ETV Bharat / state

लखनऊ: केजीएमयू में नहीं मिल पा रही लोगों को सही समय पर कोरोना रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के केजीएमयू के कोरोना वॉर्ड का ईटीवी भारत ने जायजा लिया. साथ कोरोना के मरीजों के परिजनों से स्थिति जानने की कोशिश की.

केजीएमयू कोरोना वॉर्ड के हालात
केजीएमयू कोरोना वॉर्ड के हालात
author img

By

Published : Jul 29, 2020, 11:03 AM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण में एक ओर मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तो वहीं अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा रही है. लगातार बढ़ती मरीज अस्पतालों में बेडों की संख्या को तो घटा रही है, साथ ही कार्यशैली भी अब प्रभावित होती दिख रही है. कोरोना वार्ड की स्थिति और वहां पर आ रहे मरीजों की व्यवस्था के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कोरोना वॉर्ड का जायजा लिया.

केजीएमयू के कोरोना वॉर्ड में भर्ती हो रहे कई मरीज
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बने कोरोना वॉर्ड में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आकर भर्ती हो रहे हैं. केजीएमयू में लेवल 3 का कोविड अस्पताल बनाया गया है. इस वजह से ज्यादातर गंभीर रूप से संक्रमित मरीज केजीएमयू में आकर भर्ती हो रहे हैं. ट्रॉमा के मामले या इमरजेंसी के मामलों में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बने होल्डिंग एरिया में सबसे पहले मरीज को लाया जाता है और यहां पर मरीज का प्राथमिक उपचार कर कोरोना सैंपल लिया जाता है. उसकी कोरोना वायरस की जांच सैंपल लेने के बाद जब रिपोर्ट आती है तो उसके बाद उन्हें संबंधित विभाग में इलाज के लिए भेजा जाता है. अगर मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है तो उसे कोरोना वॉर्ड में भर्ती कर दिया जाता है.

परिजनों को नहीं पता चल पा रहा मरीजों का हाल
संक्रमित जगह होने की वजह से कोरोना वॉर्ड में सिर्फ मरीज को भर्ती किया जाता है तो वहीं परिजन कोरोना यूनिट से बाहर दूर रहकर इंतजार करते हैं. ऐसे ही बस्ती से आए एक मरीज के परिवार से बात की गई तो उनका दर्द कैमरे पर छलक उठा. कोरोना मरीज के परिजन ने बताया कि 'भाई का रोड एक्सीडेंट हो गया था. उसके बाद उन्हें बस्ती से केजीएमयू रेफर कर दिया गया. यहां पर आकर दो दिन पहले होल्डिंग एरिया में मरीज का कोरोना वायरस का सैंपल लिया गया, लेकिन 24 घंटे तक रिपोर्ट नहीं आई. जब दोबारा रिपोर्ट के बारे में पूछा तो मरीज का सैंपल फिर से लिया गया और 4 घंटे बाद उन्हें पॉजिटिव पाया गया. उसके बाद मरीज को कोरोना वॉर्ड में भर्ती कर दिया गया. लेकिन मरीज की स्थिति के बारे में उन्हें पता नहीं चल पा रहा है. वे जब भी कंट्रोल रूम में फोन करते हैं तो वह सिर्फ इतना कहते हैं कि मरीज की हालत दयनीय है. ऐसे में वे सिर्फ इंतजार कर रहे हैं.'

केजीएमयू कोरोना वॉर्ड के हालात
रिपोर्ट लेने के लिए परेशान लोग
इस परिवार के जैसे ही कई अन्य परिवार और मरीजों के परिजन इस आस में बैठे थे कि उनके मरीज के हाल चाल के बारे में समय से कुछ पता चल सके. इसके अलावा कोरोना वायरस के सैंपल की जांच रिपोर्ट भी कोरोना यूनिट में ही मिलती है. वहीं इसके बारे में भी वहां पर रिपोर्ट लेने आए व्यक्तियों का कहना है कि 3 से 4 दिन हो जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिलती.

