लखनऊ: कोरोना के इस संकट काल में राजधानी में तमाम जरूरमंद लोग बैंकों की उलझाऊ प्रक्रिया से बचकर साहूकारों के पास जाने को मजबूर होते हैं. बैंकों के ग्राहकों को चक्कर लगाने वाली लम्बी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग अभी भी साहूकारों से सोना आदि गिरवी रखकर कर्ज लेते हैं. कई बार तो जल्दी कर्ज अदा करने में ज्यादा ब्याज नहीं लगता, लेकिन अगर वायदे के मुताबिक कर्ज वापस नहीं किया गया तो फिर साहूकार परेशान भी करते हैं और ब्याज बढ़ता चला जाता है.
बैंकों की कागजी खानापूर्ति से बचते हैं लोग
बैंकों की कागजी खानापूर्ति और तमाम अन्य तरह की परेशानियों से बचने के लिए लोग अभी भी वर्षों से चली आ रही साहूकारों की व्यवस्था के अंतर्गत अपनी ज्वेलरी, जमीन के कागजात गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा लेते हैं. कुछ ऐसे साहूकार जो ठीक ढंग से काम करते हैं तो उनसे ब्याज लेने वाले लोग बहुत परेशान नहीं हो,ते जब भी जो कुछ अन्य साहूकार हैं उन से लोन लेने वाले लोग काफी परेशान होते हैं और ब्याज बढ़ता चला जाता है.
जरूरत थी तो लिया था लोन, लेकिन हुई परेशानी
कोरोना के इस संकटकाल में जरूरतमंद लोग अपनी जरूरत के अनुसार साहूकारों से संपर्क करके अपनी ज्वेलरी आदि गिरवी रखकर पैसा लेते हैं. यह कई बार डेढ़ से 2% ब्याज दर पर मिलता है. कई बार अधिक पैसा लेने पर यह 3 फीसद तक जा पहुंचता है. लखनऊ के ही रहने वाले आलोक कुमार ने पिछले दिनों अपनी जरूरत के अनुसार अपनी सोने की एक चेन को गिरवी रखकर एक साहूकार से ब्याज पर पैसा लिया था. पैसा वापस भी कर दिया, लेकिन ब्याज कुछ अधिक रहा. इसके अलावा एक अन्य व्यक्ति से भी उन्होंने जरूरत का पैसा लिया था और ब्याज चुकाने में अगर देरी हुई तो उसने और अधिक ब्याज वसूल लिया. आलोक ने कहा कि बैंकों के चक्कर काटने की वजह से हम लोग बचते हैं और आसानी से कुछ सामान अपना गिरवी रखकर साहूकार से पैसा ले लेते हैं. लेकिन इस समय भी लोग फायदा उठाते हैं, अधिक ब्याज दर पर पैसा देते हैं. ऐसे लोगों को इस महामारी के समय तो कम से कम लोगों की मदद करनी चाहिए.
साहूकारों के यहां सोना आदि गिरवी रखकर आसानी से मिलता है कर्ज
कई बार कुछ साहूकारों द्वारा अधिक ब्याज लेने के मामले सामने आते हैं, लेकिन कर्ज लेने वाले लोग शिकायत करने से बचते हैं, जिससे कार्रवाई नहीं हो पाती है. अगर साहूकारों के उत्पीड़न की शिकायत होती है तो प्रशासन स्तर से लाइसेंस निरस्त करने को लेकर जांच और कार्रवाई की जाती है. वहीं राजधानी लखनऊ में करीब 40 साहूकारों का ये धंधा फल-फूल रहा है. लॉकडाउन में भले दुकानों के बन्द होने से कुछ कम लोग ब्याज पर पैसे ले पाते हैं. साहूकारों का दावा है कि वह लोगों को उनकी जरूरत के अनुसार महज डेढ़ से दो प्रतिशत ब्याज दर पर ही कर्ज देते हैं.
पारदर्शी तरीके से लोगों को देते हैं ब्याज पर पैसा
राजधानी के अमीनाबाद के एक प्रतिष्ठित ज्वेलर्स और साहूकारी का काम करने वाले शैलेंद्र रस्तोगी ने कहा कि हम बहुत ही पारदर्शी तरीके से और नियमों के अनुसार लोगों को उनका सोना गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा देते हैं. यह बहुत पुरानी प्रथा है और लोग अपनी जरूरत के अनुसार सामान गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा लेते हैं. हम लोग डेढ़ से 2 प्रतिशत ब्याज दर पर लोगों को तत्काल पैसा दे देते हैं, जबकि बैंकों से लोन लेने में लोगों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है और तमाम कागजी खानापूर्ति से लोग परेशान भी होते हैं.
सरकार निर्धारित कर दे ब्याज दर और सख्त हों नियम
साहूकारी का काम करने वाले शैलेंद्र रस्तोगी ने कहा कि हम लोग बहुत समय से इस काम से जुड़े हुए हैं और पूरे लखनऊ में हमारी पहचान है. इसलिए हम गलत काम नहीं करते हैं. लेकिन कुछ जो दबंग साहूकार हैं वह लोगों को परेशान करने के लिए अधिक ब्याज पर पैसा देते हैं. ऐसी स्थिति में लोगों का उत्पीड़न होता है. सरकार को सख्त नियम बनाने चाहिए और साथ ही ब्याज दर निर्धारित कर देनी चाहिए.
राजधानी में करीब 40 साहूकार करते हैं काम
राजधानी लखनऊ के अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमरपाल सिंह ने बताया कि साहूकारी अधिनियम के अंतर्गत पहले लाइसेंस दिए जाते थे. लेकिन इस समय नए लाइसेंस देने की व्यवस्था बंद कर दी गई है. इस समय राजधानी में करीब 40 साहूकारी अधिनियम के अंतर्गत लोगों के पास लाइसेंस हैं. अब नए लाइसेंस ना दिए जाने के पीछे का कारण यह है कि अब तमाम बैंक खुल चुके हैं. लोगों को इंस्टेंट लोन दिया जाता है. ऐसी स्थिति में साहूकारी व्यवस्था को धीरे-धीरे समाप्त किए जाने के प्रयास हो रहे हैं, जिससे लोगों को ज्यादा उत्पीड़न का भी सामना ना करना पड़े.