लखनऊ : दीपावली के मौके पर बाजार पूरी तरह से गुलजार हो चुके हैं. लखनऊ के सदर और अमीनाबाद बाजार में भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. दीपावली के मौके पर हर साल इस बाजार में जमकर भीड़ होती है. बाजार में लक्ष्मी गणेश की मूर्ति के अलावा लोग रंगोली, सामग्री एवं पूजा पाठ का सामान भी खरीद रहे हैं. दीपावली से पहले लोग खरीदारी कर रहे हैं, ताकि त्योहार के एक दिन पहले भीड़ में लोगों को न आना पड़े, वहीं शहर में पटाखा की थोक दुकानों पर फुटकर दुकानदारों की भीड़ जुटना शुरू हो गई है. राजधानी लखनऊ में बहुत से ऐसे बाजार हैं जो खरीदारी के मामले में काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें अमीनाबाद, सदर बाजार, निशातगंज, चारबाग और डांडिया बाजार इत्यादि हैं. जहां पर छोटे से लेकर बड़े दुकानदार अपनी दुकान लगाते हैं और यह सब ऐसे बाजार हैं जहां पर हर वर्ग के लोग खरीदारी करना पसंद करते हैं. क्योंकि इन बाजारों में बहुत ही किफायती दामों में समान लोगों को मिल जाता है. भीड़ के चलते इन बाजारों के मुख्य द्वार पर ही पुलिस तैनात रहती है. यहां चार पहिया वाहन, ई रिक्शा, ऑटो इस समय पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं क्योंकि साधनों के जाने के बाद जाम की समस्या शुरू हो जाती है.
'बैग भरकर की दीपावली की खरीदारी' : सदर निवासी पूजा बाजपेई ने बताया कि 'दीपावली का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ हम सभी मनाते हैं. यह दिन हमारे लिए बहुत ही खास भी है. लाइटों का त्योहार इसे कहा जाता है. क्योंकि, इस दिन हर जगह दीप जलाया जाता है. घरों को झालरों से सजाया जाता है. लोग अपने घरों की सफाई महीने भर पहले से कराने लगते हैं, ज्यादातर लोग दीपावली पर ही घर की पुताई करवाते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में दीपावली एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार को बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. दीपावली को अब कुछ दिन ही रह गए हैं, इसलिए खरीदारी भी शुरू हो चुकी है. दीपावली में बहुत सारी चीजों का महत्व है. उन्होंने कहा कि जैसे गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा खास कर दीये और बाकी की सामग्री में रंगोली, घरों को सजाने के लिए फूलों की झालर इत्यादि खरीदा है.'
'बुराई पर अच्छाई की जीत का है त्योहार' : पुराना किला निवासी प्रमिला ने बताया कि 'दीपावली एक ऐसा पर्व है, जिस दिन लोग बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि इस त्योहार को मनाने की वजह हमारे लिए बहुत खास है. 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान श्रीराम वापस अयोध्या लौटे थे, उस दिन अयोध्या को दीपों से सजाया गया था. तभी से दीपावली मनाने की परम्परा चली आ रही है. बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है दीपावली. उन्होंने बताया कि बाजार में बहुत सारी चीज उपलब्ध हैं. बहुत सारे दीये ऐसे हैं जो दिखने में भी काफी आकर्षक हैं और उनके दाम भी बहुत अधिक नहीं हैं. साल में एक बार ही दीपावली आती है. बहुत अच्छे से खरीदारी हो रही है, सभी सामान नए लिए गए हैं, जिसमें गणेश लक्ष्मी भगवान की प्रतिमा रंग बिरंगे दीये, मिट्टी के खिलौने, रंगोली एवं सजावट का सामान इत्यादि खरीदा है.'
'लोकल बाजार से ही करती हूं खरीदारी' : कैंट निवासी रेनू थापा ने बताया कि 'दीपावली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ मनाया जाता है. इस दिन दीयों का खास ही महत्व होता है. बाजार में बहुत सारा सामान है अगर देखा जाए तो लोगों की हाथों की ही काला है. पहले बहुत ही साधारण और सिंपल से दीये आते थे, जिस पर कोई भी डिजाइन या कोई भी कलाकारी नहीं होती थी. लेकिन, इस समय विभिन्न प्रकार की डिजाइनों के दीये बाजार में उपलब्ध हैं. यह सब देखने में भी काफी अच्छा लगता है और लोकल वेंडर्स को भी कुछ हद तक फायदा होता है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग ऑनलाइन भी खरीदारी पसंद करते हैं, लेकिन त्योहारों की खरीदारी तो हमेशा से खुद जाकर ही बाजार देखकर लेना पसंद है. यह सारी चीज ऑनलाइन लेने का कोई मतलब नहीं होता है और एक यह भी है कि जो फुटकर विक्रेता है उनकी रोजी-रोटी इसी से चलती है और उनके त्योहार आम पब्लिक की खरीदारी की वजह से ही मनता है. वैसे तो सभी सामान चाहे वह कपड़ा हो या फिर अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान उसे ऑनलाइन ही खरीदते हैं, लेकिन त्योहारों की खरीदारी हमेशा लोकल बाजार से ही करते हैं.'
यह हैं दाम : 30 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के सुंदर और आकर्षक लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बाजार में उपलब्ध हैं. इसके अलावा एक लाल रंग की पैकेट 10 रुपए का मिला रहा है, वहीं 10 अलग-अलग रंग के पैकेट एक ही पैकेजिंग में सिर्फ 100 रुपए में ही उपलब्ध हैं. रंगोली बनाने के लिए रंगोली मेकर भी सिर्फ 10 रुपए में उपलब्ध हैं. बनी बनाई रंगोली भी 20 से 80 रुपए में बाजार में उपलब्ध है. दरवाजे को सजाने के लिए फूलों की लड़ियों वाली झालर 60 रुपए मीटर के हिसाब से मिल रही है. इस सब के अलावा मिट्टी के खिलौने 50 से 200 रुपए सेट के हिसाब से मिल रहे हैं और मिट्टी का एक डिजाइनर दीया 10 से 30 रुपए के मिल रहे हैं. साधारण दिए 60 से 100 रुपए सैकड़े (100 दीए) के हिसाब से मिल रहे हैं.