केजीएमयू में लग रही लंबी लाइन
कोरोना वॉर्ड में सोशल डिस्टेंसिंग के घेरे में लंबी कतारों में लोग खड़े थे और अपनी जांच रिपोर्ट लेने का नंबर आने का इंतजार कर रहे थे. इन्हीं में से एक लीवर की समस्या से ग्रसित प्रदीप कहते हैं कि 23 तारीख को कोरोना वायरस का सैंपल उन्होंने दिया था, लेकिन 27 तारीख को सुबह 10 बजे से लाइन में लगे उन्हें 3 बजे चेंबर तक पहुंचे, जहां उनसे कहा गया कि रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं उनसे शाम को 5 बजे आने की बात कही.


आला अधिकारी बांध रहे दावों के पुल

इन मरीजों के परिवार वालों और अन्य व्यक्तियों की समस्या के बारे में जब आला अधिकारियों से जानने की कोशिश की तो केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एसएन संखवार ने बताया कि कोरोना वायरस वॉर्ड में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं. इनमें ज्यादातर मरीज गंभीर रूप से संक्रमित होते हैं. उनकी प्राथमिकता लोगों को भर्ती कर त्वरित इलाज देने की होती है. इसके साथ ही प्रशासन की ओर से यह निर्देश भी है कि कोरोना वायरस ड्यूटी कर रहे डॉक्टर समय-समय पर मरीज के परिजनों को उनकी हालत के बारे में बताएं और स्थिति से अवगत कराएं अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो इसके बारे में वे पता लगाएंगे.

आ रहे 3000-4000 सैंपल
जांच रिपोर्ट में आ रही देरी के बारे में डॉक्टर संखवार कहते हैं कि केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लाभ में रोजाना 3000 से 4000 कोरोना वायरस के सैंपल आ रहे हैं, जिनकी जांच की जा रही है. उनकी प्राथमिकता उन मरीजों की होती है जो इमरजेंसी के हैं जैसे कि गायनी विभाग, हृदय रोग विभाग, न्यूरो विभाग या फिर एक्सीडेंटल केस. इन मरीजों के इलाज में देरी होने पर भारी नुकसान हो सकता है. इसी वजह से कुछ अन्य व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट आने में समय लग जाता है.

फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार ने माइल्ड लक्षणों के साथ आ रहे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा भी मुहैया करवा दी है. वहीं अस्पतालों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के दावे और वादे कर रही है, लेकिन कोरोना वॉर्ड के बाहर के स्थिति कुछ और ही नजर आ रहे हैं.

लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण में एक ओर मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तो वहीं अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा रही है. लगातार बढ़ती मरीज अस्पतालों में बेडों की संख्या को तो घटा रही है, साथ ही कार्यशैली भी अब प्रभावित होती दिख रही है. कोरोना वार्ड की स्थिति और वहां पर आ रहे मरीजों की व्यवस्था के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कोरोना वॉर्ड का जायजा लिया.

केजीएमयू के कोरोना वॉर्ड में भर्ती हो रहे कई मरीज
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बने कोरोना वॉर्ड में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आकर भर्ती हो रहे हैं. केजीएमयू में लेवल 3 का कोविड अस्पताल बनाया गया है. इस वजह से ज्यादातर गंभीर रूप से संक्रमित मरीज केजीएमयू में आकर भर्ती हो रहे हैं. ट्रॉमा के मामले या इमरजेंसी के मामलों में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बने होल्डिंग एरिया में सबसे पहले मरीज को लाया जाता है और यहां पर मरीज का प्राथमिक उपचार कर कोरोना सैंपल लिया जाता है. उसकी कोरोना वायरस की जांच सैंपल लेने के बाद जब रिपोर्ट आती है तो उसके बाद उन्हें संबंधित विभाग में इलाज के लिए भेजा जाता है. अगर मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है तो उसे कोरोना वॉर्ड में भर्ती कर दिया जाता है.

