घंटे कार्य बहिष्कार किया. वहीं आकस्मिक सेवाएं, पोस्टमार्टम , मेडिकोलीगल का काम चलता रहा.

दवाओं के लिए खड़े मरीज
दवाओं के लिए खड़े मरीज
मांगों को लेकर बुलंद की आवाजप्रांतीय अध्यक्ष संदीप और महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि सरकार चिकित्सा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर नहीं दिख रही. यहां मानक के अनुसार पदों की संख्या कम हैं. इससे सेवाएं प्रभावित होती हैं. उत्तर प्रदेश में जनसंख्या अनुपात में मानक के अनुसार 2160 के स्थान पर 853 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7200 पीएचसी की जगह 3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. वही जिला महिला चिकित्सालयों को परिवर्तित कर मेडिकल कॉलेज बनाते समय उत्तर प्रदेश में हॉस्पिटल का मानक समाप्त होता जा रहा है. जिससे पदों में कमी हो जा रही है. चिकित्सालयों में भीड़ बढ़ती जा रही है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई दिनों से सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे फार्मासिस्टों ने अधिकारियों की अनदेखी को लेकर गुरुवार को दो घंटे सुबह 8 बजे से 10 बज तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु समेत अन्य अस्पतालों में डॉक्टर समय से ओपीडी में बैठ गए. वहीं डॉक्टर को दिखाकर दवा काउंटर पर पहुंचे मरीजों के हाथ निराशा लगी. जहां उन्हें दवा के लिए इंतजार करने को कहा गया. इससे कई मरीज मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हो गए. दवा काउन्टर के बाहर फार्मासिस्टों ने बैनर लेकर नारेबाजी भी की.

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4 दिसम्बर से कर रहे विरोध, मेडिकल कॉलेजों में भी आंदोलन
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन यूपी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि प्रदेश भर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर 4 दिसम्बर से धरना चल रहा है. इस दौरान मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ ही प्रदेश सभी फार्मेसिस्टों ने 5 से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर आंदोलन किया गया. गुरुवार से प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस, पीएसी चिकित्सालयों में सुबह दो घंटे कार्य बहिष्कार किया. वहीं आकस्मिक सेवाएं, पोस्टमार्टम , मेडिकोलीगल का काम चलता रहा.

दवाओं के लिए खड़े मरीज
दवाओं के लिए खड़े मरीज
मांगों को लेकर बुलंद की आवाजप्रांतीय अध्यक्ष संदीप और महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि सरकार चिकित्सा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर नहीं दिख रही. यहां मानक के अनुसार पदों की संख्या कम हैं. इससे सेवाएं प्रभावित होती हैं. उत्तर प्रदेश में जनसंख्या अनुपात में मानक के अनुसार 2160 के स्थान पर 853 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7200 पीएचसी की जगह 3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. वही जिला महिला चिकित्सालयों को परिवर्तित कर मेडिकल कॉलेज बनाते समय उत्तर प्रदेश में हॉस्पिटल का मानक समाप्त होता जा रहा है. जिससे पदों में कमी हो जा रही है. चिकित्सालयों में भीड़ बढ़ती जा रही है.

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