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अब केजीएमयू में बिना इंजेक्शन के दर्द रहित होगी 'फेको सर्जरी' - motiyaabind treatment

लखनऊ केजीएमयू के डॉक्टरों के निर्देशन में फेकमूल्सीफिकेशन सर्जरी (Phacoemulsification Surgery) द्वारा आंख के मोतियाबिंद का इलाज दर्द रहित करने के लिए शोध किया गया है. केजीएमयू के डॉक्टरों के निर्देश में हुई यह शोध सफल हुई है.

केजीएमयू
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Published : Jul 10, 2022, 8:01 PM IST

लखनऊ : ऑल इंडिया ऑप्थेलमिक सोसाइटी की आधिकारिक पत्रिका 'इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी' में एक अध्यन प्रकाशित हुआ है. अध्यन में पता चला है कि फेकमूल्सीफिकेशन(Phacoemulsification) तकनीकि का बिना इंजेक्शन लगाए व दर्द रहित तरीके से आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी संभव है. प्रतिष्ठित पत्रिका 'इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी' के मुताबिक, मोतियाबिंद सर्जरी दुनिया भर में की जाने वाली सबसे आम आंख की सर्जरी है.

लोकप्रिय फेकमूल्सीफिकेशन(Phacoemulsification) तकनीक के कारण ऑपरेशन के बाद अच्छी दृष्टि का परिणाम संतोषजनक एवं त्वरित है. अगर मोतियाबिंद की सर्जरी फेकमूल्सीफिकेशन विधि से ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थिसिया के तहत की जाए, तो इसके परिणामों में और सुधार होगा. ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया का मतलब है कि आंख को केवल आई ड्रॉप का उपयोग करके सुन्न किया जाता है. इसके बाद आंख के पास कोई इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है. यह रोगी को इंजेक्शन से होने वाले दर्द से बचाता है. ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया, इंजेक्शन एनेस्थीसिया (लोकल एनेस्थीसिया) की तुलना में अधिक सुरक्षित है. इसमें आंख में चोट लगने या रक्तस्राव होने की कोई संभावना नहीं होती है.

ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया रोगी को दर्द रहित अनुभव प्रदान करने में इंजेक्शन एनेस्थीसिया (लोकल एनेस्थीसिया) की तुलना में समान रूप से प्रभावी है जो कई वैज्ञानिक शोध प्रकाशनों द्वारा सिद्ध किया गया है. केजीएमयू के नेत्र विभाग में ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके मोतियाबिंद के रोगियों की फेको(फेकमूल्सीफिकेशन) विधि से सर्जरी करके दर्द रहित अनुभव के लिए शोध किया गया है.

यह अध्ययन नेत्र विभाग में स्नातकोत्तर छात्रा डॉ. शालिनी सिंह द्वारा डॉ. अरुण शर्मा की देखरेख में किया गया था. इस बहु केंद्रीय अनुसंधान की देखरेख केजीएमयू के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता, डॉ. विशाल कटियार, डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल और डॉ. संजीव हंसराज (मान सरोवर आई हॉस्पिटल) और डॉ. अजय कुमार (जन कल्याण नेत्र अस्पताल) ने की. यह दर्द रहित शल्य चिकित्सा तकनीक अब उन सभी वयस्क रोगियों के लिए केजीएमयू में उपलब्ध है.

इसे पढ़ें- ग्रामीण उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, दो किलोवाट के घरेलू कनेक्शन पर नहीं वसूला जाएगा कमर्शियल बिल

लखनऊ : ऑल इंडिया ऑप्थेलमिक सोसाइटी की आधिकारिक पत्रिका 'इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी' में एक अध्यन प्रकाशित हुआ है. अध्यन में पता चला है कि फेकमूल्सीफिकेशन(Phacoemulsification) तकनीकि का बिना इंजेक्शन लगाए व दर्द रहित तरीके से आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी संभव है. प्रतिष्ठित पत्रिका 'इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी' के मुताबिक, मोतियाबिंद सर्जरी दुनिया भर में की जाने वाली सबसे आम आंख की सर्जरी है.

लोकप्रिय फेकमूल्सीफिकेशन(Phacoemulsification) तकनीक के कारण ऑपरेशन के बाद अच्छी दृष्टि का परिणाम संतोषजनक एवं त्वरित है. अगर मोतियाबिंद की सर्जरी फेकमूल्सीफिकेशन विधि से ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थिसिया के तहत की जाए, तो इसके परिणामों में और सुधार होगा. ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया का मतलब है कि आंख को केवल आई ड्रॉप का उपयोग करके सुन्न किया जाता है. इसके बाद आंख के पास कोई इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है. यह रोगी को इंजेक्शन से होने वाले दर्द से बचाता है. ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया, इंजेक्शन एनेस्थीसिया (लोकल एनेस्थीसिया) की तुलना में अधिक सुरक्षित है. इसमें आंख में चोट लगने या रक्तस्राव होने की कोई संभावना नहीं होती है.

ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया रोगी को दर्द रहित अनुभव प्रदान करने में इंजेक्शन एनेस्थीसिया (लोकल एनेस्थीसिया) की तुलना में समान रूप से प्रभावी है जो कई वैज्ञानिक शोध प्रकाशनों द्वारा सिद्ध किया गया है. केजीएमयू के नेत्र विभाग में ऑगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके मोतियाबिंद के रोगियों की फेको(फेकमूल्सीफिकेशन) विधि से सर्जरी करके दर्द रहित अनुभव के लिए शोध किया गया है.

यह अध्ययन नेत्र विभाग में स्नातकोत्तर छात्रा डॉ. शालिनी सिंह द्वारा डॉ. अरुण शर्मा की देखरेख में किया गया था. इस बहु केंद्रीय अनुसंधान की देखरेख केजीएमयू के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता, डॉ. विशाल कटियार, डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल और डॉ. संजीव हंसराज (मान सरोवर आई हॉस्पिटल) और डॉ. अजय कुमार (जन कल्याण नेत्र अस्पताल) ने की. यह दर्द रहित शल्य चिकित्सा तकनीक अब उन सभी वयस्क रोगियों के लिए केजीएमयू में उपलब्ध है.

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