लखनऊ: गोमती नदी के किनारे धोबी घाट पर जहां लॉकडाउन से पहले रस्सियों के ऊपर धूप में सूखते हुए कपड़ों की रंगबिरंगी झिलमिलाहट दूर तक दिखाई देती थी, वहीं लॉकडाउन के दौरान आज उन रस्सियों पर सिर्फ सूनापन ही दिखाई दे रहा है.
जहां इस घाट पर लॉकडाउन से पहले करीब 25 से 30 धोबी कपड़ों को धुलकर अपना जीवन यापन करते थे, वहीं अब लॉकडाउन के दौरान इनकी स्थिति बेहद खराब है. रोजगार चौपट होने के चलते ये लोग अब भुखमरी की कगार पर खड़े हैं.
इस पूरे मामले पर धोबी समुदाय के कई लोगों से ईटीवी भारत ने बात की. इस दौरान धोबी समुदाय के लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे 500 से 700 रुपये तक कमा लिया करते थे. उनके पास 12 महीने काम था, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब उनके पास एक हफ्ते में 200 रुपये कमाने के लायक भी काम नहीं है.
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उनका कहना है कि वे लोग भुखमरी की कगार पर हैं. उनको सरकार की तरफ से भी कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है.