परिजनों को नहीं पता चल पा रहा मरीजों का हाल
संक्रमित जगह होने की वजह से कोरोना वॉर्ड में सिर्फ मरीज को भर्ती किया जाता है तो वहीं परिजन कोरोना यूनिट से बाहर दूर रहकर इंतजार करते हैं. ऐसे ही बस्ती से आए एक मरीज के परिवार से बात की गई तो उनका दर्द कैमरे पर छलक उठा. कोरोना मरीज के परिजन ने बताया कि 'भाई का रोड एक्सीडेंट हो गया था. उसके बाद उन्हें बस्ती से केजीएमयू रेफर कर दिया गया. यहां पर आकर दो दिन पहले होल्डिंग एरिया में मरीज का कोरोना वायरस का सैंपल लिया गया, लेकिन 24 घंटे तक रिपोर्ट नहीं आई. जब दोबारा रिपोर्ट के बारे में पूछा तो मरीज का सैंपल फिर से लिया गया और 4 घंटे बाद उन्हें पॉजिटिव पाया गया. उसके बाद मरीज को कोरोना वॉर्ड में भर्ती कर दिया गया. लेकिन मरीज की स्थिति के बारे में उन्हें पता नहीं चल पा रहा है. वे जब भी कंट्रोल रूम में फोन करते हैं तो वह सिर्फ इतना कहते हैं कि मरीज की हालत दयनीय है. ऐसे में वे सिर्फ इंतजार कर रहे हैं.'

केजीएमयू कोरोना वॉर्ड के हालात
रिपोर्ट लेने के लिए परेशान लोग
इस परिवार के जैसे ही कई अन्य परिवार और मरीजों के परिजन इस आस में बैठे थे कि उनके मरीज के हाल चाल के बारे में समय से कुछ पता चल सके. इसके अलावा कोरोना वायरस के सैंपल की जांच रिपोर्ट भी कोरोना यूनिट में ही मिलती है. वहीं इसके बारे में भी वहां पर रिपोर्ट लेने आए व्यक्तियों का कहना है कि 3 से 4 दिन हो जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिलती.

केजीएमयू में लग रही लंबी लाइन
कोरोना वॉर्ड में सोशल डिस्टेंसिंग के घेरे में लंबी कतारों में लोग खड़े थे और अपनी जांच रिपोर्ट लेने का नंबर आने का इंतजार कर रहे थे. इन्हीं में से एक लीवर की समस्या से ग्रसित प्रदीप कहते हैं कि 23 तारीख को कोरोना वायरस का सैंपल उन्होंने दिया था, लेकिन 27 तारीख को सुबह 10 बजे से लाइन में लगे उन्हें 3 बजे चेंबर तक पहुंचे, जहां उनसे कहा गया कि रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं उनसे शाम को 5 बजे आने की बात कही.


आला अधिकारी बांध रहे दावों के पुल

इन मरीजों के परिवार वालों और अन्य व्यक्तियों की समस्या के बारे में जब आला अधिकारियों से जानने की कोशिश की तो केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एसएन संखवार ने बताया कि कोरोना वायरस वॉर्ड में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं. इनमें ज्यादातर मरीज गंभीर रूप से संक्रमित होते हैं. उनकी प्राथमिकता लोगों को भर्ती कर त्वरित इलाज देने की होती है. इसके साथ ही प्रशासन की ओर से यह निर्देश भी है कि कोरोना वायरस ड्यूटी कर रहे डॉक्टर समय-समय पर मरीज के परिजनों को उनकी हालत के बारे में बताएं और स्थिति से अवगत कराएं अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो इसके बारे में वे पता लगाएंगे.

आ रहे 3000-4000 सैंपल
जांच रिपोर्ट में आ रही देरी के बारे में डॉक्टर संखवार कहते हैं कि केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लाभ में रोजाना 3000 से 4000 कोरोना वायरस के सैंपल आ रहे हैं, जिनकी जांच की जा रही है. उनकी प्राथमिकता उन मरीजों की होती है जो इमरजेंसी के हैं जैसे कि गायनी विभाग, हृदय रोग विभाग, न्यूरो विभाग या फिर एक्सीडेंटल केस. इन मरीजों के इलाज में देरी होने पर भारी नुकसान हो सकता है. इसी वजह से कुछ अन्य व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट आने में समय लग जाता है.

फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार ने माइल्ड लक्षणों के साथ आ रहे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा भी मुहैया करवा दी है. वहीं अस्पतालों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के दावे और वादे कर रही है, लेकिन कोरोना वॉर्ड के बाहर के स्थिति कुछ और ही नजर आ रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.