लखनऊः फार्मासिस्ट फेडरेशन (फार्मासिस्ट महासंघ) के अध्यक्ष सुनील यादव ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फार्मासिस्ट के अतिरिक्त पद सृजन की मांग की है. उन्होंने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उत्कृष्ट कार्य के लिए फार्मेसिस्ट के अतिरिक्त पद का सृजन किया जाना आवश्यक है. उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मुख्यमंत्री के निर्देश पर सांसदों विधायकों व मंत्रियों द्वारा गोद लिए जाने के निर्णय का स्वागत किया है.
मानव संसाधन बढ़ाया जाना भी जरूरी
फेडरेशन ने कहा है कि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने की एक अच्छी पहल की जा रही है, लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सबसे बड़ी समस्या वहां मानव संसाधन की कमी है, इसलिए वहां के भवनों की मरम्मत के साथ ही मानव संसाधन बढ़ाया जाना भी आवश्यक है.
24 घंटे सेवा देने वाला रेफरल केंद्र है सीएचसी
सुनील यादव ने बताया कि प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) 24 घंटे सेवा देने वाला प्रथम रेफरल केंद्र है. जहां विशेषज्ञ देखभाल की व्यवस्था है. मानक के अनुसार, यहां केवल 2 फार्मेसिस्ट के पद हैं जबकि 24 घंटे की 3 शिफ्ट (सुबह 8 से 2, दोपहर 8 से रात 8, रात 8 से सुबह 8 तक) सभी में एक फार्मेसिस्ट आकस्मिक सेवा एवं मेडिकोलीगल के लिए ड्यूटी रूम में रहना अनिवार्य है. 2 लोगों से 24 घंटे ड्यूटी रूम में उपस्थिति व्यवहारिक ही नहीं है, इसलिए अक्सर एक फार्मेसिस्ट लगातार 24 से 36 घंटे अस्पताल में रहकर सेवा कर रहा है. औषधि भंडार, मेडिसिन काउंटर पर आने वाले मरीजों के लिए कम से कम 2 फार्मेसिस्ट, इंजेक्शन, ड्रेसिंग रूम, प्लास्टर रूम, माइनर ओटी आदि सेवाओं के लिए न्यूनतम 2 फार्मेसिस्ट होने ही चाहिए.
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सात फार्मासिस्टों का कार्य कर रहे हैं दो फार्मासिस्ट
कर्मचारी नेता ने कहा कि संक्रामक रोगों सहित बाल एवं मातृ शिशु कल्याण, ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से दवाएं वितरित की जाती हैं. राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी फार्मेसिस्टों की ड्यूटी लगाई जाती है. वीआईपी ड्यूटी में एम्बुलेंस में भी फार्मेसिस्ट की ड्यूटी होती है. राष्ट्रीय कार्यक्रम नसबंदी के दिन मरीजों को दवा वितरण के साथ ही कैम्प का प्रबंधन भी फार्मेसिस्ट द्वारा किया जाता है. न्यूनतम 7 फार्मेसिस्टों के कार्य एवं दायित्व का निर्वहन मात्र 2 फार्मेसिस्टों कर रहे हैं.
सहमति होने के बावजूद नहीं सृजित हो रहे हैं पद
संयोजक एवं फीपो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के के सचान, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप बडोला ने बताया कि शासन स्तर पर मानक संसोधन पर कई बार सहमति भी बनी है. महानिदेशालय से प्रस्ताव भी भेजे गए हैं, लेकिन शासनादेश निर्गत न होने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्य संचालन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के फार्मेसिस्टों को बुलाया जाता है, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाएं भी प्रभावित हो जाती हैं.