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अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान - लखनऊ कोरोना केस

राजधानी लखनऊ में जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हुए, वैसे ही अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी है. क्योंकि भारी संख्या में लोग कोविड की चपेट में आ रहे हैं. इसके कारण इमरजेंसी में भी बेड नहीं बचे हैं.

अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
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Published : Apr 6, 2021, 3:49 AM IST

लखनऊ : राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी के कारण लोग परेशान हो रहे हैं. ऐसे में अस्पताल के बाहर ही लोग मरीज को लेकर खड़े हैं. किसी को तो स्ट्रेचर भी नसीब नहीं हो रहा है. तपती हुई धूप में मरीज और तीमारदार लंबी लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, राजधानी में जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हुए, वैसे ही अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी. क्योंकि भारी संख्या में लोग कोविड की चपेट में आ रहे हैं. जिसके कारण इमरजेंसी में भी बेड नहीं बचे हैं.

चिलचिलाती धूप में परेशान मरीज

केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी वाले मरीज भारी संख्या में पहुंच रहे हैं. ऐसे में उन्हें एक लंबी लाइन की कतार में लगना पड़ रहा है. जिसके कारण धूप से उनकी हालत और भी गंभीर हो जा रही है. ऐसे में न तो अस्पताल के अंदर जगह बची है और न ही अस्पताल के बाहर इनके लिए कोई व्यवस्था की गई है, जहां यह रुक सकें. वजीरगंज निवासी महेश की रविवार रात अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल लाया गया. लेकिन, अस्पताल में बेड नहीं होने के कारण अस्पताल के बाहर धूप में ही तीमारदारों ने उन्हें लेटा दिया. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत और भी गंभीर हो रही है.

अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
लौट रहे दर्जनों मरीज

कोविड के केस जब से बढ़े हैं, तब से अस्पताल में बेडों की संख्या कम पड़ गई है. क्योंकि अन्य शहरों से भी लोग यहां रिफर होकर आते हैं. इसके कारण केजीएमयू ट्रामा सेंटर के बेड फुल हो चुके हैं. न सिर्फ केजीएमयू बल्कि इस समय शहर के सभी बड़े अस्पतालों के बेड फुल हैं. इसके कारण तीमारदार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल मरीज को लेकर चक्कर लगा रहे हैं. मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के लिए मरीज की और तीमारदार की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है. मरीज को कम से कम 3 घंटे लगते हैं कोविड-19 जांच कराकर रिपोर्ट लेने में. तब तक मरीज दर्द में अस्पताल के बाहर तड़प रहे हैं. दर्जनों की संख्या में तो तीमारदार अपने मरीज को लेकर बिना इलाज के घर वापस लौट रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी पहुंची रेसलर गीता फोगाट, महिलाओं के लिए खोलेंगी रेसलिंग एकेडमी

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह का कहना है कि, कोविड के मरीज एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. ऐसे में आरटी पीसीआर की जांच रिपोर्ट होना अनिवार्य है, ताकि मरीज और डॉक्टर दोनों सुरक्षित रहें. बेड इस समय इसलिए फुल हो गए हैं क्योंकि भारी संख्या में मरीज आ रहे हैं.

लखनऊ : राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी के कारण लोग परेशान हो रहे हैं. ऐसे में अस्पताल के बाहर ही लोग मरीज को लेकर खड़े हैं. किसी को तो स्ट्रेचर भी नसीब नहीं हो रहा है. तपती हुई धूप में मरीज और तीमारदार लंबी लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, राजधानी में जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हुए, वैसे ही अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी. क्योंकि भारी संख्या में लोग कोविड की चपेट में आ रहे हैं. जिसके कारण इमरजेंसी में भी बेड नहीं बचे हैं.

चिलचिलाती धूप में परेशान मरीज

केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी वाले मरीज भारी संख्या में पहुंच रहे हैं. ऐसे में उन्हें एक लंबी लाइन की कतार में लगना पड़ रहा है. जिसके कारण धूप से उनकी हालत और भी गंभीर हो जा रही है. ऐसे में न तो अस्पताल के अंदर जगह बची है और न ही अस्पताल के बाहर इनके लिए कोई व्यवस्था की गई है, जहां यह रुक सकें. वजीरगंज निवासी महेश की रविवार रात अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल लाया गया. लेकिन, अस्पताल में बेड नहीं होने के कारण अस्पताल के बाहर धूप में ही तीमारदारों ने उन्हें लेटा दिया. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत और भी गंभीर हो रही है.

अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
अस्पतालों में बेड की समस्या से मरीज परेशान
लौट रहे दर्जनों मरीज

कोविड के केस जब से बढ़े हैं, तब से अस्पताल में बेडों की संख्या कम पड़ गई है. क्योंकि अन्य शहरों से भी लोग यहां रिफर होकर आते हैं. इसके कारण केजीएमयू ट्रामा सेंटर के बेड फुल हो चुके हैं. न सिर्फ केजीएमयू बल्कि इस समय शहर के सभी बड़े अस्पतालों के बेड फुल हैं. इसके कारण तीमारदार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल मरीज को लेकर चक्कर लगा रहे हैं. मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के लिए मरीज की और तीमारदार की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है. मरीज को कम से कम 3 घंटे लगते हैं कोविड-19 जांच कराकर रिपोर्ट लेने में. तब तक मरीज दर्द में अस्पताल के बाहर तड़प रहे हैं. दर्जनों की संख्या में तो तीमारदार अपने मरीज को लेकर बिना इलाज के घर वापस लौट रहे हैं.

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केजीएमयू प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह का कहना है कि, कोविड के मरीज एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. ऐसे में आरटी पीसीआर की जांच रिपोर्ट होना अनिवार्य है, ताकि मरीज और डॉक्टर दोनों सुरक्षित रहें. बेड इस समय इसलिए फुल हो गए हैं क्योंकि भारी संख्या में मरीज आ रहे हैं.

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