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लखनऊ: निगरानी समितियां हुईं फेल, ग्रामीणों ने उठाया बीड़ा

कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए शासनादेश पर मोहल्ले और गांवोंं में निगरानी समितियां बनाकर बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखने का निर्देश दिया गया था. लेकिन राजधानी के ग्रामीण इलाकों में निगरानी समितियां फेल होती नजर आ रही हैं. इसके चलते ग्रामीणों ने खुद इस काम का बीड़ा उठाते हुए अपने गांव की सीमाओं पर बैरिकेटिंग कर दी.

लोगों ने खुद की बैरिकेडिंग
लोगों ने खुद की बैरिकेडिंग
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Published : May 16, 2020, 6:57 AM IST

लखनऊ: शासन के आदेश पर निगरानी समितियों का गठन किया गया और इन समितियों को बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गयी. लेकिन राजधानी के ग्रामीण इलाकों में ये निगरानी समितियां फेल होती नजर आ रही हैं. इसी वजह से ग्रामीणों ने खुद बीड़ा उठाया है और अपने गांव की सीमा पर बैरिकेटिंग कर दी.

लोगों ने खुद की बैरिकेडिंग
गांव की सीमा पहरा देते ग्रामीण
प्रदेशों से आ रहे लोगों पर रखी जाएगी नजरलॉकडाउन के बाद से लगातार प्रवासी मजदूरों के आने का सिललिसा जारी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश के बाद सभी जिलाधिकारियों ने जिले में निगरानी समितियों का गठन किया. इन समितियों को बाहर से गांव में आने वाले लोगों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गयी.

लोगों ने खुद की बैरिकेटिंग
राजधानी लखनऊ के निगोहा गांव में लोगों ने खुद बैरिकेटिंग लगाए है, जिससे बाहर के लोग उनके गांव में न जा सके. ग्रमीणों का कहना है कि बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर वापस आए हैं, जो मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों में काम करने गए थे, लेकिन वह वापस आने के बाद वो बिना जांंच के पूरे गांव में घूम रहे थे. ऐसे में सरकारी तंत्र से भी हमें मदद नहीं मिली तो खुद ही हमने अपने गांवों में बैरिकेटिंग कर दी, जिससे प्रवासी मजदूर यहां ना आ सके और कोरोना वायरस जैसी महामारी हम तक ना पहुंचे सके.

बहुत से ऐसे लोग हैं जो अन्य शहरों से वापस आए हैं और बिना जांंच के बाहर घूम रहे हैं. सरकारी तंत्र या उसका कोई भी नुमाइंदा गांव में नहीं आया और बाहर से आए हुए लोग होम क्वारंटीन में नहीं रह रहे हैं. इन्हीं परेशानियों के चलते कोरोना वायरस न फैले इसलिए पूरे गांव की बैरिकेटिंग की गई है.
- राम मिलान, ग्रामीण

लखनऊ: शासन के आदेश पर निगरानी समितियों का गठन किया गया और इन समितियों को बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गयी. लेकिन राजधानी के ग्रामीण इलाकों में ये निगरानी समितियां फेल होती नजर आ रही हैं. इसी वजह से ग्रामीणों ने खुद बीड़ा उठाया है और अपने गांव की सीमा पर बैरिकेटिंग कर दी.

लोगों ने खुद की बैरिकेडिंग
गांव की सीमा पहरा देते ग्रामीण
प्रदेशों से आ रहे लोगों पर रखी जाएगी नजरलॉकडाउन के बाद से लगातार प्रवासी मजदूरों के आने का सिललिसा जारी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश के बाद सभी जिलाधिकारियों ने जिले में निगरानी समितियों का गठन किया. इन समितियों को बाहर से गांव में आने वाले लोगों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गयी.

लोगों ने खुद की बैरिकेटिंग
राजधानी लखनऊ के निगोहा गांव में लोगों ने खुद बैरिकेटिंग लगाए है, जिससे बाहर के लोग उनके गांव में न जा सके. ग्रमीणों का कहना है कि बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर वापस आए हैं, जो मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों में काम करने गए थे, लेकिन वह वापस आने के बाद वो बिना जांंच के पूरे गांव में घूम रहे थे. ऐसे में सरकारी तंत्र से भी हमें मदद नहीं मिली तो खुद ही हमने अपने गांवों में बैरिकेटिंग कर दी, जिससे प्रवासी मजदूर यहां ना आ सके और कोरोना वायरस जैसी महामारी हम तक ना पहुंचे सके.

बहुत से ऐसे लोग हैं जो अन्य शहरों से वापस आए हैं और बिना जांंच के बाहर घूम रहे हैं. सरकारी तंत्र या उसका कोई भी नुमाइंदा गांव में नहीं आया और बाहर से आए हुए लोग होम क्वारंटीन में नहीं रह रहे हैं. इन्हीं परेशानियों के चलते कोरोना वायरस न फैले इसलिए पूरे गांव की बैरिकेटिंग की गई है.
- राम मिलान, ग्रामीण

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