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लॉकडाउन: भुखमरी की कगार पर पहुंचे धोबी समुदाय के लोग, घाटों पर पसरा सन्नाटा - ईटीवी भारत

लॉकडाउन के दौरान नवाबों के शहर लखनऊ में रोजगार ठप होने के चलते धोबी समुदाय के लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. पूरा धोबी घाट सूना पड़ा है. धोबियों के पास न ही रोजगार है न ही जमा पूंजी. ऐसे में ये लोग भुखमरी के कगार पर हैं. सरकार की तरफ से इन्हें कोई मदद नहीं मिली है.

dhobi community reached brink of starvation due to lockdown in lucknow
भुखमरी की कगार पर पहुंचे धोबी समुदाय के लोग.
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Published : Apr 29, 2020, 5:55 PM IST

लखनऊ: गोमती नदी के किनारे धोबी घाट पर जहां लॉकडाउन से पहले रस्सियों के ऊपर धूप में सूखते हुए कपड़ों की रंगबिरंगी झिलमिलाहट दूर तक दिखाई देती थी, वहीं लॉकडाउन के दौरान आज उन रस्सियों पर सिर्फ सूनापन ही दिखाई दे रहा है.

जहां इस घाट पर लॉकडाउन से पहले करीब 25 से 30 धोबी कपड़ों को धुलकर अपना जीवन यापन करते थे, वहीं अब लॉकडाउन के दौरान इनकी स्थिति बेहद खराब है. रोजगार चौपट होने के चलते ये लोग अब भुखमरी की कगार पर खड़े हैं.

भुखमरी की कगार पर पहुंचे धोबी समुदाय के लोग.

इस पूरे मामले पर धोबी समुदाय के कई लोगों से ईटीवी भारत ने बात की. इस दौरान धोबी समुदाय के लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे 500 से 700 रुपये तक कमा लिया करते थे. उनके पास 12 महीने काम था, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब उनके पास एक हफ्ते में 200 रुपये कमाने के लायक भी काम नहीं है.

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उनका कहना है कि वे लोग भुखमरी की कगार पर हैं. उनको सरकार की तरफ से भी कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है.

लखनऊ: गोमती नदी के किनारे धोबी घाट पर जहां लॉकडाउन से पहले रस्सियों के ऊपर धूप में सूखते हुए कपड़ों की रंगबिरंगी झिलमिलाहट दूर तक दिखाई देती थी, वहीं लॉकडाउन के दौरान आज उन रस्सियों पर सिर्फ सूनापन ही दिखाई दे रहा है.

जहां इस घाट पर लॉकडाउन से पहले करीब 25 से 30 धोबी कपड़ों को धुलकर अपना जीवन यापन करते थे, वहीं अब लॉकडाउन के दौरान इनकी स्थिति बेहद खराब है. रोजगार चौपट होने के चलते ये लोग अब भुखमरी की कगार पर खड़े हैं.

भुखमरी की कगार पर पहुंचे धोबी समुदाय के लोग.

इस पूरे मामले पर धोबी समुदाय के कई लोगों से ईटीवी भारत ने बात की. इस दौरान धोबी समुदाय के लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे 500 से 700 रुपये तक कमा लिया करते थे. उनके पास 12 महीने काम था, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब उनके पास एक हफ्ते में 200 रुपये कमाने के लायक भी काम नहीं है.

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उनका कहना है कि वे लोग भुखमरी की कगार पर हैं. उनको सरकार की तरफ से भी कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है.

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