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राजधानी में कोरोना का तांडव, श्मशान से लेकर कब्रिस्तान सब फुल - कोविड19

लखनऊ में करोना का संक्रमण बढ़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों को न तो बेड मिल पा रहा है ना ऑक्सीजन. यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है.

श्मशान से लेकर कब्रिस्तान सब फुल
श्मशान से लेकर कब्रिस्तान सब फुल
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Published : Apr 28, 2021, 5:34 AM IST

लखनऊ: राजधानी में लगातार करोना का संक्रमण बढ़ रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की बात को नकार रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में मरीजों को ना तो बेड मिल पा रहा है ना ऑक्सीजन और ना ही वेंटीलेटर. यही कारण है कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है.

देर रात तक जलती रहीं चिताएं

सरकारी रिपोर्ट पर यदि नजर डाली जाए तो मंगलवार को 4437 मरीज संक्रमित पाए गए. जबकि 5960 मरीजों को डिस्चार्ज भी किया गया. इसके साथ ही संक्रमण से 39 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है. वहीं श्मशान घाट पर नजर डाली जाए तो राजधानी के सभी श्मशान घाट पर देर रात तक 150 से अधिक डेड बॉडी आई, जिनका देर रात तक अंतिम संस्कार चलता रहा.
इसे भी पढ़ें:बोकारो से लखनऊ पहुंची ऑक्सीजन एक्सप्रेस


सरकारी आंकड़ों की जमीनी हकीकत

सरकारी आंकड़ों में भले ही 20 से लेकर 45 मरीजों तक ही प्रतिदिन मौत हो रही है, लेकिन जमीनी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो प्रतिदिन श्मशान घाटों पर डेढ़ सौ से 200 डेड बॉडी जलाया जा रहा है. जितने भी कब्रिस्तान है, वहां पर भी 50 से 60 डेड बॉडी को दफनाया जा रहा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़े और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है.


लखनऊ: राजधानी में लगातार करोना का संक्रमण बढ़ रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की बात को नकार रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में मरीजों को ना तो बेड मिल पा रहा है ना ऑक्सीजन और ना ही वेंटीलेटर. यही कारण है कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है.

देर रात तक जलती रहीं चिताएं

सरकारी रिपोर्ट पर यदि नजर डाली जाए तो मंगलवार को 4437 मरीज संक्रमित पाए गए. जबकि 5960 मरीजों को डिस्चार्ज भी किया गया. इसके साथ ही संक्रमण से 39 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है. वहीं श्मशान घाट पर नजर डाली जाए तो राजधानी के सभी श्मशान घाट पर देर रात तक 150 से अधिक डेड बॉडी आई, जिनका देर रात तक अंतिम संस्कार चलता रहा.
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सरकारी आंकड़ों की जमीनी हकीकत

सरकारी आंकड़ों में भले ही 20 से लेकर 45 मरीजों तक ही प्रतिदिन मौत हो रही है, लेकिन जमीनी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो प्रतिदिन श्मशान घाटों पर डेढ़ सौ से 200 डेड बॉडी जलाया जा रहा है. जितने भी कब्रिस्तान है, वहां पर भी 50 से 60 डेड बॉडी को दफनाया जा रहा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़े और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है.


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